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छिंदवाड़ा जिले को ‘नो-बर्न ज़ोन’ घोषित कॉर्न हैडर से मक्के की कटाई के तुरंत बाद सुपर सीडर से हुई गेहु की सीधी बुआई

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सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा, दिनांक 06/11/2025– अप्रत्याशित वर्षा, घटते बुवाई सत्र और वैश्विक जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौतियों के बीच, छिंदवाड़ा जिला नरवाई प्रबंधन के क्षेत्र में एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करने की दिशा में अग्रसर है। कृषि अभियांत्रिकी विभाग, छिंदवाड़ा द्वारा ग्राम रामगढ़ी में “नरवाई प्रबंधन एवं जलवायु अनुकूल कृषि” कार्यशाला आयोजित की गई जिसका उद्देश्य किसानों को आधुनिक यांत्रिक तकनीकों से जोड़ना और स्थायी कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करना रहा। साथ ही कार्यशाला में कॉर्न हेडर द्वारा मक्के की हार्वेस्टिंग के तुरंत उपरांत सुपरसीडर से अगली फसल गेहू की मक्के की नरवाई का प्रबंधन करते हुए सीधी बोनी का प्रदर्शन किया गया।जिला कलेक्टर श्री हरेंद्र नारायण जी के मार्गदर्शन में कृषि एवं कृषि अभियांत्रिकी विभाग तथा किसान संगठन ने स्पष्ट किया गया कि छिंदवाड़ा जिले को “नो-बर्न ज़ोन” घोषित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे पराली जलाने की प्रथा को पूर्णतः समाप्त किया जा सके।

सहायक कृषि यंत्री छिंदवाड़ा समीर पटेल ने कार्यशाला के दौरान बताया कि विभाग का लक्ष्य छिंदवाड़ा को देश के लिए नरवाई प्रबंधन का मॉडल जिला बनाना है। पिछले वर्ष 25,000 हेक्टेयर क्षेत्र में जीरो-टिलेज तकनीक से सफल बुवाई की गई थी। इस वर्ष इस रकबे को कई गुना बढ़ाकर अधिक संख्या में किसानों को जलवायु-अनुकूल तकनीकों से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि बुवाई में देरी और वायु प्रदूषण की दोहरी समस्या का प्रभावी समाधान किया जा सके।कार्यशाला में “कॉर्न हेडर” मशीन द्वारा मक्के की फसल की कटाई, गहाई का प्रदर्शन किया गया एवं इसके तुरंत बाद “सुपर सीडर” मशीन द्वारा बिना जुताई किए गेहूं की सीधी बुवाई की गई। यह तकनीक मिट्टी की नमी और पोषक तत्वों को संरक्षित रखते हुए बुवाई की प्रक्रिया को पारंपरिक तरीकों की अपेक्षा कई गुना तेज बनाती है।उपसंचालक कृषि श्री जितेंद्र सिंह जी ने बताया कि इन तकनीकों से वह कार्य, जो पारंपरिक तरीके से 8 से 10 दिन में पूर्ण होता था, अब केवल कुछ घंटों में संपन्न किया जा सकता है। इससे किसानों को न केवल समय की बचत होती है, बल्कि लागत में भी उल्लेखनीय कमी आती है।

कार्यशाला में भाग लेने वाले किसान चंद्रभान रघुवंशी ने बताया कि नई तकनीक से प्रति एकड़ लगभग ₹3,000 से ₹5,000 की सीधी बचत हुई है।संभागीय कृषि यंत्री कृषि अभियांत्रिकी विभाग श्री G C मार्सकोले ने बताया कि विभाग द्वारा सुपरसीडर ऑन डिमांड पर उपलब्ध है, सुपरसीडर पर विभाग द्वारा 1,20,000/- अनुदान देय है। श्री मार्शकोले ने बताया कि जिले में आज दिनाक तक लगभग 300 सुपरसीडर अनुदान पर दिए जा चूके है।

अनुदान हेतु पोर्टल खुला है तथा रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया सतत चालू है।कार्यशाला में भारतीय किसान संघ के प्रांतीय मंत्री श्री मेर सिंह जी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं kvk प्रमुख डॉ श्रीवास्तव, एसडीओ कृषि छिंदवाड़ा श्री पटवारी, तकनीकी सहायक बीसा श्री दीपेंद्र ठाकुर, इफको से श्री रजत पाटीदार, क्षेत्र के उन्नत कृषक श्री देवी सिंह पटेल तथा अन्य प्रगतिशील कृषक एवं गणमान्य नागरिक तथा मीडिया के साथी श्री चंचलेश यदुवंशी, मनोज पटेल, महेंद्र राय आदि उपस्थित रहे।विभाग की अपीलजिला प्रशासन, कृषि एवं कृषि अभियांत्रिकी विभाग, छिंदवाड़ा ने जिले के समस्त किसानों से अपील की है कि वे इस “नरवाई क्रांति” में भागीदारी करते हुए पर्यावरण संरक्षण, लागत बचत और स्थायी कृषि की दिशा में कदम बढ़ाएं। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि निरंतर जनजागरूकता और तकनीकी सहायता के माध्यम से जिले को “ज़ीरो-बर्न फार्मिंग” का राष्ट्रीय मॉडल बनाया जाएगा।

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