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छिंदवाड़ा: श्री शिर्डी साईं मंदिर का रजत महोत्सव, बाबा की पावन पादुकाओं का आगमन 23 फरवरी को…

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सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा ।शहर के विवेकानंद कॉलोनी स्थित श्री शिर्डी साईं मंदिर में मूर्ति स्थापना के 25वें वर्ष को रजत महोत्सव के रूप में भव्य और दिव्य आयोजनों के साथ मनाया जा रहा है। सच्चिदानंद सेवा समिति द्वारा आयोजित इस महोत्सव का शुभारंभ 20 नवंबर 2024 को हुआ, जिसमें श्री प्रवीणनाथ पानसे महाराज ने अथर्वशीर्ष एवं विज्ञान विषय पर गणेश वंदना के साथ इसकी शुरुआत की। इसके बाद दिसंबर माह में श्री राधेकृष्ण भजन मंडल द्वारा भजन संध्या का आयोजन किया गया। शनिवार को समिति द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में आगे के कार्यक्रमों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम सचिव आनंद बक्षी ने बताया कि महोत्सव के तहत **23 फरवरी 2025 (रविवार)** को श्री शिर्डी साईं बाबा के जीवनकाल में प्रयुक्त की गई **पावन चरण पादुकाएं** छिंदवाड़ा लाई जाएंगी।

### **पादुका यात्रा का मार्ग और स्वागत** ये पादुकाएं **महाराष्ट्र के पांढुर्णा बॉर्डर** पर वाड़ेगांव की ओर से छिंदवाड़ा में प्रवेश करेंगी। यात्रा मार्ग में आने वाले सभी ग्रामों, विशेष रूप से पांढुर्णा और सौंसर** में भक्तों द्वारा भव्य स्वागत किया जाएगा। शाम 4:00 बजे तक यह पादुकाएं छिंदवाड़ा स्थित श्री शिर्डी साईं मंदिर, विवेकानंद कॉलोनी में भक्तों के दर्शन के लिए रखी जाएंगी।

** ### **श्री शिर्डी साईं बाबा की पावन पादुकाओं का महत्व** श्री शिर्डी साईं बाबा की ये पावन चरण पादुकाएं उनके परम भक्त श्री शंकरराव रघुनाथ देशपांडे उर्फ नानासाहब निमोणकर को स्वयं बाबा द्वारा प्रदान की गई थीं। इनका उल्लेख हेमाडपंत द्वारा रचित “साईं सच्चरित्र ग्रंथ में भी मिलता है। नानासाहब निमोणकर 1891 में शिर्डी में आकर बस गए थे और बाबा को “देवा” कहकर पुकारते थे। वे शिर्डी में बाबा की सेवा करने वाले प्रथम भक्तों में से एक थे। वर्तमान में, ये पावन पादुकाएं उनकी चौथी पीढ़ी नंदकुमार निमोणकर के पास मूल स्वरूप में विद्यमान हैं।

### **श्री शिर्डी साईं मंदिर, छिंदवाड़ा का इतिहास** 1997 की शुरुआत में स्व. प्रभाकर राव कुलकर्णी और स्व. एल.एन. पंडरी पांडे द्वारा इस मंदिर की स्थापना की पहल की गई थी। आरंभ में बाबा के चित्र के समक्ष भक्तों ने लगभग ढाई वर्ष तक आरती की। बाद में सच्चिदानंद सेवा समितिने स्व. श्री सरस्वती कुमार नारद के मार्गदर्शन में किशनगढ़ से आदमकद प्रतिमा का निर्माण कराया। 20 नवंबर 1999 को नागपुर के प्रसिद्ध आचार्यों द्वारा प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। भक्तों के सहयोग से मंदिर ने आकार लिया और कालांतर में 3700 वर्ग फुट* का भव्य प्रार्थना भवन निर्मित किया गया। मंदिर में द्वारकामाई का निर्माण उद्योगपति बलदेव मिगलानी ने अपने पिता स्व. श्री रामधन मिगलानी की स्मृति में करवाया। चावड़ी का निर्माण भी किया गया, जहां प्रतिदिन बाबा को शयन कराया जाता है।

आयोजन की तैयारियां और भक्तों की भागीदारी रजत महोत्सव में छिंदवाड़ा और पांढुर्णा के सभी साईं मंदिरों की समितियों की बैठक आयोजित कर उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। यात्रा मार्ग पर स्वागत द्वार, रंगोली और भव्य सजावट की जाएगी। इस आयोजन में संत-महात्माओं, कथावाचकों और जनप्रतिनिधियों का आगमन भी होगा।

सच्चिदानंद सेवा समिति के अध्यक्ष एस.वी. पुराणिक, उपाध्यक्ष जयंत बर्षी, कोषाध्यक्ष देवराव उपासे, सहसचिव विजेंद्र तिवारी सहित समस्त पदाधिकारी आयोजन की तैयारियों में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।

23 फरवरी को छिंदवाड़ा के भक्तों को साईं बाबा की पुण्य पादुकाओं के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा, जो साईं भक्ति और श्रद्धा की अनमोल अनुभूति प्रदान करेगा।

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