सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा/पांढुर्ना : माननीय उच्चन्यायालय मध्यप्रदेश जबलपुर खंडपीठ ने जामसांवली, तहसील सौसर, जिला पांढुर्ना स्थित चमत्कारिक श्री हनुमान मंदिर ट्रस्ट के भविष्य को आकार देने वाला एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। माननीय उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि ट्रस्ट सक्षम प्राधिकारी द्वारा पंजीकृत नहीं था। यह निर्णय ट्रस्ट के उपाध्यक्ष दादारावजी बोबडे द्वारा दायर याचिका पर 7 अगस्त, 2024 को दिया गया।
क्या है प्रकरण?
ज्ञात हो की 22 नवंबर 2023 को ट्रस्ट की प्रबंधकारिणी की बैठक पश्च्यात वर्तमान अध्यक्ष ने छल कपट एवं अनियमितता कर 12 नए लोगो आजीवन सदस्य बनाने का प्रस्ताव पारित किया तथा उसे अनुमोदन के लिए अनुविभागीय अधिकारी को भेजा जबकि नियमानुसार एजेंडा के माध्यम से साधारण सभा की बैठक आहूत कर बहुमत के आधार पर नए सदस्यों को जोड़ा जाना चाहिए था। ट्रस्ट के वर्तमान अध्यक्ष ने ट्रस्टियो को विश्वास में न लेते हए अपने आर्थिक एव प्रशासनिक स्वार्थ हेतु नए सदस्यों को लेने का प्रस्ताव पारित कराया था। यह प्रकरण ट्रस्ट के कुप्रबंधन और अनियमितताओं के आरोपों से जुड़ा है इसलिए ट्रस्ट के 24 में से 17 सदस्यों ने अध्यक्ष धीरज चौधरी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया तथा 12 नए सदस्यों के सदस्यता पर आपत्ति ली थी । ट्रस्ट के अध्यक्ष के विरुद्ध पारित ‘अविश्वास प्रस्ताव’ की वैधता को पूर्व मे धीरज चौधरी, द्वारा उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी जिसमे माननीय उच्च न्यायालय द्वारा यह प्रतिपादित किया गया था की अनुविभागीय अधिकारी, सौसर, को पंजीयक, लोक न्यास, की शक्तियों का प्रत्यायोजन कलेक्टर द्वारा नहीं किया गया है। उसी न्यायिक दृष्टांत के आधार पर दादाराव बोबडे की इस याचिका को माननीय उच्च न्यायालय स्वीकार किया गया । जिसमे दादाराव बोबडे ने 1990 में ट्रस्ट के पंजीयन एवं नियमावली को स्वीकृति देने के अनुविभागीय अधिकारी, सौसर के अधिकारों पर प्रश्न उठाया था। माननीय न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए एव ऐतिहासिक निर्णय से स्पष्ट किया है कि अनुविभागीय अधिकारी, सौसर, को पंजीयक, लोक न्यास, की शक्तियों का प्रत्यायोजन कलेक्टर द्वारा नहीं किया गया था इसलिए ट्रस्ट को भंग कर नियामवली को ख़ारिज किया । याचिककर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय के. अग्रवाल एवं अधिवक्ता अक्षय पवार ने पक्ष रखा ।
अधिवक्ता अक्षय पवार ने बताया की क्यों यह निर्णय महत्वपूर्ण है ?
ट्रस्ट की विवादास्पद नियामवली : चमत्कारिक श्री हनुमान मंदिर ट्रस्ट जामसांवली 16 मई 1990 को बना था जिसकी नियमावली को 4 अगस्त 1998 को स्वीकृति मिली थी। किन्तु उक्त नियमावली में ऐसे अनेक प्रावधान थे जिससे हमेशा विवादों की स्थिति उत्पन्न होती थी। वर्तमान नियमावली में अध्यक्ष को असीमित शक्तिया प्रदान की गई थी जिससे बहुमत होते हुए भी अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता था। प्रशासनिक एवं आर्थिक अनियमिता सिद्ध करने या उस दृश्टिगत कार्यवाही करने के स्पष्ट प्रावधान नहीं थे। साथ ही पूर्व में इस नियमावली को आधार बनाकर नए सदस्यों को जोड़ने के अनेको प्रयास हुए है जिसे न्यायालयों ने स्थगित कर दिया था।
हनुमान लोक परियोजना: मंदिर परिसर में निर्मित हनुमान लोक परियोजना के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 314 करोड़ रुपये से अधिक के निर्माण कार्यो का संकल्प लिया है । जिसके दृश्टिगत आनेवाले समय ट्रस्ट के संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है।
धार्मिक भावनाएं: यह मंदिर लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। ट्रस्ट के कुप्रबंधन एवं अनियमितता से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है।
सांस्कृतिक विरासत: मंदिर क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके संरक्षण और विकास के लिए एक मजबूत और पारदर्शी ट्रस्ट आवश्यक है जो नियमानुसार न्यायसंगत कार्य करे ।
आगे की कार्रवाई :
माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:
पंजीकरण: कलेक्टर पांढुर्णा जोकी पंजीयक लोक न्यास उनके द्वारा संस्थापक सदस्यों को लेकर ट्रस्ट का पंजीकरण कराया जायेगा।
नए उपनियम: ट्रस्ट के लिए नए उपनियम (नियमावली ) बनाए जाएंगे।
चुनाव: नए उपनियमों के तहत कार्यकारिणी समिति के नए सिरे से चुनाव कराए जाएंगे।
प्रशासक : ट्रस्ट का पंजीकरण होकर नए सिरे से कार्यकारिणी का गठन होने तक कलेक्टर पांढुर्णा को प्रशासक के रूप में कार्य करने के निर्देश देने की मांग भी याचिकाकर्ता द्वारा की गई थी।
इस आदेश के बाद से चमत्कारिक श्री हनुमान मंदिर ट्रस्ट जामसांवली से संबधित जितने भी प्रकरण विभिन्न न्यायलयों में चल रहे है वे औचित्यहीन हो गए है तथा अब समेव ही समाप्त हो जायेंगे।
उद्देश्य
इन परिवर्तनों का उद्देश्य ट्रस्ट के संसाधनों का कुशल प्रबंधन, अनियमितताओं पर विराम, ट्रस्टियो की जवाबदेही, दान के दुरुपयोग को रोकना और मंदिर में आनेवाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है।