800 किलोमीटर की पदयात्रा कर महावीर जी पहुंचे अलकेश जैन,30 दिनों में पूरी की मंगलकारी तीर्थयात्रा – सभी ने दी शुभकामनाएं
सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा।धर्मिक आस्था और संकल्प की शक्ति से अलकेश जैन, सचिव लायंस क्लब परासिया एवं जैन मंदिर परासिया के अध्यक्ष, ने अपनी अद्वितीय धार्मिक निष्ठा और संकल्प के बल पर परासिया (मध्य प्रदेश) से श्री महावीर जी (राजस्थान) तक 800 किलोमीटर नंगे पैर पदयात्रा संपन्न की। यह यात्रा न केवल उनके दृढ़ विश्वास का परिचायक है, बल्कि समर्पण और साधना का एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है।
– अगर मन में किसी कार्य को करने की दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होता, ऐसा ही कार्य कर दिखाया छिंदवाड़ा जिले के परासिया तहसील के खिरसाडोह निवासी जिनशासन सेवक अहिंसा प्रेमी अलकेश जैन महावीर हीरो ने।
जीव रक्षा, पर्यावरण संरक्षण एवं जियो ओर जीने दो की पवित्र भावना के साथ विश्व शांति की मंगल कामना को लेकर अलकेश जैन ने अपने सहयोगी रंजीत सिंह राजपूत के साथ 12 नवंबर को अपने निवास खिरसाडोह से राजस्थान के जिला करौली तहसील महावीरजी में स्थित दिगंबर जैन तीर्थक्षैत्र श्री महावीरजी की पदयात्रा प्रारंभ की ओर पद बिहार करते हुए चल पड़े नंगे पैर श्री महावीर प्रभु के दर्शन करने।
श्री जैन गुरुवार 12 दिसंबर को ठीक 12 बजे पहुंच गए महावीरजी जहां उनके परिवार एवं रिश्तेदारों ने उनकी भव्य अगुवानी की ओर मंगल कलश, रंगोली सजाकर ढोल नगाड़ों के साथ जय घोष के साथ नृत्यगान करते हुए श्री महावीर प्रभु के दर्शन कर अपने संकल्प को पूर्ण किया।
जिनशासन सेवक दीपक राज जैन ने बताया कि अलकेश जैन ने 12 नवंबर को ख़िरसाडोह से अपनी यात्रा प्रारंभ की ओर परासिया, तामिया, मटकुली, पिपरिया, बरेली, बाडी, अब्दुल्लागंज, मंडीदीप, भोपाल, कुरावर, नरसिंहगढ़, ब्यावरा, खिलचीपुर, अकलेरा, चांदखेड़ी, सांगोद, अंता इटावा, लाखेरी, इंद्रगढ़, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी होते हुए 30 दिनों की पदयात्रा पूर्ण कर गुरुवार 12 दिसंबर को दोपहर 12 बजे श्री महावीरजी पहुंचकर श्री वीर प्रभु के दर्शन किये।
पदयात्री अलकेश जैन का कहना है कि यह मेरे जीवन की एक ऐतिहासिक एवं यादगार यात्रा है इन 30 दिनों में मैंने सच्चे ओर अच्छे भारत के दर्शन किये, भारत की एकता एवं अखंडता जो मैने किताब में पढ़ा था उसका प्रत्यक्ष अनुभव किया, पूरे रास्ते भर लोगों का प्यार, सम्मान के साथ अपनापन मै जीवन भर नहीं भूल सकता, विशेष रूप से मेरे मित्र पिंकेश पटोरिया, दीपक राज जैन सहित तमाम जैन बंधु, लायंस क्लब के सदस्य, अन्य साधर्मियों सहित परिवार के सदस्यों ने मेरा मनोबल बढ़ाया मै उनका आभारी हूं। मेरे सहयोगी रंजीत सिंह राजपूत मेरी परछाई बनकर पूरे समय मेरे साथ रहे जिससे मैने कभी अकेला पन महसूस नहीं किया, पूरी यात्रा के दौरान एक अपूर्व शक्ति मेरे साथ चल रही थी जो मुझे उत्साहित कर रही थी और कह रही थी कि महावीर जी में आपकी प्रतिक्षा की जा रही है और मैं बढ़ता गया, बढ़ता गया एवं अपने संकल्प को पूरा करता हुआ श्री महावीर भगवान के दरबार में पहुंच कर अपना मस्तक टेक दिया।
इस अवसर पर उनके परिवारजन, मित्र, और स्नेहीजनों ने भगवान महावीर के दर्शन और पूजन कर उत्साहपूर्वक सहभागिता की। परासिया लौटने पर उनका भव्य स्वागत कार्यक्रम आयोजित होगा, जो समाज में उनकी धार्मिक आस्था और प्रेरणादायक यात्रा की महिमा को और ऊंचाई देगा।धार्मिक जीवन और प्रेरणा का प्रतीक अलकेश जैन का यह संकल्प और यात्रा न केवल उनके धर्मपरायण जीवन को रेखांकित करता है, बल्कि समाज को प्रेरणा देती है कि निष्ठा और दृढ़ता से बड़े से बड़े लक्ष्य भी प्राप्त किए जा सकते हैं। उनकी यह उपलब्धि सदा स्मरणीय रहेगी।