Home AGRICULTURE खरीफ फसल की बुआई 904 लाख हेक्टेयर से ज़्यादा

खरीफ फसल की बुआई 904 लाख हेक्टेयर से ज़्यादा

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पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 263.01 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष 276.91 लाख हेक्टेयर में चावल की खेती की गई

उर्वरकों के संतुलित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये सरकार किसानों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पोषक तत्वों से भरपूर सब्सिडीयुक्त उर्वरक उपलब्ध कराती है

सतपुड़ा एक्सप्रेस दिल्ली:कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 2 अगस्त 2024 तक खरीफ फसलों के अंतर्गत बुआई क्षेत्र कवरेज की प्रगति जारी की है।पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान दलहन की 99.71 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष 110.61 लाख हेक्टेयर में खेती की गई
पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 160.38 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष 165.59 लाख हेक्टेयर में श्रीअन्न/ मोटे अनाज की खेती की गई
पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 174.53 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष 179.69 लाख हेक्टेयर में तिलहन की खेती की गई

क्षेत्रफललाख हेक्टेयर में

क्रम सख्या. फसलेंबोया गया क्षेत्र
वर्तमान वर्ष 2024पिछला वर्ष 2023
1चावल276.91263.01
2दाल110.6199.71
aअरहर41.8933.27
bउड़द दाल25.9626.21
cमूंगदाल31.6228.15
dकुल्थी0.160.20
eमोथ बीन7.868.90
eअन्य दालें3.112.99
3श्रीअन्न सह मोटे अनाज165.59160.38
aज्वार13.5312.78
bबाजरा62.7065.99
cरागी3.183.97
dछोटा बाजरा3.933.07
eमक्का82.2574.56
4तिलहन179.69174.53
aमूंगफली44.0639.24
bसोयाबीन123.77120.51
cसूरजमुखी0.660.55
dतिल9.5110.07
eरामतिल0.230.11
fअरंड़ी1.414.01
gअन्य तिलहन0.040.05
5गन्ना57.6857.11
6जूट और मेस्टा5.696.29
7कपास108.43118.19
कुल904.60879.22

सरकार किसानों को किफायती मूल्य पर उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये सब्सिडी देती है


उर्वरकों के संतुलित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये सरकार किसानों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पोषक तत्वों से भरपूर सब्सिडीयुक्त उर्वरक उपलब्ध कराती है
जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिये 1500 रूपये प्रति मीट्रिक टन की दर से बाजार विकास सहायता दी जाती है
सरकार किसानों को किफायती मूल्य पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये सब्सिडी प्रदान करती है। ‘उर्वरकों में डीबीटी’ प्रणाली के तहत उर्वरक कंपनियों को विभिन्न उर्वरक ग्रेड पर 100 प्रतिशत सब्सिडी जारी की जाती है। यह सब्सिडी प्रत्येक खुदरा दुकान पर स्थापित पीओएस उपकरण के माध्यम से आधार प्रमाणीकरण के आधार पर लाभार्थी को की गई वास्तविक बिक्री पर दी जाती है। वर्ष 2019-20 से 2024-25 (22.07.2024 की स्थिति के अनुसार) तक दी गई सब्सिडी का विवरण उपलब्ध है और यह इस प्रकार है।
वर्ष
राशि (करोड़ रुपए में)
2019-20
83466.51
2020-21
131229.5
2021-22
157640.1
2022-23
254798.9
2023-24
195420.51
2024-25 (22.07.24 तक)
36993.39
 
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने सूचित किया है कि पोषक तत्वों से भरपूर उर्वरक सूनिश्चित करने के लिये मृदा परीक्षण आधारित संतुलित और एकीकृत पोषण प्रबंधन व्यवहारों के उपयोग में अजैविक और जैविक स्रोतों (कम्पोस्ट, जैव-उर्वरक, हरित खाद आदि) दोनों के मिश्रित उपयोग, नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का विभाजित अनुप्रयोग और नियुक्ति, धीमी गति से निकलने वाले एन-उर्वरक का उपयोग, नाइट्रीकरण अवरोधक और नीम लेपित यूरिया आदि के उपयोग की सिफारिश की गई है। उर्वरक के संतुलित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये भारत सरकार विभिन्न योजनाओं जैसे कि स्वदेशी पी एण्ड के, आयोतित पी एण्ड के, घरेलू यूरिया और आयातित यूरिया जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को पोषक तत्वों से भरपुर सब्सिडीयुक्त उवरक उपलब्ध कराती है। इसके अलावा सरकार ने जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिये 1500 रूपये प्रति मीट्रिक टन की दर से बाजार विकास सहायता (एमडीए) की मंजूरी दी है।
केंन्द्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने बताया कि जल राज्य का विषय है, इसलिये इसकी गुणवत्ता सहित, जल प्रबंधन के लिये पहल करना, प्राथमिक तौर पर राज्य की जिहम्मेदारी है। हालांकि, देश में भूजल की गुणवत्ता में सुधार/प्रदूषित जल के समाधान के लिये केन्द्र सरकार ने अनेक कदम उठाये हैं, जो कि नीचे दिये गये हैं:
1. सीजीडब्ल्यूबी के पास भूजल की गुणवत्ता संबंधी आंकड़ों को रिपोर्टों के माध्यम से सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराया जाता है, इसके साथ ही वेबसाइट (https://cgwb.gov.in) के माध्यम से भी इसे विभिन्न हितधारकों के उपयोग के लिये उपलब्ध कराया जाता है। इन आंकड़ों को आवश्यक उपचारात्मक उपाय करने के लिये संबंधित राज्य सरकारों के साथ भी साझा किया जाता है।
2. सीजीडब्ल्यूबी द्वारा भूजल से संबंधित विभिन्न पहलुओं, जिसमें भूजल पदूषण को रोकना और प्रदूषित जल का सुरक्षित इस्तेमाल करने को लेकर जागरूकता बढ़ाने के कार्यक्रम/कार्यशालाओं का समय समय पर आयोजन किया जाता है।
पोटेशियम युक्त कई उर्वरक गे्रड को पोषण आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना में शामिल किया गया है। जैसे कि म्यूरिएट आफ पोटाश (60 प्रतिशत के), एनपीके 10-26-26 (26 प्रतिशत के), एनपीके 15-15-15 (15 प्रतिशत के), एनपीके 17-17-17 (17 प्रतिशत के), एनपीके 19-19-19 (19 प्रतिशत के), एनपीके 16-16-16 (16 प्रतिशत के), एनपीके 14-35-14 (14 प्रतिशत के), एनपीके 14-28-14 (14 प्रतिशत के), एनपीके 12-32-16 (16 प्रतिशत के), एनपीकेएस 15-15-15-09 (15 प्रतिशत के), एनपीके 8-21-21 (21 प्रतिशत के), एनपीके 9-24-24 (24 प्रतिशत के), और एनपीके 11-30-14 (14 प्रतिशत के)। इसके अलावा शीरा से निकलने वाले पोटोश (पीडीएम), जो कि 14.5 प्रतिशत के के साथ 100 प्रतिशत घरेलू विनिर्मित उर्वरक है, को भी 13.10.2021 से एनबीएस व्यवस्था के तहत अधिसूचित किया गया है।

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