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जन्माष्टमी के पावन अवसर पर चमत्कारीक श्री हनुमान मंदिर (हनुमान लोक) जामसांवली धाम में संतों का समागम

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सतपुड़ा एक्सप्रेस/सौसर– जन्माष्टमी के पावन और शुभ अवसर पर चमत्कारिक श्री हनुमान मंदिर (हनुमान लोक) जामसांवली में एक अनुपम और दिव्य समागम हुआ। इस पर्व पर परम पूज्य गुरुदेव श्रद्धेय श्री विवेक जी और परम तपस्वी अवधूत संत श्री दादा गुरु जी ने मंदिर में दर्शन कर पूजा-अर्चना की और उपस्थित श्रद्धालुओं को अपना आशीर्वाद प्रदान किया।परम पूज्य गुरुदेव श्रद्धेय श्री विवेक जी ने की सब के कल्याण की कामना*परम पूज्य गुरुदेव विवेक जी के आगमन ने श्री हनुमान जी महाराज की प्रतिमा के समक्ष बैठकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। उन्होंने विश्व के लिए सुख, शांति और कल्याण की कामना की। उनका आगमन मंदिर परिसर में एक सकारात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर आया।

इसके उपरांत पूज्य गुरुदेव श्री विवेकजी ने मंदिर परिसर में निर्माणाधीन प्रसादम ( न्यूनतम दर पर भक्तों हेतु भोजन व्यवस्था ) एवं बन रहे सर्वसुविधायुक्त भक्तनिवास का भी अवलोकन किया । इस अवसर पूज्य गुरुदेव श्री विवेकजी ने संस्थान के न्यासिगणों के विनम्र आग्रह पर आगामी गणेश उत्सव पर 30 सितंबर को *प्रसादम एवं सर्वसुविधायुक्त भक्तनिवास* को उनके करकमलों से *शुभारंभ* करने हेतु सहमति प्रदान की ।

इस अवसर पर उनके साथ पूर्व सांसद एवं विधायक (विधान परिषद) महाराष्ट्र श्री कृपाल तुमाने जी उपस्थित रहे।*दादा गुरु जी की निराहार तपस्या और संदेश ततपश्चात मां नर्मदा के अनन्य भक्त और अपनी निराहार तपस्या के लिए प्रसिद्ध परम तपस्वी अवधूत संत श्री दादा गुरु जी मंदिर पहुंचे। वे अपनी वर्षों से चल रही महाव्रत साधना के लिए जाने जाते हैं, जिसमें वे अन्न का त्याग कर केवल मां नर्मदा के अमृत तुल्य जल पर निर्भर रहते हैं। उनकी यह गहन तपस्या प्रकृति और नदियों के प्रति उनके असीम प्रेम और समर्पण का अद्भुत उदाहरण है।दादा गुरु जी ने श्री हनुमान जी की प्रतिमा के सामने बैठकर पूजन किया और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया।

इस अवसर पर उन्होंने श्री रामचरितमानस के महत्व को विस्तार से समझाया और श्री हनुमान जी द्वारा भगवान श्री राम की की गई अनन्य सेवा और भक्ति की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने अपने प्रवचन में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए “एक पेड़ माँ के नाम” का प्रेरक संदेश दिया। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से अपने जीवन में कम से कम एक पेड़ लगाकर उसकी देखभाल करने का आग्रह किया, ताकि हमारी धरती और नदियों का संरक्षण हो सके।इस पावन अवसर पर, मंदिर के ट्रस्टीगणों और अधिकारियों ने संतों का स्वागत किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

इस दौरान पूर्व मंत्री श्री नाना भाऊ मोहोड़ जी, संस्थान के संरक्षक श्री दादाराव बोबडे जी, अध्यक्ष श्री गोपाल शर्मा जी, उपाध्यक्ष श्री संतोष डवरे जी, ट्रस्टी श्री संदीप मोहोड़, श्री नितिन मोहगावकर जी, श्री मनोहर शेलकी जी, श्री अजय धवले जी, श्री मोहन ताजने जी, श्री भास्कर गुढ़दे जी, श्री नीलेश खंडाईत जी सहित संस्थान के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।मंदिर संस्थान ने दोनों पूज्य संतों को सम्मान किया। दोनों संतों ने मंदिर संस्थान द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न धर्म और समाज सेवा के कार्यों की सराहना की और उन्हें भविष्य में भी इन कार्यों को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। संतों का यह प्रवास मंदिर और क्षेत्र के लिए एक आध्यात्मिता से भरा रहा।

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