सतपुड़ा एक्सप्रेस छिन्दवाड़ा।जघन्य सनसनी चिहिन्त प्रकरण में डेढ़ वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार करने वाले आरोपी को शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए आजीवन कारावास की सजा हुईमाननीय अपर सत्र न्यायाधीश अमरवाड़ा के द्वारा थाना बटकाखापा के अपराध में आरोपी विकास उर्फ मुन्नू उम्र 28 वर्ष को धारा 450 भा.द.वि. में 7 वर्ष का कठोर कारावास व 5000/- अर्थदण्ड, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 6 में आजीवन कठोर कारावास (शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए) व 10000/- रूपये का अर्थदण्ड दण्डित किया। एवं प्रकरण की अभियोक्त्री/बच्ची को 2,00,000/- रूपये/राशि प्रतिकर स्वरूप देने के आदेश हुये।
मध्यप्रदेश शासन की ओर विशेष लोक अभियोजक प्रवीण कुमार मर्सकोले ने प्रकरण में सशक्त पैरवी की।घटना का संक्षिप्त विवरणः प्रकरण की नाबालिक बच्ची उम्र डेढ़ वर्ष की मां ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि घटना दिनांक 24/04/2024 को हमारे घर पर चाचा ससुर की दो लडकियो की शादी थी। दो बाराते अलग-अलग गांव से आई थी रात करीब 2.00 बजे घर के सामने जयमाला का कार्यक्रम हो रहा था। मेरी नाबालिक बच्ची सो गई थी तो मैं उसे अपने बेडरुम में पलंग पर सुला दी थी बेडरुम का दरवाजा अंदर से लगता नही है तो दरवाजा लटकाकर हम सब लोग बाहर जयमाला देख रहे थे तभी अचानक नाबालिक बच्ची की तेज रोने की आवाज आई तो मैं मेरे पति मेरा भाई और मेरी मम्मी दौंडकर कमरे तरफ गये तभी बेडरुम से एक लड़का बाहर निकलकर भागा तो मेरे पति और मेरा भाई उसके पीछे भागे और मैं और मेरी मम्मी बेडरुम में जाकर बच्ची को देखे तो काफी रो रही थी मेरी बच्ची के साथ गलत काम (बलात्कार) हुआ है।
मेरे पति और घर के बाकी लोगो ने बेडरुम में घुसे उस लड़के को पकडे और उससे नाम पता पूछे उसने अपना नाम विकास उर्फ मुन्नु उम्र करीब 28 वर्ष बताया और बार-बार यही बोल रहा था कि मुझसे गलती हो गई मुझे मॉफ कर दो। फिर हम लोगो ने 100 नंबर को फोन लगाये और बच्ची ज्यादा रो रही थी तो उसका ईलाज कराने के लिये सीधे अस्पताल आ गये। अस्पताल मे पुलिस स्टाफ पहुंचा और अस्पताल में चैकअप के बाद बच्ची को छिंदवाडा अस्पताल रिफर कर दिय आरोपी विकास उर्फ मुन्नु कहार ने मेरी छोटी सी डेढ़ वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ बेडरुम में घुसकर बहुत ही बेरहमी से गलत काम (बलात्कार) किया है।
पीडिता के परिजनों के शिकायत पर अभियुक्त के विरूद्ध धारा 376, 376(AB), 450 भादवि एवं धारा 5, 6 पॉस्को अधिनियम के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर सम्पूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया विचारण के दौरान आई साक्ष्य, डीएनए रिपोर्ट जो कि सकारात्मक प्राप्त हुई थी माननीय विचारण न्यायालय ने अभियोजन पक्ष एवं बचाव पक्ष के तर्को को सुनने के उपरांत माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी विकास उर्फ मुन्नू कहार को धारा 450 भा.द.वि. में 7वर्ष का कठोर कारावास व 5000/- अर्थदण्ड, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 6 में आजीवन कठोर कारावास (शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए) व 10000/- रूपये का अर्थदण्ड दण्डित किया।
प्रकरण की डेढ़ वर्षीय बच्ची के साथ हुये घृणित अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुये माननीय न्यायालय द्वारा 2 लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि पीडिता/बच्ची को दिये जाने की अनुशंसा के साथ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देशित किया गया।विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्क से सहमत होकर माननीय अपर सत्र न्यायालय द्वारा आरोपी को कठोर दण्ड दंडिण्त किया। प्रकरण विवेचना निरीक्षक चरणलाल उड़के थाना बटकाखापा द्वारा की गई।
यह समाचार लेख एक गंभीर अपराध और उसके न्यायिक परिणामों को दर्शाता है। इसमें अभियुक्त को दी गई सजा, न्यायालय की टिप्पणी, अभियोजन पक्ष की भूमिका, और पीड़िता को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति का पूरा विवरण दिया गया है।इस तरह की खबरों को व्यापक रूप से साझा किया जाना चाहिए ताकि समाज में जागरूकता बढ़े, अपराधियों में डर पैदा हो और लोग सतर्क रहें। न्यायिक प्रक्रिया और कठोर दंड से यह संदेश जाता है कि बाल यौन अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होती है, और कोई भी दोषी कानून से बच नहीं सकता।