Home CITY NEWS बाबा धरणीधर की 101वीं जन्म जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम संपन्न

बाबा धरणीधर की 101वीं जन्म जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम संपन्न

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बाबा धरणीधर का व्यक्तित्व बहुत ही विशाल था- मुख्य अतिथि श्री रत्नाकर रतन

बाबा धरणीधर ने साहित्य की धारण क्षमता से यह अहसास कराया कि वे वास्तव में धरणीधर है- कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ.लक्ष्मीचंदबाबा

सतपुड़ा एक्सप्रेस छिन्दवाड़ा// म.प्र.हिन्दी साहित्य सम्मेलन की जिला इकाई द्वारा सोमवार को पीएमश्री एक्सीलेंस ऑफ कॉलेज शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय छिंदवाड़ा के बाबा संपतराव धरणीधर भवन में बाबा संपतराव धरणीधर की 101वीं जन्म जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम संपन्न हुये। महाव़िद्यालय के राजभाषा विभाग की हिन्दी स्नातकोत्तर परिसर के सहयोग से संपन्न इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिले के वरिष्ठ साहित्यकार श्री रत्नाकर रतन थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.लक्ष्मीचंद थे। इस कार्यक्रम में जहां साहित्यकारों ने बाबा संपतराव धरणीधर से जुडे अपने संस्मरण सुनाते हुये उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा की, वहीं युवा गायक श्री ओशिन धारे ने बाबा संपतराव धरणीधर की रचनाओं की संगीतिक प्रस्तुति देकर सभी को भावविभोर कर दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री रत्नाकर रतन ने कहा कि बाबा धरणीधर का व्यक्तित्व बहुत ही विशाल था तथा उनसे जुड़े कई संस्मरण है। सभी बड़े साहित्यकार उनसे प्रभावित थे और उनका आदर करते थे। कई कवि सम्मेलनों में उनके साथ मुझे जाने का अवसर मिला। उन्होंने दैनिक समाचार पत्र के संपादन के दौरान बाबा धरणीधर द्वारा लिखवाई गई रचनाओं और उनके प्रभावी व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ.लक्ष्मीचंद ने कहा कि कवि की कविता कालजयी होती है, किन्तु किसी कवि की कालजयता सबके हिस्से में नहीं आती। बाबा धरणीधर के हिस्से में यह कालजयता रही तथा उन्होंने अपने साहित्य की धारण क्षमता से यह अहसास कराया कि वे वास्तव में धरणीधर है। उन्होंने बाबा धरणीधर की आंख शीर्षक कविता की प्रभावशीलता पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस महाविद्यालय के राजभाषा विभाग में विभिन्न जिलों के विद्यार्थी अध्ययन करने आते हैं तथा छिंदवाड़ा जिले के साहित्यकारों की विरासत से उन्हें परिचित कराने के लिये राजभाषा विभाग के भवन का नामकरण बाबा धरणीधर के नाम पर किया गया है। उन्होंने बताया कि लघु शोध परियोजना के अंतर्गत छिंदवाड़ा जिले के वरिष्ठ साहित्यकारों की रचनाओं को शामिल किया जा रहा है जिससे इन रचनाओं की विरासत की अछुन्नता बनी रहे।

उन्होंने उनके जन्म ग्राम मोहखेड़ और राजा जाटवा के देवगढ़ किले में बाबा धरणीधर की पहचान संबंधी कार्य करने का सुझाव भी दिया। संस्था के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओमप्रकाश नयन ने कहा कि बाबा धरणीधर की रचनाओं में आम आदमी के दुख-दर्द, सामाजिक विसंगति और विद्रूपताओं के साथ ही भारतीय संस्कृति, लोक तत्व, इतिहास और समसामयिक परिस्थितियों का सजीव चित्रण है। उन्होंने बाबा धरणीधर के मित्र एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री लक्ष्मीप्रसाद दुबे द्वारा बाबा धरणीधर के व्यक्तित्व व कृतित्व पर केन्द्रित आलेख का वाचन भी किया। उन्होंने वरिष्ठ साहित्यकार श्री अवधेश तिवारी द्वारा भेजे गये संस्मरण का भी वाचन किया, जिसमें श्री तिवारी ने बाबा धरणीधर के साथ बिताये गये क्षणों, उन्हें सुनाई गई अपनी रचना व बाबा धरणीधर की प्रतिक्रिया का उल्लेख किया है। साथ ही यह भी उल्लेखित किया है कि बाबा धरणीधर एकमात्र ऐसे अपवाद साहित्यकार थे, जिनके पास जाकर आकाशवाणी ने उनकी रचनाओं की रिकॉडिंग की, प्रसारण किया और मानदेय का भुगतान भी किया।

कार्यक्रम में महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.उर्मिला खरपुसे ने बीटीआई ट्रेनिंग के दौरान पहली बार बाबा धरणीधर भेंट और कार्यक्रम में छिंदवाड़ा व मध्यप्रदेश पर सुनाई गई रचनाओं की चर्चा करते हुये कहा कि आज भी ये रचनायें मेरे मानस पटल पर अंकित है तथा इन रचनाओं को सुनने के बाद ही मेरी साहित्यिक अभिरूचि का विकास हुआ। उन्होंने 21वीं सदी के लिये और मेरा मध्यप्रदेश शीर्षक कविताओं के कुछ अंशों का पाठ भी किया। वरिष्ठ साहित्यकार नेमीचंद व्योम ने बाबा धरणीधर के सानिध्य में बिछुआ में आयोजित कवि सम्मेलन, म.प्र.हिन्दी साहित्य सम्मेलन के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों में सहभागिता और उनके साथ पारिवारिक व आत्मीय संबंधों की विस्तार से चर्चा की। वरिष्ठ नाट्यकर्मी व साहित्यकार विजय आनंद दुबे ने बाबा धरणीधर की रचना कैसे-कैसे लोग के नाट्य रूपांतर और उनकी उपस्थिति में नाटक का प्रदर्शन करने, उन पर केन्द्रित टेली फिल्म बनाने और उनके माध्यम से कव‍ि बनने की जद्दोजहद के संबंध में विस्तार से प्रकाश डाला।

वरिष्ठ साहित्यकार के.के.मिश्रा ने बाबा धरणीधर से पहली मुलाकात और साहित्यकार पेंशन के उनके आवेदन के बायोडाटा के माध्यम से उनकी गरिमा और व्यक्तित्व की पहचान करने तथा उनके सानिध्य में हुई कवि गोष्ठी की चर्चा करते हुये कहा कि उनका व्यक्तित्व प्रेरक था। वरिष्ठ कहानीकार श्री दिनेश भट्ट ने बाबा धरणीधर को अपनी कहानी गुड्डन सुनाने व उनसे मिले प्रोत्साहन की चर्चा करते हुये कहा कि बाबा धरणीधर के सानिध्य में मेरी कहानी चेतना का विकास हुआ और मैं बेहतर कहानी लिख सका।

कार्यक्रम में वरिष्ठ महिला साहित्यकार श्रीमती गीतांजलि गीत ने बाबा धरणीधर की डायरी में 10 मार्च 1992 को उनके जन्मदिवस पर दर्ज की गई घटनाओं का वाचन कर बाबा धरणीधर की संवेदनशीलता और अन्य साहित्यकारों व घटनाओं पर उनके विचारों से अवगत कराया। युवा साहित्यकार व चित्रकार श्री रोहित रूसिया ने बाबा धरणीधर की पहली मुलाकात की स्मृति, हीरक जयंती पर उनकी रचनाओं की कैसेट तैयार करने और अन्य घटनाओं से अवगत कराया तथा उनकी गजलों व रचनाओं का पाठ भी किया। महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.टीकमणि पटवारी और डॉ.सीमा सूर्यवंशी ने बाबा धरणीधर की रचनाओं का वाचन किया। युवा कवियित्री श्रीमती ज्योति गुप्ता ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा बाबा धरणीधर के लोकगीत “फागुन के दिन चार रे/पलसा मत खेलो अंगार रे” का वाचन भी किया। कार्यक्रम में युवा गायक श्री ओशिन धारे ने “मांगता है देश अपना आज चलने की दुआ/सर पे है पर्वत खड़ा और पैर के नीचे कुंआ” व “क्या अदा से देखिये छल रहे हैं रास्ते/थमी-थमी सी जिंदगी चल रहे हैं रास्ते” आदि गजलों का सुमधुर कंठ से गायन किया। जिसमें कबीर पाटिल ने हारमोनियम और गौरव श्रीवास ने तबले पर संगति की। अंत में संस्था के अध्यक्ष द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

इस अवसर पर संस्था की सचिव शेफाली शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र यादव, अन्य साहित्यकार, महाव़िद्यालय परिवार के प्राध्यापकगण डी.डी.विश्वकर्मा, डॉ.एस.के.ब्यौहार, डॉ.राजेन्द्र कुमार मिश्रा, डॉ.जी.बी.ब्रम्हे, डॉ.विनोद माहुर पवार, कु.पायल विसेन, कु.शैलकुमारी धुर्वे, हर्षुल रघुवंशी, छात्र-छात्रायें और अन्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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