पथरीली जमीन पर स्ट्रॉबेरी की चमक : किसान कैलाश पवार की सफलता की कहानी
सतपुड़ा एक्सप्रेस छिन्दवाडा// आज के दौर में जब पारंपरिक खेती से किसानों को कम आय और ज्यादा मेहनत का सामना करना पड़ता है, मध्यप्रदेश सरकार और कृषि विभाग किसानों की मदद के लिए आगे आ रहा है। आत्मा परियोजना और जिला स्तरीय प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रमों के जरिए किसानों को आधुनिक तकनीक, नवाचार और वैज्ञानिक तरीकों से खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग और उन्नत बीज जैसी तकनीकों का उपयोग कर किसान अब कम लागत में अधिक लाभ कमा रहे हैं। विकासखंड मोहखेड़ की ग्राम पंचायत भुताई के किसान कैलाश पवार इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं। सरकारी मदद और तकनीकी मार्गदर्शन से उन्होंने अपनी पथरीली जमीन को न सिर्फ उपजाऊ बनाया बल्कि करोड़ों का मुनाफा भी कमाया।
परिवर्तन की शुरुआत- श्री कैलाश पवार, जो पहले अपनी 16.99 हेक्टेयर जमीन पर पारंपरिक फसलें उगाते थे, कम उत्पादन और बढ़ती लागत से जूझ रहे थे। कृषि विभाग के अधिकारियों से आत्मा परियोजना के तहत प्रशिक्षण के दौरान उन्हें अपनी समस्या का समाधान मिला। अधिकारियों ने उन्हें नवाचार और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती करने की सलाह दी।नवाचार और तकनीकी सहायता- किसान कैलाश ने ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग तकनीक का उपयोग करते हुए स्ट्रॉबेरी, लहसुन, टमाटर, शिमला मिर्च और बैंगन जैसी फसलों की खेती शुरू की। कृषि विभाग के अधिकारी समय-समय पर उनके खेत का निरीक्षण करते रहे और उन्हें हर कदम पर मार्गदर्शन प्रदान किया। इस तकनीकी सहायता ने उनकी खेती को जोखिममुक्त और लाभदायक बना दिया।
स्ट्रॉबेरी की खेती से करोड़ों का लाभ- कैलाश ने अपनी जमीन के 5-6 एकड़ पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। उन्होंने लगभग 1,30,000 पौधे लगाए, जिनकी फसल 70 दिनों के भीतर तैयार हो गई। स्ट्रॉबेरी की तुड़ाई मार्च के अंत तक चलती है और इसकी आपूर्ति जबलपुर, नागपुर, इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में की जाती है।
पहले पथरीली जमीन के कारण उनका टर्नओवर 80 लाख रुपये था जिसमें शुद्ध लाभ केवल 30 लाख रुपये होता था। लेकिन अब स्ट्रॉबेरी और सब्जियों के उत्पादन से उनका टर्नओवर 2 से 2.5 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, और शुद्ध लाभ के रूप में उन्हें 1 करोड़ रुपये प्राप्त हो रहे हैं।
कैलाश पवार कहते हैं कि सरकार की योजनाओं और कृषि विभाग के मार्गदर्शन से हमें न सिर्फ खेती के जोखिम कम करने में मदद मिली बल्कि अपनी आय को कई गुना बढ़ाने का अवसर भी मिला।पथरीली जमीन पर मेहनत की इबारत,खुदा ने भी देखी मेहनतकश की तिजारत।जहां पत्थर उगते थे, वहां अब खिलती बहार है,कैलाश की मेहनत ने लिखी नई कहानी बार-बार है। यह कहानी उन सभी किसानों के लिए प्रेरणा है जो आधुनिक तकनीक और नवाचार से अपनी खेती को लाभदायक बनाना चाहते हैं।