Home CITY NEWS मध्यप्रदेश डूबा नशे की गर्त में- गुलाबी गैंग कमांडर पूर्णिमा वर्मा

मध्यप्रदेश डूबा नशे की गर्त में- गुलाबी गैंग कमांडर पूर्णिमा वर्मा

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सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा। गुलाबी गैंग कमांडर पूर्णिमा वर्मा ने 29 अगस्त को वीआईपी रोड स्थित होटल देव में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मध्यप्रदेश सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि “भारत का हृदय” कहे जाने वाला मध्यप्रदेश आज शराब और नशे के जाल में गहराई से फंसा हुआ है।पूर्णिमा वर्मा का कहना है कि प्रदेश में न केवल शराब का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है बल्कि प्रतिबंधित एमडी ड्रग्स और गांजा जैसे खतरनाक नशे भी गाँव-गाँव और यहाँ तक कि स्कूली बच्चों तक पहुँच चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब प्रशासनिक संरक्षण में हो रहा है।

पुलिस प्रोटेक्शन या इच्छा मृत्यु की मांग कमांडर वर्मा ने बताया कि उन्होंने हाल ही में आईजी जबलपुर को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि यदि प्रशासन जिले की महिलाओं और युवाओं को नशे से सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता और अवैध शराब कारोबार पर अंकुश लगाने में विफल रहता है, तो उन्हें या तो पुलिस प्रोटेक्शन दिया जाए या फिर इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान की जाए।उनका कहना है कि “जनता के हक की लड़ाई लड़ते-लड़ते कभी शराब ठेकेदार मेरी जान ले लेंगे या संघर्ष में मेरी जान चली जाएगी। इसकी जिम्मेदारी सीधे मुख्यमंत्री मोहन यादव और उनके शासन-प्रशासन की होगी।

अवैध आहातों को हटाने की मांग पूर्णिमा वर्मा ने कलेक्टर, आबकारी और पुलिस प्रशासन से मांग की कि शहर के आवासीय क्षेत्रों में चल रहे सरकारी शराब दुकानों और अवैध आहातों को तत्काल हटाया जाए। उन्होंने खास तौर पर मान सरोवर अमित ठेंगे चौक और फव्वारा चौक स्थित दुकानों का जिक्र किया।उन्होंने सिटी कोतवाली प्रभारी से सवाल किया कि उनके कार्यकाल में कितने अवैध आहातों पर प्रकरण दर्ज किए गए और अब तक कितनी कार्रवाई हुई।न्यायालय की शरण लेने का ऐलानगुलाबी गैंग कमांडर ने बताया कि वह कानून के तहत कोर्ट में परिवाद दायर करने जा रही हैं, क्योंकि “जब लोक सेवक अपने कर्तव्यों का पालन न करें तो न्यायालय की शरण लेना ही मजबूरी बन जाती है।

जनता से अपील पूर्णिमा वर्मा ने आम नागरिकों से अपील की कि समाज को नशे की गंदगी से बचाने के लिए हर कोई अपनी भूमिका निभाए। उन्होंने कहा,“गलत का विरोध करना ही जिंदा इंसानों की पहचान है। यदि पुरुष समाज और न्याय की लड़ाई में खड़े नहीं हो सकते तो उन्हें चूड़ियां पहन लेनी चाहिए, क्योंकि अब जिले की सुरक्षा की जिम्मेदारी महिलाओं ने उठा ली है।”

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