देहदान कर बुजुर्ग ने पेश की मिशाल, मौत के बाद भी दूसरे शरीर से देखे रहे दुनिया…

सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा। देहदान महादान ये अप्रत्याशित है, अकल्पनीय है। हम अक्सर कहते हैं कि जब कोई पुण्यात्मा हमें छोड़ कर चली जाती है, तब उनके कर्म, उनकी यादें हमारे बीच रह जाती हैं, उनके शब्दों की गूंज और कर्मों की सुगंध लोगों को प्रेरित करती रहती है, मगर स्वर्गीय देवी प्रसाद शर्मा जिस तरह से समाज के लिए प्रेरणा बन रहे हैं, वो अप्रत्याशित है।

स्वर्गीय श्री देवी प्रसाद शर्मा पिता स्वर्गीय श्री श्रवणलाल शर्मा का विगत 21/4/2024 को देवलोकगमन हो गया। वे छिंदवाड़ा जिले के शिक्षक कॉलोनी, वार्ड न. 2 के निवासी थे। उनकी अंतिम इच्छानुसार उनका देहदान मृत्यूपरांत एम्स भोपाल में किया गया। उनका जन्म 29/9/1941 को चौरई के समीप ग्राम लुंगसी में हुआ था। उन्होंने सन् 1959 से सन् 2003 तक अनवरत शिक्षकीय कार्य किया और प्रधान अध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हुए।

देवी प्रसाद शर्मा जी की मृत्यु के बाद उनकी अंतिम इच्‍छानुसार उनका देह दान कर दिया गया। उनके देह दान का परिणाम यह हुआ कि तत्काल कोर्नियल टिश्यू ट्रांसप्लांट यानी नेत्रदान की वजह से एक व्यक्ति की दृष्टि भी लौट आयी है, यानि वे हमारे बीच न सिर्फ हमारी यादों में हैं, बल्कि शारीरिक तौर पर भी मौजूद हैं क्योंकि मृत्यु के बाद भी उनकी आंखें किसी को दृष्टि प्रदान कर रही हैं, देवी प्रसाद शर्मा जी ने देहदान कर ब्रह्म समाज में सामाजिक जागृति की ओर अपना पहला कदम बढ़ाया है, जो परिवार और समाज के लिए अनुकरणीय है और हम सभी के लिए गौरव की बात है। वे न केवल ब्रह्म समाज बल्कि पूरी मानव जाति के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं। उनका ये अतुल्‍य योगदान आने वाली पीढ़ी को मानवता के लिए कल्‍याणकारी कार्य करने हेतु सदैव प्रेरित करता रहेगा।