सतपुड़ा एक्सप्रेस पांढुरना:-कोरोना काल से बंद हुई दादा धाम एक्सप्रेस को पुनः सुरु कराने को लेके नगर की प्रसिद्ध विशाल जाम सांवली पदयात्रा समिति ने क्षेत्र के सभी सामाजिक,धार्मिक,राजनीतिक पार्टियों को क्षेत्र के दादाजी भक्तो की मांग को पूरा करने के लिए अभी अपना अपना वर्चस्व का स्वार्थ छोड़ केवल दादा धाम एक्सप्रेस को सुरु कराने हेतु सरकार से मांग करनी चाहिए।
क्या वह दिन था,जिस सपने को लेकर क्षेत्र के दादाजी महाराज के भक्त कई सालों से इंतजार कर रहे थे,भक्त और उनकी भक्ति दादाजी धूनीवाले वाले के प्रति अगाध है,जिस परमपिता परमात्मा दादाजी धूनीवाले की भक्ति को संसार वाले “आग का घर” मानते तो है,परन्तु उनके प्रति संसार का आदर और साक्ष्यात्कार भी है,वह भी दादाजी पर पुरा भरोसा रखते है, फिर भी उनके मन मे दादाजी महाराज के प्रति डर था,और रहेगा,क्यों की वह सभी जानते है की यह मर्यादा का घर है,इसी लिए उन्हें दूर से ही प्रणाम करके अपनी मनोकामना पूर्ण कर लेते है,क्षेत्र से लेकर संसार के सभी धर्मों को मानने वाले भी उनको बिना धर्म जाती के उन्हें साक्ष्यात परपिता ही मानते है,नगर के ऐसे अनेक भक्त जो जाति के मुस्लिम होने के बाद भी दादाजी महाराज के सुंदर भजन गाते थे,दादाजी की सेवा भी ऐसी जिन्हें उनकी भक्ति और दादाजी की शक्ति का परिचय करवाती है,आज भी उनकी भक्ति इतनी कठिन है,जिन्हें भक्त नंगे पांव और निरंतर दादा नाम सुमिरन करते हुए गुरु पूर्णिमा के पर्व पर काँधे पर निशान लेकर भजलो दादाजी का नाम,भजलो हरिहर जी का नाम सुमिरन करते जाते है,आज कल तो अनेक सुविधाये हो गयी जैसे,रोड है,बस है,दू वीलर है,जिसके पैदल जरिये निशान वालो की भोजन पानी की वैवस्था हो जाती है,उकने के लिए स्कूल पंचायत मिल जाती है,परन्तु 1945 के समय पर ना रास्ता था,ना बस चलती थी,ना रुकने का साधन था,और तो ना ही लाइट थी ,लाल टेन की रोशनी कर जंगलो में रुक,रुक कर जंगली जानवरों से बचते बचते दादा धाम जाते थे,उन भक्तो की दादाजी महाराज के प्रति क्या समर्पित भक्ति होगी, यह आप भली भांति जान सकते है,
आज युग बदल गया,श्री दादाजी महाराज के समय की बात है,दादाजी दरबार खंडवा में जिस समय हरि हर भोले भगवान छोटे दादाजी महाराज, धूनीवाले दादाजी दरबार मे आरती का समय चल रहा था,जैसे ही आरती शुरू होने वाली थी,उसी समय (पूर्व के आज के स्थिति में जहा दादाजी दरबार के नजदीक इंदौर रोड है जहा पूर्व में वहा से रास्ते के जगह रेलवे पटरी थी,जहा से इंदौर की ट्रेन गुजरती थी),उसके ट्रेन के इंजन से जो पोगा(हार्न) बजता था, उसी समय हरिहर भोले भगवान ने कहा था,अरे यह इंदौर रेल्वे मार्ग बहुत परेशान कर रहा है,उसी समय उनकी महा वाणी हुई थी,अरे इसे बंद कर नागपुर रेल लाइन खोलू गा, आज उनका साक्षात कार देख लीजिये, आज दादा दरबार के आगे इंदौर रोड है,वहा एक समय रेलवे पटरी थी,आज सबसे अधिक भक्त नागपुर रेलवे लाइन से दादाजी धाम जाते है,ऐसे थे हमारे संत दादाजी, आज गुरु पूनम को जाकर देखिये,कौन खंडवा धाम को पांढुरना धाम नही कहेगा,गुरु पूनम के दिन केवल नागपुर,बैतुल पांढुरना ,सौसर के ही सबसे अधिक भक्त होते है,उसमे भी समसे अधिक भक्त पांढुरना क्षेत्र के ही लोग होते है,दादाजी महाराज के दर्शन के लिए लाखों लोग अमीर से लेकर गरीब तक थोड़ी सी झलक पाने लम्बी कतार लगाकर घण्टो बाद दर्शन लेती है,वही पांढुरना क्षेत्र के भक्त दादाजी के समीप सेवा में होते है,मालिक की मालिस सेवा से लेकर,भंडार सेवा,फूल सेवा,आरती सेवा में तल्लीन दिखाई देते है,सुबह चार बजे फूल तोड़कर लाता है,नगाड़ा झांझ वही बजाते है,यही नही पांढुरना क्षेत्र से साल भर लोग अपने दादाजी की सेवा के लिए साल भर आते जाते ही रहते है,भगवान की पांढुरना सौसर,नागपुर,बैतूल के भक्तों पर श्री दादाजी की असीम कृपा है,ऐसे ही भक्तों के प्रति मालिक दादाजी धूनीवाले जी ने उनकी भक्ति देख,(क्षेत्र का ऐसा कोई भक्त नही होगा या घर नही होगा,जिसके परिवार का एक न एक सदस्य गुरु पूनम पर खण्डवा नही जाता,परन्तु कौन नही चाहेगा कि खण्डवा जाकर मालिक के दर्शन करना नही चाहिए,परन्तु कोई साधन नही होने से पहुच नही पाता,और उनकी दर्शन की अभिलाषा केवल स्वप्न बन कर रह जाती थी) मालिक भी भक्तो की पूरी परीक्षा लेते है,पहले पैदल चलाया फिर मार्ग के स्थान पर ट्रेन से सुविधाएं, मालिक ने सरल कर दी उसमे भी दादाजी महाराज का खेल देखो, ट्रेन तो दी उसमे भी कुछ वर्षो तक परेशानी दी,पहले नागपुर जाओ फिर इटारसी उतरो फिर खंडवा की ट्रेन पकड़ो,फिर धीरे से पांढुरना ट्रेन रुकवाना शुरू हुई, इसमे भी इटारसी फिर खंडवा की ट्रेन अलग रखी,अरे मालिक ने तो भक्तो के लिए इतनी सुविधा कर दी थी कि अब भक्तो को पांढुरना से सीधा खण्डवा धाम जैसी दादा धाम ट्रेन दे दी जिसमे कभी भी मालिक से मिलने जाओ और अभी भी वापस आओ,मालिक की इस कृपा को देख सारे भक्त खुश थे,चाहे वह 2 साल का बच्चा हो, महिला हो, पुरुष हो, चाहे 80 साल का बुजुर्ग हो जब चाहे तब जाकर दर्शन कर आता था,यही नही तो दादा धाम में पांढुरना क्षेत्र का नाम भी इतिहास में दर्ज करवा दिया था,उस दादा धाम का शुभारंभ पांढुरना जैसे छोटे से नगर से करवा दिया,चाहे तो नागपुर से करवा सकते थे,परन्तु मालिक की पांढुरना क्षेत्र के जनता की भक्ति को देख, दादा धाम एक्सप्रेस का शुभारंभ भी पांढुरना से करवा दिया,और शुरुवात भी पांढुरना से हुई,इतनी पावन ट्रेन थी कि जिस दादा धाम एक्सप्रेस की प्रथम टिकिट और प्रथम सफर करने वाले हमारे पूज्यनीय श्री कोमल भाऊ (दादा भाऊ) थे जिन्होंने स्वयम होकर पांढुरना से खंडवा धाम तक का सफर दादा धाम से तय किया था,परन्तु भक्तो के प्रेम में बाधा उत्पन्न करने वाला ऐसा कोनसा दिन था कि कोरोना जैसी राक्षसी बला ने भक्त और भगवान के अटूट सम्बंध में विघ्न पैदा कीया,और दादा धाम ट्रेन को बंद होना पड़ा, जिसमे क्षेत्र के हर एक भक्त ने द्रवित ह्रदय से भगवान से विनय किया कि,” हे भगवान हमसे ऐसी कौनसी भूल हुई,अगर हमारे भक्ति में कमी रह गयी हो तो,हमे शमा करो ” परन्तु हे परमात्मा जब से दादा धाम बंद हुई है,तब से आपके पावन पर्व में भी आपके भक्त परिवार क्षेत्र पांढुरना से भी गरीब भक्त आप तक नही पहुच पाए,भगवान वही खंडवा था जो गुरु पूर्णिमा को पांढुरना और पंढरपुर बन जाता था,वही दो चार साल से गुरुपूर्णिमा को भी खण्डवा-खण्डवा ही रहा,पांढुरना और पंढरपुर नही बन पाया,मालिक हमे क्षमा करो परन्तु आपके बूढे हो चुके उन भक्तो की और देखो,जो 80 साल की उम्र में दादाजी दादाजी कह रहे है,उनकी दर्शन की अभिलाषा को तो पूर्ण करो,भगवान हमारे लिए नही कम से कम उनके लिए तो दादा धाम शुरू करो आपके भक्त आपसे भीख- मांगते है,हमे कुछ मत दीजिये परन्तु हमें दादा धाम दीजिए,,,, सौसर,नागपुर,बैतूल क्षेत्रो के भक्तो की एक ही मांग केवल दादा धाम की मांग करते हुए समिति द्वारा नगर वासियो से मांग की है कि दादाजी के भक्तो के लिए दादा धाम की मांग करने हेतु सभी का योगदान अनिवार्य है,जिसको लेकर जल्द एक मंच का निर्माण कर शासन से जल्द दादा धाम एक्सप्रेस को शुरू करने की मांग की जाएगी जिसमें आपका सहयोग अनिवार्य रहेगा।