सतपुड़ा एक्सप्रेस भोपाल, —मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य विभाग ने अपने अधिकारियों, कर्मचारियों और शिक्षकों के हालिया स्थानांतरण को लेकर संभावित न्यायालयीन चुनौतियों के मद्देनज़र बड़ी पहल की है। विभाग ने उच्च न्यायालय जबलपुर सहित इंदौर और ग्वालियर खंडपीठ में केविएट याचिका दायर कर दी है, जिससे अब ट्रांसफर आदेशों पर स्टे लेना पहले की तुलना में आसान नहीं होगा।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, यह कदम विधिसम्मत और पारदर्शी प्रक्रिया में किए गए ट्रांसफर आदेशों की वैधता को मजबूत करने और शासन का पक्ष प्रभावी रूप से रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
जनजातीय कार्य विभाग के आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी सूचना में स्पष्ट किया गया है कि जिन कर्मचारियों द्वारा न्यायालय में याचिकाएं दायर की जाएंगी, उनके मामलों में शासन पूरी तैयारी के साथ जवाब देगा। विभाग का मानना है कि इससे अनावश्यक न्यायालयीन प्रक्रिया और ट्रांसफर नीतियों में बाधा उत्पन्न नहीं होगी।
🔹 क्या है केविएट याचिका?
केविएट एक प्रकार की अग्रिम याचिका होती है, जिसे संबंधित पक्ष न्यायालय में इसलिए दायर करता है ताकि यदि कोई याचिकाकर्ता उसके खिलाफ कोई मामला दायर करे, तो उसे बिना सुने कोई आदेश (जैसे स्टे) न दिया जाए।