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पुलिस का ऐतिहासिक कारनामा

पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है जीवित लड़की को मृत घोषित हत्या के अपराध में भाई एवं पिता जेल की सलाखों के पीछे पिता को जमानत भाई अभी भी जेल में

सतपुड़ा एक्सप्रेस अमरवाड़ा:- थाना अमरवाड़ा के अंतर्गत सिंगोडी चौकी के ग्राम जोपनाला से एक मामला सामने आया है जिसमें पुलिस के द्वारा 2014 में मृत बताई गई लड़की अचानक घर वापस आ गई। 2014 में मृत बताई गई लड़की ने बताया कि वह अपनी मर्जी से घर से चली गई थी उसके बाद वह उज्जैन के पास रह रही थी और उसने शादी कर ली थी लड़की का कहना है कि पुलिस के द्वारा उसे मृत बताकर झूठे अपराध में उनके पिता और भाई को प्रताड़ित कर कर उन्हें अपराध स्वीकार करने पर मजबूर कर दोषी साबित किया गया जिसके कारण पिता और भाई को जेल जाना पड़ा भाई अभी भी जेल में है और पिता उम्र के कारण अभी जमानत पर है

पुलिस के अनुसार 13 जून 2014 को लड़की के भाई सोनू ने लाठी द्वारा द्वारा बार कर अपने पिता के साथ अपनी बहन की हत्या की और उसके शव को खेत में दफना दिया जिसकी बरात बरामदगी 2021 में पुलिस ने तमाम गवाहों के सामने पंचनामा बनाकर की और लड़की के पिता को अपराध कबूल करवा कर मेडिकल रिपोर्ट तमाम शिनाख्त दस्तावेज तहसीलदार और डॉक्टरों की पुष्टि आदि हासिल करते हुए सारी न्यायिक औपचारिकताएं को पूरे कर न्यायालय में चालान पेश किया गया जिसके आधार पर लड़की का भाई और पिता को जेल जाना पड़ा लड़की का भाई अभी जेल में है और पिता 1 साल से उम्र के आधार पर जमानत मिलने के कारण जेल से बाहर है
प्रकरण में दिलचस्प एवं महत्वपूर्ण तथ्य और पुलिस की कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह उठना लाजमी है

पहला यदि पुलिस ने हत्या के आरोप में चालान पेश किया तो किसकी हत्या हुई।
दूसरा यदि पुलिस के द्वारा की गई सारी कार्यवाही जिसमें मेडिकल रिपोर्ट तमाम शिनाख्त की कार्यवाही तहसीलदार और डॉक्टरों की पुष्टि डीएनए टेस्ट यदि हुआ तो वह किसका हुआ और यदि उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव है तो किस आधार पर।
तीसरा यदि जीवित लड़की मृत नहीं थी तो पुलिस को किस कारण से बस उसे मृत घोषित करना पड़ा और किस तथ्य के आधार पर पुलिस को उसके पिता और भाई को गिरफ्तार कर जेल भेजने की आवश्यकता हुई।
चौथा पुलिस के द्वारा जमीन खोदकर कंकाल की हड्डियों की बरामदगी दिखाई गई है वह किसकी है और 2014 की घटना में 2021 में जब हड्डियों की बरामदगी हुई तो क्या वह पूर्णतया सुरक्षित थी और यदि प्राप्त हुई हड्डियों का डीएनए टेस्ट हुआ तो उसमें किस प्रक्रिया को अपनाया गया और उसकी क्या रिपोर्ट थी जिसके आधार पर पुलिस ने अपने मामले को मजबूत किया…
वर्तमान में प्रकाश में आई इस घटना पर सभी लोग अचंभित हैं पुलिस के द्वारा किस आधार पर यह कार्रवाई को अंजाम दिया गया यह बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह उपस्थित करता है पीड़ित परिवार आज न्याय की गुहार लगा रहा है यदि पुलिस के द्वारा प्रस्तुत किया गया मामला झूठा पाया जाता है तो पीड़ित परिवार को हुई आर्थिक सामाजिक और मानसिक क्षति की भरपाई कौन करेगा। एडिस्शनल एसपी ने घटना को २०१४ की बताया जिसमे १४ वर्ष की लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई थी २०२१ में तत्कालीन चौकी प्रभारी की जाँच में लड़की के पिता और भाई ने हत्या का जुर्म स्वीकार किया था व उनकी निशानदेही पर नरकंकाल प्राप्त हुआ था मामला अभी न्ययालय में लंबित है मृत हुई लड़की यदि जीवित है और वह वही लड़की है ये अभी जाँच का विषय है लड़की के डीएनए टेस्ट के बाद और स्थिती साफ होगी। वर्तमान चौकी प्रभारी का कहना है कि इस घटना के समय वह पदस्थ नहीं थे इसलिए उन्हें जानकारी नहीं है पूरे मामले की जांच करने के बाद ही वे कुछ कहने की स्थिति में होंगे नाबालिक का मामला होने के कारण 2 वर्ष पूर्व इस मामले की जांच एसडीओपी अमरवाड़ा के द्वारा भी की गई थी और उनका भी वर्तमान में ट्रांसफर हो चुका है .