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प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध

केंद्र ने उपभोक्ताओं को प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 8 दिसंबर, 2023 से 31 मार्च, 2024 तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया


केंद्र ने एनसीसीएफ और एनएएफईडी को बफर के लिए किसानों से 7 लाख टन प्याज खरीदने का निर्देश दिया

सतपुड़ा एक्सप्रेस दिल्लीः घरेलू उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 8 दिसंबर, 2023 से 31 मार्च, 2024 तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सरकार ने खरीफ की फसल आने में देरी, निर्यात किए गए प्याज की मात्रा और तुर्की, मिस्र, ईरान जैसे प्रमुख आपूर्तिकर्ता देशों द्वारा लगाए गए व्यापार और गैर-व्यापार प्रतिबंधों, जैसी वैश्विक स्थितियों के मद्देनज़र यह निर्णय लिया है। किसानों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न पड़े यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार मूल्य स्थिरीकरण निधि के तहत किसानों से लगातार प्याज खरीद रही है।

चालू वर्ष में सरकार ने एनसीसीएफ और एनएएफईडी को बफर के लिए 7 लाख टन प्याज खरीदने का निर्देश दिया था। अब तक लगभग 5.10 लाख टन की खरीद हो चुकी है और शेष मात्रा की खरीद जारी है। सरकार द्वारा खरीदे गए प्याज को खुले बाजार में और उपभोक्ताओं को सीधे खुदरा बिक्री के माध्यम से ऊंची कीमत वाले बाजारों में लगातार बेचा जाता है। बफर से इस्तेमाल हुए 2.73 लाख टन प्याज में से लगभग 20,700 मीट्रिक टन को 213 शहरों में 2,139 खुदरा केंद्रों के माध्यम से खुदरा उपभोक्ताओं को बेचा गया है। इन बहु-आयामी उपायों के चलते प्याज की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत 17 नवंबर को 59.9 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर 8 दिसंबर को 56.8 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।

गौरतलब है कि 29 अक्टूबर को सरकार ने प्याज निर्यात के लिए 800 यूएस डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया है और साथ ही प्याज के बफर स्टॉक का निपटान भी किया है। जहां एमईपी प्याज निर्यात की मात्रा को कम करने में प्रभावी रही है, वहीं वैश्विक स्थिति और खरीफ की फसल आने में देरी के कारण बड़ी मात्रा में निर्यात भी जारी रहा।

सरकार उपभोक्ताओं और किसानों दोनों के हित में आवश्यक कदम उठाने के लिए प्याज की फसल की उपलब्धता और कीमतों पर कड़ी नजर रख रही है। किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए मूल्य स्थिरीकरण के तहत किसानों से प्याज की खरीद जारी रहेगी और उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज उपलब्ध कराने के लिए ऊंचे मूल्य वाले बाजारों में थोक और खुदरा दोनों उपाय जारी रहेंगे।