सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा। जिले के सीनियर संयुक्त आदिवासी बालक छात्रावास में अधीक्षक सुनील सोनी पर तीन आदिवासी छात्रों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। छात्रों का कहना है कि उन्हें झूठे आरोप लगाकर बुरी तरह पीटा गया और हॉस्टल से निकाल दिया गया।
छात्रों का आरोप आवेदकों में आशिक धुर्वे (19), ब्रजमोहन धुर्वे (16, नाबालिग) और विमलेश धुर्वे (16, नाबालिग) शामिल हैं। सभी अनुसूचित जनजाति (गोंड) के छात्र हैं और छिंदवाड़ा स्थित आदिवासी छात्रावास में रह रहे थे।छात्रों के अनुसार –07 सितंबर 2025 को हॉस्टल में लगे दो सीसीटीवी कैमरे टूटे पाए गए।08 सितंबर 2025 को अधीक्षक सुनील सोनी ने तीनों छात्रों को बुलाकर कैमरा तोड़ने का आरोप लगाया। छात्रों के इंकार करने के बावजूद अधीक्षक ने उन्हें बांस की लकड़ी से पीटा।पिटाई में छात्रों को हाथ, पीठ और शरीर पर चोटें आईं।अधीक्षक ने 100 डायल पुलिस को भी बुलाया और छात्रों को जेल भेजने की बात कही, लेकिन पुलिस ने आपसी सुलह का सुझाव दिया।इसके बाद अधीक्षक ने छात्रों को बारिश में बिना खाना दिए हॉस्टल से बाहर निकाल दिया।
गंभीर आरोप – “जाओ जहां मरना है मरो”छात्रों का कहना है कि अधीक्षक ने उन्हें कहा – “जहां जाना है जाओ, जहां मरना है मरो, मुझे कोई मतलब नहीं।”एक छात्र ने बताया कि उसके माता-पिता नहीं हैं और वह परीक्षा के दौरान कहां जाएगा, लेकिन फिर भी अधीक्षक ने उसकी एक नहीं सुनी।
वर्तमान स्थिति छात्रों का आरोप है कि उन्हें बिना परिवार को सूचना दिए ही हॉस्टल से बेदखल कर दिया गया और वे दो दिनों से बिना भोजन-पानी भटक रहे हैं।


छात्रों की मांग पीड़ित छात्रों ने जिला जनजाति कार्य विभाग के सहायक आयुक्त से गुहार लगाई है कि –उन्हें तुरंत वापस हॉस्टल में प्रवेश दिया जाए।ताकि उनकी परीक्षाएं प्रभावित न हों और भविष्य सुरक्षित रह सके। इस संबंध में विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने फोन रिसीव नहीं किया।
👉 यह मामला अब जिले में चर्चा का विषय बन गया है और प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की जा रही है।