सहकारिता मंत्रालय द्वारा की गई 54 पहलों का संक्षिप्त विवरण
सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा : सहकारिता मंत्रालय ने 06 जुलाई, 2021 को अपनी स्थापना के बाद से जमीनी स्तर पर सहकारी गतिविधियों को मजबूत एवं विस्तृत करने के लिए कई पहलें की हैं, जिनमें सहकारी क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों के लिए ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के लिए कदम, जैसे “पैक्स के लिए मॉडल उप-नियम, उन्हें बहुउद्देशीय, बहुआयामी और पारदर्शी संस्थाएं बनाने के लिए”, “कवर नहीं की गई पंचायतों में नई बहुउद्देशीय पैक्स/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना”, “सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी विकेन्द्रीकृत अनाज भंडारण योजना”, “राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण”, “कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) का कम्प्यूटरीकरण”, “कार्यात्मक प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) का कम्प्यूटरीकरण”, “राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस”, “बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 में संशोधन”, “आयकर अधिनियम में सहकारी समितियों को राहत”, “सहकारी चीनी मिलों के पुनरुद्धार के लिए पहल”, “बीज, जैविक उत्पादों और निर्यात के लिए तीन नई राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी समितियों की स्थापना” आदि उठाए गए हैं।
मंत्रालय द्वारा अपनी स्थापना के बाद से की गई 54 पहलों और उनकी स्थिति का संक्षिप्त विवरण अनुबंध-I में दिया गया है।
अनुबंध-I
सहकारिता मंत्रालय द्वारा की गई 54 पहलों का संक्षिप्त विवरण
सहकारिता मंत्रालय ने 06 जुलाई, 2021 को अपनी स्थापना के बाद से, “सहकार-से-समृद्धि” के दृष्टिकोण को साकार करने और देश में प्राथमिक से शीर्ष स्तर की सहकारी समितियों तक सहकारी गतिविधियों को मजबूत और विस्तृत करने के लिए अनेक पहलें की हैं। अब तक की गई पहलों और प्रगति की सूची इस प्रकार है:
ए. प्राथमिक सहकारी समितियों को आर्थिक रूप से जीवंत और पारदर्शी बनाना
1. पैक्स के लिए मॉडल उप-नियम, उन्हें बहुउद्देशीय, बहुआयामी और पारदर्शी संस्थाएं बनाने के लिए: सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, राष्ट्रीय स्तर के परिसंघों, राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी), जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) आदि सहित सभी हितधारकों के साथ परामर्श करके पैक्स के लिए मॉडल उप-नियम तैयार किए हैं और सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सर्कुलेट किए हैं, जो पैक्स को 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियां करने, परिचालन में शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार करने में सक्षम बनाता है। पैक्स की सदस्यता को और ज्यादा समावेशी और व्यापक बनाने, महिलाओं और अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्रदान करने के भी प्रावधान किए गए हैं। अब तक 32 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने मॉडल उप-नियमों को अपनाया है अथवा उनके मौजूदा उप-नियम मॉडल उप-नियमों के अनुरूप हैं।
2. कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से पैक्स का सुदृढ़ीकरण: पैक्स को मजबूत करने के लिए, भारत सरकार द्वारा 2,516 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ कार्यात्मक पैक्स के कम्प्यूटरीकरण की परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई है, जिसमें देश के सभी कार्यात्मक पैक्स को एक सामान्य ईआरपी आधारित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर लाना, उन्हें एसटीसीबी और डीसीसीबी के माध्यम से नाबार्ड से जोड़ना शामिल है। परियोजना के अंतर्गत 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 67,009 पैक्स स्वीकृत किए गए हैं। 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा हार्डवेयर खरीदे गए हैं। ईआरपी सॉफ्टवेयर पर कुल 25,674 पैक्स को ऑनबोर्ड किया गया है और 15,207 पैक्स लाइव हुए हैं।
3. कवर नहीं की गई पंचायतों में नई बहुउद्देशीय पैक्स/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना: अगले पांच वर्षों में नाबार्ड, एनडीडीबी, एनएफडीबी, एनसीडीसी और अन्य राष्ट्रीय स्तर के परिसंघों के सहयोग से सभी पंचायतों/गांवों को शामिल करते हुए नई बहुउद्देशीय पैक्स या प्राथमिक डेयरी/मात्स्यिकी सहकारी समितियों की स्थापना की योजना को सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है। राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के अनुसार, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 6,844 नई पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों को पंजीकृत किया गया है।
4. सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी विकेन्द्रीकृत अनाज भंडारण योजना: सरकार ने एआईएफ, एएमआई, एसएमएएम, पीएमएफएमई सहित भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से पैक्स स्तर पर अनाज भंडारण के लिए गोदामों, कस्टम हायरिंग केंद्रों, प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों और अन्य कृषि-अवसंरचना निर्माण योजना को मंजूरी प्रदान की है। इससे खाद्यान्नों की बर्बादी और परिवहन लागत कम होगी, किसानों को अपनी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने और पैक्स स्तर पर ही विभिन्न कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। पायलट परियोजना के अंतर्गत 11 राज्यों के 11 पैक्स में गोदामों का निर्माण किया गया है और अब 500 अतिरिक्त पैक्स को पायलट परियोजना में शामिल किया जा रहा है।
5. ई-सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के रूप में पैक्स: सहकारिता मंत्रालय, एमईआईटीवाई, नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच पैक्स के माध्यम से बैंकिंग, बीमा, आधार नामांकन/अपडेशन, स्वास्थ्य सेवाओं, पैन कार्ड और आईआरसीटीसी/बस/हवाई टिकट आदि जैसी 300 से अधिक ई-सेवाएं प्रदान करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। अब तक, 37,169 पैक्स ने ग्रामीण नागरिकों को सीएससी सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया है, जिससे इन पैक्स की आय में भी वृद्धि होगी।
6. पैक्स द्वारा नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन: सरकार ने एनसीडीसी के समर्थन से पैक्स द्वारा 1,100 अतिरिक्त एफपीओ बनाने की अनुमति प्रदान की है, उन ब्लॉकों में जहां अभी तक एफपीओ का गठन नहीं किया गया है या ब्लॉक किसी अन्य कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा कवर नहीं किए गए हैं। इसके अलावा एनसीडीसी द्वारा सहकारी क्षेत्र में 992 एफपीओ का गठन किया गया है। यह किसानों को आवश्यक बाजार लिंकेज प्रदान करने और उनकी उपज के लिए उचित और लाभकारी मूल्य प्राप्त करने में सहायक होगा।
7. पेट्रोल/डीजल आउटलेट्स के लिए पैक्स को प्राथमिकता: सरकार ने पेट्रोल/डीजल आउटलेट्स के आवंटन के लिए पैक्स को संयुक्त श्रेणी 2 (सीसी2) में शामिल करने की अनुमति प्रदान की है। तेल विपणन कंपनियों (ओएमसीज) से प्राप्त सूचना के अनुसार, 25 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से 270 पैक्स ने पेट्रोल/डीजल खुदरा बिक्री केन्द्रों के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है।
8. पैक्स को थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों को खुदरा आउटलेट्स में बदलने की अनुमति: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श के आधार पर मौजूदा थोक उपभोक्ता लाइसेंसी पैक्स को खुदरा आउटलेट्स में बदलने के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं जिससे पैक्स का मुनाफा बढ़ाया जा सके और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जा सकें। थोक उपभोक्ता पंपों वाले 4 राज्यों से 109 पैक्स को खुदरा बिक्री केन्द्रों में परिवर्तन के लिए सहमति प्राप्त हुई है, जिनमें से 43 पैक्स ओएमसी से आशय पत्र (एलओआई) प्राप्त कर चुकी हैं।
9. पैक्स अपनी गतिविधियों में विविधता लाने के लिए एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप के लिए पात्र: सरकार ने अब पैक्स को एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप के लिए आवेदन करने की अनुमति प्रदान की है। इससे पैक्स को अपनी आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करने का विकल्प प्राप्त होगा। चार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 31 पैक्स ने ऑनलाइन आवेदन जमा किए हैं।
10. ग्रामीण स्तर पर जेनेरिक दवाओं के पहुंच में सुधार लाने के लिए पैक्स को पीएम भारतीय जन औषधि केंद्र बनाया गया: सरकार प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों को संचालित करने के लिए पैक्स को बढ़ावा दे रही है जो उन्हें अतिरिक्त आय स्रोत प्रदान करेगा और ग्रामीण नागरिकों के लिए जेनेरिक दवाओं तक पहुंच को आसान बनाएगा। अब तक, 4,341 पैक्स/सहकारी समितियों ने पीएम भारतीय जनऔषधि केंद्रों के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है, जिनमें से 2,594 पैक्स को पीएमबीआई द्वारा प्रारंभिक मंजूरी प्रदान की गई है और 674 ने राज्य ड्रग नियंत्रकों से दवा लाइसेंस प्राप्त किए हैं जो पीएम भारतीय जन औषधि केंद्रों के रूप में कार्य करने के लिए तैयार हैं।
11. प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) के रूप में पैक्स: सरकार देश में किसानों को उर्वरक और संबंधित सेवाओं की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पीएमकेएसके संचालित करने के लिए पैक्स को बढ़ावा दे रही है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, वर्तमान में 38,141 पैक्स पीएमकेएसके के रूप में कार्य कर रही हैं।
12. पैक्स स्तर पर पीएम-कुसुम का अभिसरण: पैक्स से जुड़े किसान सौर कृषि जल पंपों को अपना सकते हैं और अपने खेतों में फोटोवोल्टिक मॉड्यूल स्थापित कर सकते हैं।
13. ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं (पीडब्लूएस) का संचालन एवं रखरखाव करने के लिए पैक्स: ग्रामीण क्षेत्रों में पैक्स की विस्तृत पहुंच का उपयोग करने के लिए, सहकारिता मंत्रालय की पहल पर, जल शक्ति मंत्रालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में पीडब्ल्यूएस के संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम) को पूरा करने के लिए पैक्स को पात्र एजेंसी बनाया है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त सूचना के अनुसार, पंचायत/ग्राम स्तर पर प्रचालन एवं रख-रखाव सेवाएं प्रदान करने के लिए 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 1,833 पैक्स की पहचान/चयन की गई है।
14. बैंक मित्र सहकारी समितियों को डोरस्टेप वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिए माइक्रो-एटीएम: डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों को डीसीसीबी और एसटीसीबी का बैंक मित्र बनाया जा सकता है। उनके ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, पारदर्शिता और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लिए, इन बैंक मित्र सहकारी समितियों को ‘डोर-स्टेप फाइनेंशियल सर्विसेज’ प्रदान करने के लिए नाबार्ड के समर्थन से माइक्रो-एटीएम भी दिए जा रहे हैं। पायलट परियोजना के रूप में, गुजरात के पंचमहल और बनासकांठा जिलों में बैंक मित्र सहकारी समितियों को लगभग 2,700 माइक्रो-एटीएम वितरित किए गए हैं। यह पहल अब गुजरात राज्य के सभी जिलों में लागू की जा रही है।
15. दुग्ध सहकारी समितियों के सदस्यों को रुपे किसान क्रेडिट कार्ड: जिला सहकारी बोर्डों/राज्य सहकारी बैंकों की पहुंच का विस्तार करने और दुग्ध सहकारी समितियों के सदस्यों को आवश्यक नगदी प्रदान करने के लिए, सहकारी समितियों के सदस्यों को रूपे किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) वितरित किए जा रहे हैं जिससे वे तुलनात्मक रूप से कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान कर सकें और उन्हें अन्य वित्तीय लेनदेन करने में सक्षम बनाया जा सके। अब तक, गुजरात के पंचमहल और बनासकांठा जिलों में 48,000 रुपे केसीसी वितरित किए गए हैं। यह पहल अब गुजरात राज्य के सभी जिलों में लागू की जा रही है।
16. मछली किसान उत्पादक संगठन (एफएफपीओ) का गठन: मछुआरों को बाजार लिंकेज और प्रसंस्करण सुविधाएं प्रदान करने के लिए, एनसीडीसी ने प्रारंभिक चरण में 69 एफएफपीओ पंजीकृत किए हैं। इसके अलावा, भारत सरकार के मत्स्य विभाग ने 225.50 करोड़ रुपये के अनुमोदित परिव्यय के साथ 1000 मौजूदा मत्स्य सहकारी समितियों को एफएफपीओ में परिवर्तित करने का काम एनसीडीसी को दिया गया है।
बी. शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंकों को मजबूत करना
17. यूसीबी को अपने कारोबार का विस्तार करने के लिए नई शाखाएं खोलने की अनुमति: यूसीबी अब आरबीआई के पूर्व अनुमोदन के बिना पिछले वित्तीय वर्ष में शाखाओं की मौजूदा संख्या का 10% (अधिकतम 5 शाखाएं) तक नई शाखाएं खोल सकती हैं।
18. यूसीबी को आरबीआई द्वारा अपने ग्राहकों को डोरस्टेप सेवाएं प्रदान करने की अनुमति: यूसीबी द्वारा अब डोरस्टेप बैंकिंग सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं। इन बैंकों के खाताधारक अब घर पर विभिन्न बैंकिंग सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं जैसे नकद निकासी, नकद जमा, केवाईसी, डिमांड ड्राफ्ट और पेंशनभोगियों के लिए जीवन प्रमाणपत्र आदि।
19. सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंकों की तरह बकाया ऋणों का एकमुश्त निपटान करने की अनुमति: सहकारी बैंक, बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के माध्यम से, अब तकनीकी निरस्तीकरण के साथ-साथ उधारकर्ताओं के साथ निपटान की प्रक्रिया भी कर सकते हैं।
20. यूसीबी के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) लक्ष्य प्राप्ति की समय सीमा में बढ़ोत्तरी: आरबीआई ने यूसीबी के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) लक्ष्य प्राप्ति की समयसीमा दो वर्षों यानी 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दी है।
21. यूसीबी के साथ नियमित बातचीत के लिए आरबीआई में नामित एक नोडल अधिकारी: निकट समन्वय और केंद्रित बातचीत के लिए सहकारी क्षेत्र की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने के लिए, आरबीआई ने एक नोडल अधिकारी अधिसूचित किया है।
22. ग्रामीण और शहरी सहकारी बैंकों के लिए आरबीआई द्वारा व्यक्तिगत आवास ऋण सीमा दोगुनी से अधिक की गई:
i.शहरी सहकारी बैंकों की आवास ऋण सीमा को 30 लाख रुपये से दोगुना बढ़ाकर 60 लाख रुपये कर दिया गया है।
ii.ग्रामीण सहकारी बैंकों की आवास ऋण सीमा को 30 लाख रुपये से ढाई गुना बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दिया गया है।
23. ग्रामीण सहकारी बैंक अब वाणिज्यिक अचल संपत्ति/आवासीय आवास क्षेत्र को ऋण देने में सक्षम होंगे: इससे उनके कारोबार में विविधता आएगी: इससे न केवल ग्रामीण सहकारी बैंकों को अपने कारोबार में विविधता लाने में मदद मिलेगी बल्कि आवास सहकारी समितियों को भी लाभ होगा।
24. सहकारी बैंकों के लिए लाइसेंस शुल्क में कमी: सहकारी बैंकों को ‘आधार सक्षम भुगतान प्रणाली’ (एईपीएस) से जोड़ने के लिए लाइसेंस शुल्क को लेनदेन की संख्या से जोड़कर कम कर दिया गया है। सहकारी वित्तीय संस्थान भी पूर्व-उत्पादन चरण के पहले तीन महीनों के लिए मुफ्त सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। इससे किसान अब बायोमेट्रिक्स के माध्यम से अपने घरों पर ही बैंकिंग सुविधा प्राप्त कर सकेंगे।
25. गैर-अनुसूचित यूसीबी, एसटीसीबी और डीसीसीबी को सीजीटीएमएसई योजना में सदस्य ऋणदाता संस्थानों (एमएलआई) के रूप में अधिसूचित किया गया: इससे ऋण देने में सहकारी समितियों की हिस्सेदारी बढ़ाई जा सकेगी। सहकारी बैंक अब दिए गए ऋण पर 85 प्रतिशत तक जोखिम कवरेज का लाभ प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही, सहकारी क्षेत्र के उद्यम अब सहकारी बैंकों से आनुशंगिक-मुक्त ऋण प्राप्त कर सकेंगे।
26. शहरी सहकारी बैंकों को शामिल करने के लिए समय-निर्धारण मानदंडों की अधिसूचना: शहरी सहकारी बैंक जो ‘वित्तीय रूप से सुदृढ़ और सुप्रबंधित’ (एफएसडब्ल्यूएम) मानदंडों को पूरा करते हैं और पिछले दो वर्षों के लिए टियर 3 के रूप में वर्गीकरण के लिए अपेक्षित न्यूनतम जमा को बनाए रखते हैं, वह अब भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की अनुसूची-II में शामिल होने और ‘अनुसूचित’ दर्जा प्राप्त करने के पात्र हैं।
27. गोल्ड लोन के लिए आरबीआई द्वारा मौद्रिक सीमा दोगुनी की गई: भारतीय रिजर्व बैंक ने पीएसएल लक्ष्यों को पूरा करने वाले शहरी सहकारी बैंकों के लिए मौद्रिक सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दी है।
28. शहरी सहकारी बैंकों के लिए अम्ब्रेला संगठन: भारतीय रिजर्व बैंक ने यूसीबी क्षेत्र के लिए एक अम्ब्रेला संगठन (यूओ) का गठन करने के लिए नेशनल फेडरेशन ऑफ अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स एंड क्रेडिट सोसाइटीज लिमिटेड (एनएएफसीयूबी) को मंजूरी प्रदान की है, जो लगभग 1,500 यूसीबी को आवश्यक आईटी अवसंरचना और परिचालन सहायता प्रदान करेगा।
सी. आयकर अधिनियम में सहकारी समितियों को राहत
29. एक से 10 करोड़ रुपये के बीच की आय वाली सहकारी समितियों के लिए अधिभार 12% से घटाकर 7% किया गया: इससे सहकारी समितियों पर आयकर का बोझ कम पड़ेगा और उनके सदस्यों के लाभ हेतु काम करने के लिए उनके पास अधिक पूंजी उपलब्ध होगी।
30. सहकारी समितियों के लिए मैट 18.5% से घटाकर 15% किया गया: इस प्रावधान के साथ, अब इस संबंध में सहकारी समितियों और कंपनियों के बीच समानता है।
31. आयकर अधिनियम की धारा 269 एसटी के अंतर्गत नकद लेनदेन में राहत: आयकर अधिनियम की धारा 269 एसटी के अंतर्गत सहकारी समितियों द्वारा नकद लेनदेन में कठिनाइयों को दूर करने के लिए, सरकार ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है जिसमें कहा गया है कि एक दिन में सहकारी समिति द्वारा अपने वितरक के साथ किए गए 2 लाख रुपये से कम के नकद लेनदेन पर अलग से विचार किया जाएगा और उस पर आयकर जुर्माना नहीं लगेगा।
32. नई विनिर्माण सहकारी समितियों के लिए कर में कटौती: सरकार ने निर्णय लिया है कि 31 मार्च, 2024 तक विनिर्माण गतिविधियां शुरू करने वाली नई सहकारी समितियों के लिए 30% तक की पिछली दर की तुलना में 15% की कम कर दर और अधिभार लगाया जाएगा। इससे विनिर्माण क्षेत्र में नई सहकारी समितियों के गठन को प्रोत्साहन मिलेगा।
33. पीएसीएस और पीसीएआरडीबी द्वारा नकद जमा और नकद ऋण की सीमा में वृद्धि: सरकार ने पीएसीएस और प्राथमिक सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (पीसीएआरडीबी) द्वारा नकद जमा और नकद ऋण की सीमा 20,000 रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये प्रति सदस्य कर दी है। यह प्रावधान उनकी गतिविधियों को सुविधाजनक बनाएगा, उनके व्यवसाय को बढ़ाएगा और उनके सदस्यों को लाभान्वित करेगा।
34. नकद निकासी में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की सीमा में वृद्धि: सरकार ने स्रोत पर कर कटौती के बिना सहकारी समितियों की नकद निकासी सीमा को 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये प्रति वर्ष कर दिया है। इस प्रावधान से सहकारी समितियों को स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की बचत होगी, जिससे उनकी तरलता बढ़ेगी।
डी. सहकारी चीनी मिलों का पुनरुद्धार
35. चीनी सहकारी मिलों को आयकर से राहत: सरकार ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है कि अप्रैल, 2016 से किसानों को उचित और लाभकारी या राज्य सरकार द्वारा सलाह दिए गए मूल्य तक गन्ने की अधिक कीमतों का भुगतान करने के लिए सहकारी चीनी मिलों पर अतिरिक्त आयकर नहीं लगाया जाएगा।
36. चीनी सहकारी मिलों के आयकर से संबंधित दशकों पुराने लंबित मुद्दों का निपटारा: सरकार ने अपने केंद्रीय बजट 2023-24 में एक प्रावधान किया है, जिसमें चीनी सहकारी समितियों को आकलन वर्ष 2016-17 से पहले की अवधि के लिए गन्ना किसानों को अपने भुगतान के व्यय का दावा करने की अनुमति दी गई है, जिससे उन्हें 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की राहत प्राप्त हुई है।
37. चीनी सहकारी मिलों को मजबूत करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की ऋण योजनाएं शुरू की गईं: सरकार ने एनसीडीसी के माध्यम से इथेनॉल संयंत्रों या सह-उत्पादन संयंत्रों की स्थापना या कार्यशील पूंजी या सभी तीनों उद्देश्यों के लिए एक योजना शुरू की है। एनसीडीसी द्वारा अब तक 36 सहकारी चीनी मिलों के लिए 5746.76 करोड़ रुपये की ऋण राशि स्वीकृत की गई है।
38. इथेनॉल की खरीद में सहकारी चीनी मिलों को वरीयता: इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा इथेनॉल खरीद के लिए सहकारी चीनी मिलों को अब निजी कंपनियों के बराबर रखा गया है।
39. शीरे पर जीएसटी 28% से घटाकर 5% करने का निर्णय: सरकार ने शीरे पर जीएसटी को 28% से घटाकर 5% करने का निर्णय लिया है, जिससे सहकारी चीनी मिलें उच्च मार्जिन के साथ डिस्टिलरी को शीरा बेचकर अपने सदस्यों के लिए अधिक लाभ अर्जित करने में सक्षम होंगी।
ई. तीन नई राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य समितियां
40. प्रमाणित बीजों के लिए नई राष्ट्रीय बहु-राज्यीय सहकारी बीज समिति: सरकार ने एमएससीएस अधिनियम, 2002 के अंतर्गत एक नई शीर्ष बहु-राज्य सहकारी बीज समिति की स्थापना की है, जिसका नाम भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) है, जो एकल ब्रांड के अंतर्गत गुणवत्ता वाले बीज की खेती, उत्पादन और वितरण के लिए एक अम्ब्रेला संगठन है। बीबीएसएसएल ने अब तक रबी मौसम के दौरान 366 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं, सरसों और दलहन (चना, मटर) के ब्रीडर बीज लगाए हैं। इसी प्रकार, खरीफ मौसम के दौरान 148.26 हेक्टेयर भूमि पर पेडी, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, ज्वार और ग्वार के ब्रीडर बीज लगाए हैं। अब तक, 11714 पैक्स/सहकारी समितियां बीबीएसएसएल की सदस्य बन चुकी हैं।
41. जैविक खेती के लिए नई राष्ट्रीय बहु-राज्यीय सहकारी जैविक सोसायटी: सरकार ने एमएससीएस अधिनियम, 2002 के अंतर्गत प्रमाणित और प्रामाणिक जैविक उत्पादों के उत्पादन, वितरण और विपणन के लिए एक अम्ब्रेला संगठन के रूप में राष्ट्रीय सहकारी आर्गेनिक्स लिमिटेड (एनसीओएल) नामक एक नई शीर्ष बहु-राज्य सहकारी जैविक समिति की स्थापना की है। अब तक 3,775 पैक्स/सहकारी समितियां एनसीओएल की सदस्य बन चुकी हैं। अब तक, एनसीओएल द्वारा “भारत ऑर्गेनिक्स” ब्रांड के अंतर्गत 12 जैविक उत्पादों को लॉन्च किया गया है।
42. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नई राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी निर्यात सोसायटी: सरकार ने सहकारी क्षेत्र से निर्यातों पर मजबूती प्रदान करने के लिए एक अम्ब्रेला संगठन के रूप में एमएससीएस अधिनियम, 2002 के अंतर्गत एक नई शीर्षस्थ बहु-राज्यीय सहकारी निर्यात सोसायटी, राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) की स्थापना की है। अबतक लगभग 7,700 पैक्स/सहकारी समितियां एनसीईएल की सदस्य बन चुकी हैं। एनसीईएल द्वारा कुल 8,15,007 मीट्रिक टन वस्तुओं का निर्यात किया गया है, जिसमें से 8,01,790 मीट्रिक टन चावल, 7,685 मीट्रिक टन प्याज, 4,507 मीट्रिक टन चीनी, 1,025 मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात किया गया है।
एफ. सहकारी समितियों में क्षमता निर्माण
43. राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) के माध्यम से प्रशिक्षण और जागरूकता को बढ़ावा: अपनी पहुंच बढ़ाकर, एनसीसीटी ने वित्त वर्ष 2023-24 में 3,619 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं और 2,21,478 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया है। अप्रैल से जून 2024 तक, एनसीसीटी ने 435 कार्यक्रमों के त्रैमासिक लक्ष्य के मुकाबले 494 कार्यक्रम आयोजित किए हैं और 10,875 प्रतिभागियों के लक्ष्य के मुकाबले 19,591 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया है।
44. सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना: सहकारी शिक्षा, प्रशिक्षण, परामर्श, अनुसंधान एवं विकास और प्रशिक्षित जनशक्ति की सतत और गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति के लिए राष्ट्रीय स्तर के सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सहकारिता मंत्रालय द्वारा कैबिनेट नोट तैयार किया गया है।
जी. ईज ऑफ डूईंग बिजनेस‘ के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग
45. केंद्रीय पंजीयक कार्यालय का कम्प्यूटरीकरण: बहु-राज्य सहकारी समितियों के लिए एक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने के लिए केंद्रीय रजिस्ट्रार कार्यालय को कम्प्यूटरीकृत किया गया है, जो समयबद्ध रूप से आवेदनों और सेवा अनुरोधों को संसाधित करने में सहायता प्रदान करेगा।
46. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में आरसीएस के कार्यालय के कम्प्यूटरीकरण की योजना: सहकारी समितियों के लिए ईज ऑफ डूईंग बिजनेस और सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पारदर्शी कागज रहित विनियमन के लिए एक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने के लिए, आरसीएस कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण के लिए एक केंद्र प्रायोजित परियोजना को सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को हार्डवेयर की खरीद, सॉफ्टवेयर के विकास आदि के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा।
47. कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) का कम्प्यूटरीकरण: दीर्घावधिक सहकारी ऋण संरचना को सुदृढ़ बनाने के लिए, 13 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में फैली कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) की 1,851 इकाइयों के कंप्यूटरीकरण की परियोजना सरकार द्वारा अनुमोदित की गई है। नाबार्ड, परियोजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी है और एआरडीबी के लिए राष्ट्रीय स्तर का सॉफ्टवेयर विकसित करेगा। परियोजना के अंतर्गत हार्डवेयर, विरासत डेटा के डिजिटलीकरण के लिए समर्थन, कर्मचारियों को प्रशिक्षण आदि प्रदान किया जाएगा। अब तक 10 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं और स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा, हार्डवेयर की खरीद, डिजिटलीकरण और समर्थन प्रणाली की स्थापना के लिए वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 में 8 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को भारत सरकार के हिस्से के रूप में 4.26 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई।
एच. अन्य पहल
48. प्रामाणिक और अद्यतन डेटा भंडार के लिए नया राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस: पूरे देश में सहकारिताओं से संबंधित कार्यक्रमों/योजनाओं के नीति निर्माण और कार्यान्वयन में हितधारकों की सुविधा के लिए राज्य सरकारों के समर्थन से सहकारिताओं का एक डेटाबेस तैयार किया गया है। अब तक, लगभग 8.09 लाख सहकारी समितियों के डेटा को डेटाबेस में शामिल किया गया है।
49. नई राष्ट्रीय सहकारी नीति का निर्माण: ‘सहकार-से-समृद्धि’ के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम बनाने के लिए नई राष्ट्रीय सहकारी नीति तैयार करने के लिए पूरे देश से 49 विशेषज्ञों और हितधारकों की एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन किया गया है।
50. बहु-राज्य सहकारी समिति (संशोधन) अधिनियम, 2023: शासन को मजबूत करने, पारदर्शिता बढ़ाने, जवाबदेही बढ़ाने, चुनावी प्रक्रिया में सुधार लाने और बहु-राज्य सहकारी समितियों में 97वें संवैधानिक संशोधन के प्रावधानों को शामिल करने के लिए एमएससीएस अधिनियम, 2002 में संशोधन किया गया है।
51. जीईएम पोर्टल पर सहकारी समितियों को ‘खरीदारों‘ के रूप में शामिल करना: सरकार ने सहकारी समितियों को जीईएम पर ‘खरीदार’ के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति प्रदान की है, जिससे वे आर्थिक खरीद और अधिक पारदर्शिता की सुविधा प्राप्त करने के लिए 67 लाख से अधिक विक्रेताओं से सामान और सेवाएं खरीद सकते हैं। अब तक, 559 सहकारी समितियों को खरीदारों के रूप में जीईएम पर शामिल किया गया है।
52. राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) का सीमा और पहुंच बढ़ाने के लिए विस्तार: एनसीडीसी ने विभिन्न क्षेत्रों में नई योजनाएं शुरू की हैं जैसे एसएचजी के लिए ‘स्वयंशक्ति सहकार’; दीर्घावधिक कृषि ऋण के लिए ‘दीर्घावधि कृषक सहकार’ और डेयरी के लिए ‘डेयरी सहकार’। वित्त वर्ष 2023-24 में एनसीडीसी द्वारा 60,618.47 करोड़ रुपये की कुल वित्तीय सहायता वितरित की गई है। एनसीडीसी ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 19,287.17 करोड़ रुपये का वितरण किया है। भारत सरकार ने एनसीडीसी को निर्दिष्ट नियमों और शर्तों के पालन के अधीन, सरकारी गारंटी के साथ 2,000 करोड़ रुपये के बांड जारी करने की अनुमति प्रदान की है। इसके अलावा, एनसीडीसी 6 पूर्वोत्तर राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और त्रिपुरा में उप-कार्यालय स्थापित कर रहा है, जिसका उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय योजनाओं को सहकारी समितियों तक उनके डोरस्टेप तक ले जाना है।
53. एनसीडीसी द्वारा गहरे समुद्र में ट्रॉलरों के लिए वित्तीय सहायता: एनसीडीसी भारत सरकार के मत्स्य विभाग के समन्वय से गहरे समुद्र में ट्रॉलरों से संबंधित परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। एनसीडीसी द्वारा विभिन्न वित्तीय सहायता स्वीकृत की गई हैं जैसे 20.30 करोड़ रुपये की ब्लॉक लागत पर महाराष्ट्र में 14 गहरे समुद्री ट्रॉलरों की खरीद के लिए 11.55 करोड़ रुपये, 46.74 करोड़ रुपये की ब्लॉक लागत पर समुद्री खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए राजमाता विकास मच्छीमार सहकारी संस्था लिमिटेड, मुंबई को 37.39 करोड़ रुपये, केरल सरकार की एकीकृत मत्स्य विकास परियोजना (आईएफडीपी) के लिए 32.69 करोड़ रुपये और एनसीडीसी ने 36 करोड़ रुपए की ब्लॉक लागत से 30 गहरे समुद्र में चलने वाले ट्रालरों की खरीद के लिए श्री महावीर मच्चीमार सहकारी मंडली लिमिटेड, गुजरात के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है।
54. सहारा ग्रुप ऑफ सोसायटी के निवेशकों को रिफंड: सहारा समूह की सहकारी समितियों के वास्तविक जमाकर्ताओं को पारदर्शी रूप से भुगतान करने के लिए एक पोर्टल शुरू किया गया है। वास्तविक जमाकर्ताओं की पहचान करने और उनके द्वारा जमा राशियों और दावों का प्रमाण प्रस्तुत करने के बाद रिफंड पहले ही शुरू हो चुका है।