अध्यक्ष, नगरपालिका परिषद् शिवपुरी को भी जवाबदेह बताया गया
सतपुड़ा एक्सप्रेस भोपाल: जिला शिवपुरी में शासन ने बड़ी कार्रवाई की है नगर पालिका में बीते 3 सालों में हुए 57 करोड़ 80 लाख रुपए के हुये घोटाला में वर्तमान सीएमओ ईशांक धाकड़ सहित 2 पूर्व CMO शैलेष अवस्थी, केशव सगर को सस्पेंड कर दिया गया है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा को भी दोषी माना है।नगरपालिका परिषद्, शिवपुरी में वर्ष 2022 से वर्तमान तक कुल 743 कार्य लागत राशि ₹57.80 करोड़ के निर्माण कार्य या अपूर्ण है या कार्य प्रारंभ ही नहीं किए गए हैं या अभी निविदा के उपरांत की जाने वाली कार्रवाई निकाय स्तर पर शेष हैं। उपरोक्त के अतिरिक्त अनेकानेक पूर्ण कार्यों में ठेकेदारों को उनके द्वारा बिल प्रस्तुत किए जाने के उपरांत भी 4 से 8 माह तक भुगतान नहीं किया गया है। जबकि कुछ ऐसे भी भुगतान पाए गए हैं, जो कार्यों के पूर्ण होने एवं ठेकेदारों द्वारा बिल प्रस्तुत करने के उपरांत 1 से 2 माह के भीतर ही उनका भुगतान कर दिया गया है। यहां यह उल्लेखनीय है, कि उक्त पूर्ण हो चुके कार्यों की भुगतान राशि ₹11.47 करोड़ में से ₹5.09 करोड़ दो फर्मों को भुगतान की गई है, जिससे कि अन्य निविदाकारों द्वारा लगातार शिकायतें की जाती रही हैं।


वर्तमान में नगरपालिका परिषद्, शिवपुरी की कार्यप्रणाली के संबंध में यह पाया गया, कि कार्यालय में पारदर्शी प्रशासन एवं उचित प्रबंधन का नितांत प्रभाव है। कर्मचारीगण समय पर कार्यालय में उपस्थित नहीं होते हैं एवं न ही अपने स्थान पर नियत समय पर बैठते हैं, जिससे कि आम नागरिकों को सेवाएं प्राप्त होने में असुविधा होती है एवं विलंब होता है। साथ ही कार्यालय में फाईलों का मूवमेंट भी पता नहीं चल पाता है, कि कौन सी नस्ती किस अधिकारी/कर्मचारी के पास है एवं इस पर क्या कार्यवाही होना है ? उपरोक्त के संबंध में निकाय के पार्षदगण द्वारा इस बात की शिकायत की गई थी, कि अधिकांश फाईलें अध्यक्ष के घर पर रहती हैं। अतः उक्त कृत्य पूर्णतः लापरवाही एवं मनमर्जी की श्रेणी में आता है।


परिषद् एवं पीआईसी की बैठक में बजट के प्रावधानों एवं नगरपालिका की वित्तीय स्थिति को नजर अंदाज करते हुए करोड़ो के प्रस्ताव पारित किए गए हैं, जो कि विधि के विरूद्ध है तथा शासन से प्राप्त अनुदान एवं विभिन्न श्रोतों से प्राप्त आय का आकलन न करते हुए निरकुंशता के साथ विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्यों के प्रस्ताव पारित किए गए हैं एवं निर्माण कार्यों के भुगतान के समय वित्तीय अनुशासन का पालन नहीं किया गया। यह कि कुछ निर्माण कार्यों का भुगतान 03 माह के अंदर तथा कुछ निर्माण कार्यों का भुगतान तीसरें वर्ष तक नहीं हो पाया है, जिसके फलस्वरूप कदाचार की शिकायतें प्राप्त होती रहती है।
नगरपालिका द्वारा संधारित कैशबुक के अवलोकन में पाया गया, कि एक लाख से कम राशि के एक ही प्रकार के एक ही फर्म को अनेक बार भुगतान किए गए हैं। जबकि किसी सामग्री की बार-बार आवश्यकता थी, तो उसे ई-टेंडर के माध्यम से क्रय किया जा सकता था। इस प्रकार के कृत्य से संस्था को आर्थिक हानि होती है एवं मिलीभगत से कदाचार की संभावनाएं भी होती हैं। यह कि निकाय में स्थानीय निधि संपरीक्षा का आवासीय संपरीक्षा दल है, जिसमें प्रत्येक भुगतान से पूर्व प्री-ऑडिट कराए जाने का प्रावधान है परन्तु उक्त दल द्वारा भी अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन सही प्रकार से नहीं किया गया है, जिससे कि निकाय में निरंतर गंभीर वित्तीय अनियमितता की स्थिति बनी है।


वर्तमान नगरपालिका परिषद्, शिवपुरी का गठन अगस्त, 2022 में हुआ था तब से शैलेष अवस्थी, केशव सगर मुख्य नगरपालिका अधिकारी के पद पदस्थ रहे हैं तथा वर्तमान में ईशांक धाकड़ पदस्थ हैं। यह कि उक्त तीनों अधिकारियों के द्वारा निकाय की कार्यालयीन अव्यवस्था के सुधार के लिए कोई कारगर प्रयास नहीं किए गए, जिसके परिणामस्वरूप निकाय के सामान्य कामकाज में अराजकता एवं अविश्वास की स्थितियां निर्मित हुई हैं।) यह कि निकाय में नामांतरण प्रकरण एवं भवन निर्माण स्वीकृति से संबंधित प्रकरणों का समय सीमा में निराकरण नहीं हो पा रहा है। माह जून में ही जन सुनवाई / समाचार पत्रों में नामांतरण प्रकरणों के संबंध में शिकायतें प्रकाशित होने पर अपर कलेक्टर, शिवपुरी को जांच के लिए निर्देशित किया गया था। जांच में नामांतरण के 520 प्रकरण लंबित पाए गए थे, जिनमें से 290 प्रकरणों का निराकरण पीआईसी की बैठक के एजेंडे में शामिल न करने के कारण महिनों से लंबित है।
इसी प्रकार भवन निर्माण स्वीकृति पोर्टल पर भी कुल 18 प्रकरणों में से 55 प्रकरण समय सीमा से बाहर लंबित पाए गए हैं, जिसमें से 16 प्रकरण ऐसे पाए गए हैं, जो कि समुचित वांछित कार्यवाही के उपरांत मुख्य नगरपालिका अधिकारी, नगरपालिका परिषद्, शिवपुरी की आई.डी. पर लंबित है। साथ ही अनेक प्रकरण स्वीकृति के लिए अकारण लंबित है, जो कि कार्य के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।
नगरपालिका की कैशबुक पर वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2024-25 के अनेक पृष्ठों पर मुख्य नगरपालिका अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं है एवं चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 की कैशबुक नियमों के अनुरूप नहीं लिखी गई है, आधी-अधूरी लिखी गई है, जिसमें प्राप्तियों एवं बैलेंस का उल्लेख नहीं है एवं राशि का उपयोग कहां किया गया है. इसका भी स्पष्ट उल्लेख नहीं है। उपरोक्त स्थिति के दृष्टिगत निकाय में वित्तीय अनुशासन का घोर उल्लंघन होना पाया गया है।
मुख्य नगरपालिका अधिकारी से पीआईसी एवं परिषद् की बैठक के प्रोसेडिंग रजिस्टर अवलोकन के लिए चाहे गए थे, जिसके संबंध में मुख्य नगरपालिका अधिकारी द्वारा उक्त रजिस्टर अध्यक्ष के निवास पर प्रेषित किया जाना बताया गया है। इसी प्रकार विभिन्न निर्माण कार्यों से संबंधित लगभग 45 कार्यों का उल्लेख मुख्य नगरपालिका अधिकारी द्वारा प्रदाय की गई जानकारी में है परन्तु फाईलें उपलब्ध नहीं पाई गई, जिसका कोई समाधानकारक उत्तर भी नहीं दिया गया।
- उपरोक्त के अतिरिक्त कलेक्टर द्वारा यह भी अवगत कराया गया है, कि नगरपालिका परिषद्, शिवपुरी में निराकुंशता की स्थिति है। कार्यालय के कर्मचारियों में अपने कार्य एवं सेवा प्रदान करने के लिए उदासीनता है तथा वित्तीय एवं प्रशासनिक अनुशासन का घोर उल्लंघन होना पाया गया है, जिसके लिए ईशांक धाकड़ मुख्य नगरपालिका अधिकारी उत्तरदायी हैं। साथ ही पूर्व की अवधि की अनियमितता के लिए केशव सिंह सगर एवं शैलेष अवस्थी तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी भी उत्तरदायी हैं। साथ ही उक्त संबंध में अध्यक्ष, नगरपालिका परिषद्, शिवपुरी को भी जवाबदेह बताया गया है।
- ईशांक धाकड़ वर्तमान मुख्य नगरपालिका अधिकारी, केशव सिंह सगर एवं शैलेष अवस्थी तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी, नगरपालिका परिषद्, शिवपुरी द्वारा किए गए उक्त कृत्य के दृष्टिगत कलेक्टर, जिला-शिवपुरी द्वारा उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की अनुशंसा की गई है।
उपरोक्तानुसार प्रकरण में उपलब्ध अभिलेखों एवं कलेक्टर, जिला-शिवपुरी द्वारा की गई अनुशंसा के दृष्टिगत संचानालय नगरीय प्रशासन विकास म प्र शासन द्वारा ईशांक धाकड़ केशव सिंह सगर एवं शैलेष अवस्थी मुख्य नगरपालिका अधिकारी, नगरपालिका परिषद्, शिवपुरी द्वारा किया गया उक्त कृत्य उनका अपने कर्तव्यों के प्रति घोर लापरवाही, उदासीनता एवं अनुशासनहीनता का परिचायक है। साथ ही उनका यह कृत्य निकाय एवं राज्य शासन के प्रति उनकी निष्ठा संदिग्ध होने का भी परिचायक है। अतः उक्त कृत्य के दृष्टिगत मध्यप्रदेश नगरपालिका सेवा (कार्यपालन) नियम, 1973 के नियम 36 (1) में वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत तीनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी।















