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भव्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ आयोजन

सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा।कृषि विज्ञान, उद्यानिकी एवं उनसे संबंधित विषय के अनुसंधान एवं विकास के जगत की अंतदृष्टी ‘इस विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन दिनांक 5 अक्टुबर से 7 अक्टुबर 2023 को ” जी एच रायसोनी यूनिवर्सिटी, साईंखेड़ा व्दारा आयोजित किया किया गया।इस सम्मेलन के आयोजन कर्ता मुख्य रूप से जी. एच. रायसोनी विश्वविद्यालय, जस्ट अ एग्रीकल्चर एज्यूकेशन ग्रुप एवं अग्रो इनव्हीरॉनमेन्टल एज्यूकेशन ॲन्ड फार्मर वेलफेयर सोसायटी थे, यह कार्यक्रम इनके संयुक्त प्रयास से सुनिश्चित किया गया ।इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि मा. डॉ सी डी माई, प्रेसीडेंट, डॉ धीरेन्द्र खरे, डीन कृषि संकाय जे न के वि वि जबलपुर, डॉ पातुरकर, माफसु नागपुर, डॉ डा. वाईजी प्रसाद, केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, नागपुर एवं सुनील रायसोनी, कुलपति के करकमलों से दिनांक 5 अक्टूबर 2023 को किया गया। जी. एच. रायसोनी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति मा. श्री. सुनील रायसोनी की अध्यक्षता में सपन्न हुए इस समारोह में डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषी विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति डॉ. एस. आर. गडाख, जी. एच. रायसोनी विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. मीना राजेश, कृषी विभाग के अधिष्ठाता डॉ केविन गवली और जस्ट एग्रीकल्चर के संस्थापक डॉ बड़वाल तथा अन्य मान्यवरों की उपस्थिती में हुआ।कृषि तथा उनसे संबंधित क्षेत्रों में अत्याधुनिक शोध एवं अनुसंधान तथा उनसे संबंधित आदान-प्रदान इस समारोह का मुख्य उद्देश्य रहा। डॉ पातुरकर ने कहा है कि कृषि और पशुपालन में आधुनिक और परंपरागत तरीकों को साथ लेकर चलने की जरूरत है। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को ज्यादा से ज्यादा समृद्ध किया जा सके।रायसोनी ग्रुप के चेयरमैन और राइसोनी यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति सुनील राइसोनी को लाइफ टाइम एचीवमेंट अवॉर्ड से सम्‍मानित किया गया।

सम्मेलन में नागपुर के डॉ माई ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक मौसमी घटनाएं हो रही हैं, बार-बार हो रही हैं। इन चुनौतियों को वैश्विक दक्षिण द्वारा सबसे अधिक महसूस किया जाता है। और जे एन के वी, जबलपुर के डॉ धीरेन्द्र खरे ने कहा कि देश भर के किसान धरती माता के कायाकल्प पर ध्यान देने के साथ सिंथेटिक उर्वरकों या कीटनाशकों का उपयोग न करके प्राकृतिक खेती कर रहे हैं।इस समारोह का आधिकारिक लाभ कृषि वैज्ञानिक, प्राध्यापकगण, अनुसंधान केन्द्र, उनसे संबंधित अनुसंधानकर्ता, विद्यार्थीगण के अलावा देश विदेश करीब 1500 प्रतिभागी शामिल हुए ।