डॉ. अशोक अरबट, श्वसन रोग विशेषज्ञ, डायरेक्टर, क्रिम्स हॉस्पिटल ने यह सलाह दी है
सतपुड़ा एक्सप्रेस न्यूज डेस्क : जैसे-जैसे ठंड आ रही है, खुशनुमा माहौल स्वास्थ्य के लिए अनुकूल बन रहा है। लेकिन ठंड के साथ आने वाले दिवाली के त्योहार पर फोड़े जाने वाले पटाखे बच्चों के फेफड़ों के लिए खतरनाक होते हैं। इसलिए छोटे बच्चों को पटाखों के धुएं से दूर रखें, ऐसी स्वास्थ्य सलाह क्रिम्स हॉस्पिटल के डायरेक्टर और श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक अरबट ने दी है।डॉ. अरबट ने बताया कि दिवाली के दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है, हालांकि पटाखों में रंग-बिरंगी आकर्षक बारूद होते है, लेकिन इससे निकलने वाला रासायनिक धुआं बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है। बच्चों के शरीर के आंतरिक अंग पहले से ही विकसित हो रहे होते हैं। इसलिए दिवाली के दौरान पटाखों से निकलने वाला हानिकारक रासायनिक धुंआ बच्चों के फेफड़े, हृदय, किडनी जैसे अंगों के लिए खतरनाक होता है।
जिन लोगों को पहले से ही श्वसन संबंधी विकार है, उन्हें दिवाली त्योहार के दौरान जितना संभव हो सके बाहर निकलने से बचना चाहिए। जिन्हें क्रोनिक अस्थमा है, उन्हें भी इस दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। दिवाली से पहले हमारे यहां पूरे घर की साफ-सफाई करने की परंपरा होती है। उस दौरान उड़ने वाली धूल सांस लेने के लिए खतरनाक होती है। मूल रूप से दिवाली मंगलमय और रोशनी का त्यौहार है। इसलिए, डॉ. अरबट ने यह भी सलाह दी कि जिनके घर छोटे बच्चे है उन माता-पिता को दिवाली मनाते समय उन्हें पटाखों के धुएं से दूर रखकर उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखना जरूरी है ।
पटाखों में मौजूद खतरनाक केमिकल – शरीर पर उनका प्रभावआर्सेनिक- त्वचा, फेफड़ों, ब्लड सर्कुलेशन के लिए हानिकारकपारा- न्यूरोटॉक्सिन केमिकल किडनी, लीवर, नर्वस सिस्टम के लिए हानिकारक होते हैकैडमियम- किडनी, हड्डियों के लिए खतरनाकक्रोमियम- कैंसर का कारण बनता है, फेफड़े- हृदय जैसे श्वसन तंत्र को प्रभावित करता हैलीड – न्यूरोटॉक्सिन विषैले पदार्थों के कारण मस्तिष्क (दिमाग) पर प्रभाव पड़ता हैये लक्षण चेतावनी के संकेत हैंगले में खराशसांस लेने में कठिनाईजल्दी सांस फूलनाबार-बार कमजोरी महसूस होना, शरीर में खुजली होनाकानों में बधिरता, आँखों से पानी आनाफेफड़ों का स्वास्थ्य खतरे मेंवायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 70 लाख लोगों की समय से पहले मृत्यु हो जाती हैफेफड़ों की बीमारी के कारण दुनिया भर में हर साल 30 लाख लोगों की मौत होती है। वायु प्रदूषण, धूम्रपान फेफड़ों के लिए हानिकारक होते है।
निजी वाहनों के उपयोग को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन पर जोर दिया जाना चाहिए। कम दूरी के लिए साइकिल चलाने या पैदल चलने को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। डॉ. अशोक अरबट ने बताया कि, धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण है, जिससे लगभग 85% मौतें होती हैं और श्वसन संबंधी बीमारियाँ विश्व स्तर पर मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक हैं।