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कृषि उपज मंडी बंद परेशान हो रहा अन्नदाता

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क्यों नहीं होती रोज नीलामी से कृषि उपज की खरीदी

सिर्फ रिकॉर्ड में चालू कृषि उपज मंडी

किसानों को उपज का सही मूल्य मिले इसके लिए नियमित हो मंडी संचालन

सतपुड़ा एक्सप्रेस अमरवाड़ा: कृषि उपज मंडी समिति अमरवाड़ा कहने को तो वर्ष 2010 में स्थापित यह मंडी जो 384 गांव का प्रतिनिधित्व करती है आज वर्ष 2023 में 13 वर्षों के बाद भी सांठ -गांठ और भ्रष्टाचार और फर्जी कागजी कार्रवाई का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत कर रही है(रिपोर्ट:आलोक सूर्यवंशी अमरवाड़ा )

किसानों को नहीं मिल पता अपनी उपज का सही दाम
किसानों की उपज का सही मूल्य प्रदान करने के लिए बनी यह मंडी शोभा की सुपारी बनी हुई है मंडी के वर्तमान सचिव रामसेवक गुमास्ता जो वर्षो से अमरवाड़ा मंडी और (वर्तमान नरसिंहपुर मंडी के प्रभारी) पाताल लोक तक अपनी जड़ फैलाए हुए वर्षो से जमे हुए हैं जिनके कार्यकाल में किसानों की सुविधाओं का तो पता नहीं किंतु खुद की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखते हुए कार्य करने में कुशल हो गए है।

एक दिन भी किसानों के उपज की बोली नहीं लगी और लाखों कुंटल की आवक
वर्तमान में वर्ष 2023-24 की खरीफ की मक्का फसल बाजार में किसानों के द्वारा बेची जा रही है कृषि उपज मंडी समिति अमरवाड़ा के प्रांगण में इस खरीफ सीजन में किसानों को नियम अनुसार बोली लगा कर माल की बिक्री के रूप में एक कुंटल भी मक्का की खरीदी प्रत्यक्ष रूप से नहीं हुई है किंतु कागजों में चालू अमरवाड़ा मंडी में नवंबर माह में 2 लाख 93हजार817 कुंटल कृषि उपज की आवक दर्ज है एवं 1 दिसंबर 2023 से 27 दिसंबर 2023 तक 8 लाख 84 हजार 437 कुंटल कृषि उपज की आवक दर्ज है

जवाबदार अधिकारी दे रहे गोल मोल जबाव
जब इस विषय में मंडी सचिव रामसेवक गुमास्ता से सवाल पूछा गया की मंडी प्रांगण में जब माल की खरीदी की बोली नहीं लग रही है तो प्रतिदिन की आवक को आप कैसे दिखा रहे हैं व्यापारी स्वयं ऑनलाइन सौदा पत्रक तौल पत्रक भुगतान पत्रक आदि जमा कर रहे हैं जब व्यापारी स्वयं मंडी के सारे काम कर रहे हैं तो मंडी का काम क्या बचता है इस कार्यप्रणाली से हो रहा है किसानो का शोषण

बिना नीलामी ही बन रहे दस्तावेज

सौदा पत्रक तौल पत्रक एवं भुगतान पत्रक मंडी की महत्वपूर्ण रसीद होती है जो खुली नीलामी की बोली लगने पर मंडी कर्मचारियों के द्वारा किसान को और व्यापारियों को मंडी की ओर से उपलब्ध कराई जाती है किंतु जब अमरवाड़ा मंडी में खुली नीलामी प्रक्रिया से माल की खरीदी बिक्री हो ही नहीं रही है तो सचिव रामसेवक किस नियम के अनुसार सौदा पत्रक भुगतान पत्रक आदि को अपने दस्तावेजों में ऑनलाइन आवक के रूप में दिखा रहे हैं जिनके आधार पर माल के परिवहन की अनुज्ञा जारी हो रही है

चल रहा कमीशन का खेल

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रत्येक कुंटल के हिसाब से टेबल के नीचे 3₹ से लेकर5 ₹ का स्थाई कमीशन प्राप्त कर विभिन्न व्यापारियों को घर बैठे यह सुविधा प्रदान की जा रही है मंडी अधिकारी किस नियम के अनुसार व्यापारियों को यह सुविधा प्रदान कर रही है किसी से भी कहीं भी माल खरीदो हमें हमारा कमीशन दो और किसी के भी नाम के दस्तावेज बनाकर अनुज्ञा करवाओ

होना चाहिए विभागीय उच्च स्तरीय न्यायिक जांच क्यों नहीं निरंतर लगती है बोली

कृषि विभाग और राजस्व विभाग में कुल दर्ज उत्पादन के अनुपात में प्राप्त हो रहे मंडी शुल्क से तुलना कर विभागीय उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की जाना आवश्यक हो गया है विभागीय रिकॉर्ड में दर्ज हो रहे उत्पादन के अनुसार औसत मंडी शुल्क प्राप्त हो रहा है या नहीं और यदि कम मंडी शुल्क प्राप्त हो रहा है तो ३८४ गांव से हो रहा उत्पादन कहा जा रहा है

मंडी परिसर में अन्नदाता हो रहा परेशान

अव्यवस्थाओं का आलम यहां तक है कि दूरदराज से आए गरीब किसान को मंडी के रहते हुए भी भयानक ठंड में परेशान होना पड़ रहा है यह सब मंडी सचिव रामसेवक गुमास्ता की अनुकंपा ही है बाराहीरा से मंडी आए किसान कैलाश साहू का कहना है कि उन्हें अपनी कृषि उपज को मंडी बेचने लाया था किंतु मंडी में बोली नहीं लगने के कारण अमरवाड़ा शहर में व्यापारियों की दुकान पर ले जाकर बेचना चाहा किंतु व्यापारियों के द्वारा उसका माल नमी होने के कारण नहीं खरीदा गया जिसे उसने मंडी के प्रांगण में सूखने के लिए डाला है एवं सूखने के बाद फिर से वह मंडी से माल उठाकर ले जाकर अमरवाड़ा शहर में व्यापारियों को बेचेगा मंडी में नीलामी नहीं होने के कारण किसानो को किसानों को दर-दर की ठोकरें खाना पड़ रहा है न तो अपनी उपज का सही मूल्य मिल पा रहा है वल्कि आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है

मंडी परिसर में किसानों के लिए नहीं है कोई मूलभूत सुविधाएँ

नियम अनुसार मंडी परिसर में किसानों उपलब्ध होने वाली सभी मूलभूत सुविधओं जैसे जलपानग्रह,कचरा निपटान,पेयजल,आग नियंत्रण,सूचनापटल ,भावपटल आदि सभी का आभाव है जब किसानो की खुली नीलामी से उपज नहीं खरीदी जा रही है तो इन सुविधओं में प्र्त्येक वर्ष खर्च होने वाली राशि की भी गहन जाँच होनी चाहिए

किसानों का हो रहा है शोषण व्यापारी कर रहे है मनमनी

प्रश्न यह उठता है की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले मंडी सचिव रामसेवक गुमास्ता का न्याय और ईमानदारी किसानों के साथ कहा गुम हो गई मंडी के प्रांगण में बोली नहीं लगने के कारण किसानों को जहाँ एक और दर-दर की ठोकरें खाना पड़ रहा है वहीँ किसानों को समय पर भुगतान भी नहीं प्राप्त हो रहा है विनेकी से मंडी आए किसान जीवन साहू का कहना है कि 10 दिन पहले अमरवाड़ा के एक व्यापारी ने माल खरीद लिया था और आधा माल खरीद कर आधे का भुगतान कर दिया है एवं शेष माल रेट कम हो जाने के कारण सौदा कैंसिल कर दिया है किंतु उसके पास मंडी के वैधानिक दस्तावेज नहीं होने के कारण वह किसी के पास नहीं जा पा रहा है जब उसने मंडी अधिकारियों से इस विषय में शिकायत की तो मंडी अधिकारियों के द्वारा भी उसकी कोई एक सुनवाई नहीं की गई आदिवासी क्षेत्र होने के कारण आदिवासी बाहुल्य के पिछड़ा गरीब किसान अपने जेब से भाड़ा लगाकर छिंदवाड़ा की मंडी में अपना माल लेजा ले जाकर बेचने को मजबूर हो रहा है

जनप्रतिनिधी क्यों मौन है

बड़े दुर्भाग्य की बात है कि अमरवाड़ा के जनप्रतिनिधि और किसानों के हित की बड़ी-बड़ी बात करने वाले सारे किसान संगठन एवं सारे राजनीतिक दल इस विषय में मौन क्यों है नियम अनुसार क्यों मंडी संचालित नहीं हो पा रही है

किसानों की उपज का सही मूल्य मिल सके इसके लिए नियमित मंडी में ही किसानों की उपज की बोली लगे इसकी व्यवस्था बनाने में प्रशासन क्यों नाकाम हो रहा है यह बड़ा भारी प्रश्न है

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