सतपुड़ा एक्सप्रेस सौसर। अगर लगन हो तो रास्तें खुद-ब-खुद बन जाते है, शादी के सात फेरे लिये, घडी देखी और सीधा परीक्षा केन्द्र पहुच गई दुल्हन ने अपने सुनहरे कल के सपने को उत्तर पुस्तिका के लाईनों में अंकित कर दिया। एक अनोखी मिसाल बनी दुल्हन वसुधा जैसा शिक्षा के प्रति ऐसा समर्पण कम ही देखने को मिलता है। लाल जोडे में सजी, हाथों में मंहदी, माथे पर सिंदुर और गले में मंगलसूत्र में आमतौर पर इस रूप में दुल्हन विदा होकर ससुराल जाती है। सात फेरे लेकर षादी की सभी रस्में पुरी करने के बाद वसुधा अपने जीवन साथी ऋषभ पालीवाल के साथ शासकीय महाविद्यालय सौसर पहुची तथा बीएड की परीक्षा दी।
वसुधा एक निजी शिक्षा संस्था संचालक प्रशांत वाडेकर एवं हीना वाडेकर की पूत्री है। जिसका विवाह ऋषभ पालीवाल के साथ सम्पन्न हुआ। यह दुल्हन इस बात का प्रतीक बन गई कि, अगर इरादे मजबूत हो तो कोई भी परिस्थिति पढाई के रास्तें में बाधा नही बन सकती। परीक्षा केन्द्र में जब अन्य परीक्षार्थी सजी संवरी दुल्हन को उत्तर पुस्तिका भरते हुये देख रहे तो सभी की नजरे ठहर गई, लेकिन कलम रूकी नही। उसके चेहरे पर एक अनोखा आत्मविष्वास था। जो बता रहा था कि, यह दुल्हन सिर्फ घर नही भविष्य भी संवारने आई है। वसुधा ने बताया कि, शिक्षा एक पडाव हो सकता है, लेकिन पढाई एक यात्रा है। षिक्षा किसी रस्म के आगे नही झुकती। एक षिक्षित महिला ही परिवार और समाज को आगे बढाती है।