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नरवाई प्रबंधन हेतु सुपर सीडर का प्रदर्शन देखने पहुंचे कलेक्टर

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मक्का की नरवाई प्रबंधन हेतु सुपर सीडर जिले के लिए वरदान – कलेक्टर

डीएपी से बेहतर विकल्प एनपीके उर्वरक – डीन / कृषि वैज्ञानिक

कम से कम एक एकड में सुपर सीडर से नरवाई प्रबंधन करे किसान भाई – उप संचालक कृषि

सतपुडा एक्सप्रेस छिन्दवाड़ा।आज ग्राम चांद विकासखंड चौरई मे कृषि अभियांत्रिकी एवं किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के द्वारा नरवाई प्रबंधन अंतर्गत कार्यशाला एवं ऑन फील्ड का आयोजन शीलेन्द्र सिंह कलेक्टर छिंदवाडा की उपस्थिति में किया गया, जिसमें उप संचालक कृषि जितेन्द्र कुमार सिंह, डीन उद्यानिकी महाविद्यालय / सह संचालक ऑचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र चंदनगांव, छिंदवाडा डॉ. आर.सी. शर्मा, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व चौरई प्रभात मिश्रा, तहसीलदार चांद सोभना ठाकुर, नगर परिषद अध्यक्ष कामेन्द्र सिंह ठाकुर, सहायक कृषि यंत्री समीर पटेल, कृषि एवं कृषि अभियांत्रिकी के विभागीय अधिकारी, माननीय जनप्रतिनिधि, भूमिजा फार्मर प्रोडूसर कंपनी के सदस्य, शक्तिमान कंपनी के तकनीकी सहायक एवं बडी संख्या में कृषक गण उपस्थित रहे।

जिला कलेक्टर महोदय द्वारा कृषक अतुल महेष्वरी के खेत मे आयोजित प्रदर्शन जिसमें मक्के की खडी नरवाई पर सुपर सीडर द्वारा नरवाई प्रबंधन करते हुए सीधे सरसो की बोनी की गई, का अवलोकन किया गया।

कलेक्टर महोदय द्वारा जिले के किसानों को सुपर सीडर द्वारा जीरोटिलेज तकनीक अपनाकर नरवाई प्रबंधन करने हेतु प्रोत्साहित किया गया और सुपर सीडर जिले के कृषकों के लिए नरवाई प्रबंधन करते हुए पर्यावरण संरक्षण और उत्पादकता में वृद्धि के लिए वरदान साबित होगा, बात कही गई। क्षेत्र के किसानों से कलेक्टर महोदय द्वारा चर्चा की गई, जिसमे श्री प्रवेष रघुवंशी द्वारा बताया गया कि वे विगत दो वर्षो से सुपर सीडर के माध्यम से मक्के की नरवाई प्रबंधन कर रबी फसल की बोनी कर रहे और रबी फसल के उपरांत ग्रीष्मकालीन फसल की भी बोनी इसी पद्धति से करते है, जिससे उनको रबी फसल सरसो की लगभग 8 से 10 क्विटल प्रति एकड उत्पादकता प्राप्त हो रही हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कृषक आलोक जैन, अतुल महेष्वरी, प्रदीप चौरासिया आदि द्वारा अपने अनुभव को साझा किया गया।

उप संचालक कृषि जितेन्द्र कुमार सिंह द्वारा शासन द्वारा लागू की गई नरवाई प्रबंधन तकनीक अपनाकर नरवाई जलाने से मुक्त ग्राम राष्ट्रीय खाद्य एवं पोषण सुरक्षा योजना की विस्तृत जानकारी कार्यशाला में दी गई। योजनांतर्गत जिले में 30 ग्रामों का चयन किया जा चुका है, जिनकों पूर्ण रूप से नरवाई जलाने से मुक्त ग्राम बनाया जाना हैं।

योजना का मुख्य उददेष्य-

 नरवाई जलाने की घटनाओं को कम कर वायु प्रदूषण कम करना ।

 मृदा में कार्बनिक पदार्थ बढ़ाना ।

 गेहूँ की उत्पादकता बढ़ाना ।

 उत्पादन लागत कम कर कृषको की आय को बढाना

हैप्पी सीडर सुपर सीडर के उपयोग से लाभः.

 हैप्पी सीडरध्सुपर सीडर से गेंहूँ की सीधी बुवाई धान ध् मक्‍का कटाई के तुरन्त बाद कर दी जाती है जिससे गेंहूँ फसल 10.15 दिन पूर्व ही पक कर तैयार हो जाती है, जिससे गेहूँ की फसल मार्च माह के अंत में बढ़ने वाले तापमान से बची रहती है जिससे उत्पादन अच्छा होता है।

 हैप्पी सीडर सुपर सीडर से सीधी बुवाई करने पर बीज दर कम लगती है, जो उत्पादन लागत को कम करता हैए साथ ही फसल कटाई उपरांत सीधी बुवाई करने से नरवाई जलाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है।  हैप्पी सीडर से सीधी बुवाई पर हैप्पी सीडर फसल अवशेष को काटकर जमीन की सतह पर छोड़ता जाता है, जिससे मल्च ;डनसबीद्ध की ऊपरी परत बन जाती है, जो कि खरपतवार की वृद्धि को एवं वाष्पीकरण को कम करने के साथ ही मृदा में कार्बनिक पदार्थ को बढ़ाता है।

इस योजनांतर्गत किसान सुपर सीडर / हैप्पी सीडर हेतु ऑनलाईन आवेदन कर प्रथम आये प्रथम पाये के आधार पर अनुदान पर कृषि यंत्र प्राप्त करे। सुपर सीडरध् हैप्पी सीडर से सीधी बुवाई हेतु फसल प्रदर्शन 1 एकड़ प्रति किसान का होगा जिसकी लागत रूण् 1650ध्. प्रति एकडध्प्रति प्रदर्शन प्रति सीजन रहेगी। इस प्रकार किसान यदि मक्के की खेती के बाद मक्के की कडवी (फसल अवषेष) पर जीरोटिलेज तकनीक के द्वारा सुपर सीडर से नरवाई प्रबंधन करते हुए सीधे बोनी करने पर प्रति किसान प्रति एकड राषि 1650 रूपये का अनुदान किसान को दिया जायेगा। उप संचालक कृषि द्वारा कृषको से अपील की गई कि कम से कम एक एकड में उक्त तकनीक से नरवाई प्रबंधन करते हुए आगामी फसल की सीधे बोनी कर उत्पादकता वृद्धि के साथ कास्त लागत को कम करे।

डीन उद्यानिकी महाविद्यालय चंदनगांव डॉ. आर.सी. शर्मा द्वारा कार्यषाला में संतुलित उर्वरक का उपयोग करते फसल उत्पादन किये जाने की जानकारी दी गई। साथ ही डीएपी उर्वरक का बेहतर विकल्प एनपीके और काम्प्लेक्स उर्वरकों के उपयोग से फसल लागत कम करते हुए अधिक उत्पादन लिए जाने हेतु किसानों से अपील की गई। नरवाई प्रबंधन के तहत नरवाई जलाने के दुष्परिणाम एवं फसल लेने में तकनीकी कठिनाईयों की विस्तृत जानकारी दी गई और किसानों से नरवाई न जलाते हुए उसके प्रबंधन किये जाने पर जोर दिया गया।

सहायक कृषि यंत्री समीर पटेल द्वारा नरवाई प्रबंधन करने हेतु जीरोटिलेज तकनीक के लिए निजात किया गया कृषि यंत्र सुपर सीडर क्रय किये जाने की विस्तृत जानकारी दी गई, जिसके तहत इच्छुक कृषक राषि 5000 रू. का डिमांड ड्राफ्ट सहायक कृषि यंत्री छिंदवाडा के नाम पर बनावा कर एमपी आनलाईन के माध्यम से अनुदान हेतु आवेदन कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। योजना के प्रावधान की जानकारी देते हुए बताया गया कि यह कृषि यंत्र लगभग राषि 2.50 से 3.00 लाख रूपये की लागत का है, जिसमें शासन द्वारा स्वीकृत अधिकतम राषि रूपये 1.05 लाख का अनुदान प्राप्त हो सकेगा। अभी तक जिले के 78 किसानों द्वारा सुपर सीडर हेतु डीबीटी पोर्टल के माध्यम से अनुदान हेतु पंजीयन किया जा चुका हैं। सहायक कृषि यंत्री द्वारा किसानों से अपील की गई कि सुपर सीडर के उपयोग से जीरोटिलेज तकनीक अपनाकर किसान भाई नरवाई प्रबंधन कर सीधे बोनी कर समय बचत के साथ अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

कार्यक्रम के अंत में नरवाई न जलाने एवं उसके प्रबंधन हेतु कलेक्टर महोदय एवं नगर परिषद अध्यक्ष चांद द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित कृषकों को शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम के इसी कडी में भूमिजा फार्मर प्रोडूसर कंपनी द्वारा फील्ड में लगी गन्ने की फसल पर नैनो यूरिया उर्वरक का ड्रोन के माध्यम से छिडकाव का भी अवलोकन कराया गया, जिसे किसानों द्वारा बहुत पसंद किया गया।

कार्यक्रम मे सहायक संचालक कृषि सरिता सिंह, धीरज ठाकुर, श्री नीलकंठ पटवारी, श्री सचिन जैन, अंकिता धोटे, उप यंत्री अष्विनी सिंह, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी उमेष पाटिल, बीटीएम स्मिता पाटिल बीटीएम सहित कृषि विभाग के मैदानी अमला एवं प्रमुख रूप से किसान देवेन्द्र रघुवंषी, जगदीष चौरासिया, जितेन्द्र रघुवंषी, शक्तिमान कंपनी से असिस्टेंट मैनेजर हितेष रघुवंषी, इफको कंपनी के जिला प्रतिनिधि सागर पाटीदार, भूमिजा फार्मर प्रोडूसर कंपनी के प्रदीप चौरासिया एवं बडी संख्या में क्षेत्र के किसान उपस्थित रहे। शक्तिमान कंपनी द्वारा कार्यक्रम मे सहयोग किया गया।

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