कांग्रेस भवन में आयोजित हुई पत्रकार वार्ता -किसानों से लूट-मोदी जी का दोगुनी आमदनी का झूठ
सतपुड़ा एक्सप्रेस छिन्दवाड़ा:- जिला मुख्यालय स्थित दशहरा मैदान से दिनांक 20 सितम्बर 2024 को दोपहर 12 बजे किसान हित में किसान न्याय यात्रा निकाली जावेगी। यात्रा जिला अस्पताल के सामने से अनगढ़ हनुमान मंदिर, गांधी चौक (फव्वारा चौक), इंदिरा तिराहा, अम्बेड़कर तिराहा होते हुये कलेक्ट्रेट के सामने पहुंचेंगे। आज स्थनीय राजीव कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुये कांग्रेस के उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने कहा कि फरवरी 2016 में देश के प्रधानमंत्री ने उत्तरप्रदेश की बरेली की रैली में कहा कि किसान भाइयों वर्ष 2022 तक मैं आपकी आमदनी दोगुननी कर दूंगा।
मगर मोदी सरकार के ही नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि देश के किसानों की औसत आमदनी 27 रूपये प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज प्रति किसान 74 हजार रूपये हो गया है। यह इसलिए हुआ कि बीते दस वर्षों में खेती की लागत 25 हजार रूपये हेक्टेयर बढ़ा दी गई। ट्रैक्टर व खेती के उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी, खाद पर 5 प्रतिशत, कीटनाशक दवाईयों पर 18 प्रतिशत, डीजल की कीमत 35 रूपये प्रति लीटर बढ़ गई।
झूठ में दिया साथ-शिवराज ने भी किया किसानों से आघात:-अप्रैल 2023 में मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जी ने प्रधानमंत्री जी की मौजूदगी में रीवा के पंचायती राज सम्मेलन में यह घोषणा की थी कि मध्यप्रदेश में किसानों की आमदनी दोगुना कर दी गई है। जबकि मार्च 2022 में केंद्रीय संसदीय समिति ने यह रिपोर्ट लोकसभा में दी कि मप्र एक ऐसा प्रांत हैं, जिसमें किसानों की आमदनी 2015-16 की तुलना में 9740 रूपये से घटकर 8339 रूपये प्रतिमाह प्रति परिवार रह गई है।
झूठ बोलते हैं तो आवाज भारी रखते हैं-अगले झूठ की तैयारी रखते हैं:-मोदी सरकार की फैक्ट्री में बनने वाले झूठ के सबसे बड़े डीलर शिवराज सिंह चौहान जी और प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जी है। मप्र का चुनाव जीतने के लिए प्रदेश के किसानों से अपने घोषणा-पत्र में झूठ बोला कि चुनाव जीतने पर गेहूं का समर्थन मूल्य 2700 रूपये प्रति क्विंटल और धान का समर्थन मूल्य 3100 रूपये प्रति क्विंटल किया जायेगा। चुनाव जीतते ही किसानों को धोखा दे दिया।
लागत से भी कम मिल रहे हैं सोयाबीन के दाम:- आज मध्यप्रदेश में सोयाबीन का भाव लगभग 4000 रूपये प्रति क्विंटल पहुंच गया है। जबकि उसका समर्थन मूल्य 4892 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जो कि पहले ही अपर्याप्त है। मोदी सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य तय करते वक्त इसका लागत मूल्य 3261 रूपये निर्धारित किया है। जबकि मध्यप्रदेश ने लागत और मूल्य आयोग को पहले ही सूचित किया था कि मध्यप्रदेश में सोयाबीन की उत्पादन लागत 4455 रूपये प्रति क्विंटल आती है, वहीं महाराष्ट्र में यह लागत 6039 रूपये प्रति क्विंटल बतायी थी। लागत और मूल्य आयोग ने खुद अपनी 2024-25 की खरीफ की रिपोर्ट में बताया है कि भारत में औसत सोयाबीन का कास्ट ऑफ प्रोडक्शन (ए 2 $ एफएल) 4853 रूपये वर्ष 2022-23 के लिए मूल्यांकित किया गया था। समर्थन मूल्य तय करने वाला आयोग खुद कहता है कि लागत निकालने के लिए जो सैम्पल साईज लिया जाता है, वह अपर्याप्त है, इसलिए लागत मूल्य सहीं नहीं निकलता।
आयोग ने माना मप्र के लिए समर्थन मूल्य सही नहीं:- लागत और मूल्य आयोग ने हाल ही में जारी की गई अपनी रिपोर्ट में एक चार्ट के माध्यम से बताया है कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में सोयाबीन के लिए लागत आयोग द्वारा कम आंकी जाती है, जबकि राज्य में वह अधिक आती है। भारत में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सोयाबीन उत्पादन के लिए दो सबसे बड़े प्रांत हैं, उसके बाद राजस्थान और फिर कर्नाटक आता है। सोयाबीन किसानों से धोखा-समर्थन मूल्य का नहीं मिलेगा मौका:-मप्र के साथ मोदी सरकार और प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा मप्र से आने वाले देश के कृषि मंत्री ने बीते 5 सितम्बर को मध्यप्रदेश के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। कृषि मंत्रालय ने ट्वीट करके यह जानकारी दी है कि प्राईज सपोर्ट स्कीम के माध्यम से सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जायेगी। मगर सिर्फ कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में मध्यप्रदेश को इस योजना से बाहर रखा गया है। प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार करते हुये उसके साथ कुठाराघात किया गया।
तेल का खेल-धन्नासेठों से मेल:- प्रधानमंत्री ने वर्ष 2015 में लाल किले की प्राचीर से भाषण दिया था कि किसान भाईयों खाने का तेल विदेशों से मंगाना पड़ता है और आप लोग आईल सीड्स का उत्पादन अच्छा कीजिए, ताकि विदेशों से खाने का तेल न मंगाना पड़े। जबकि सच्चाई यह है कि नियोजित रूप से सोयाबीन के खाने के तेल की इंपोर्ट ड्यूटी 17.5 प्रतिशत से घटाकर 13.75 प्रतिशत की गई और सोयाबीन क्रूड आईल पर कोई बेसिक कस्टम ड्यूटी नहीं लगती सिर्फ एज्युकेशन और इन्फ्रासेस से 5.5 प्रतिशत टैक्स लगाया जाता है। जिसका परिणाम यह हुआ कि सोयाबीन का तेल 2013-14 में 13.5 लाख टन विदेशों से मंगाया जाता था जो 2022-23 तक बढ़कर 38.5 लाख टन हो गया है। भारत जहां इस तेल को मंगाने के लिए वर्ष 2013-14 में 8 हजार करोड़ रूपये खर्च करता था, वहां आज उसे 2022-23 में 47 हजार करोड़ रूपये करने पड़ रहे हैं। यह खेल कुछ मोटे तेल के व्यापारियों के लिए खेला जा रहा है, जिससे सोयाबीन सहित सभी तिलहन पैदा करने वाले किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिलता। आयोजित पत्रकार वार्ता को किसान न्याय यात्रा के प्रभारी डॉ. अशोक मर्सकोले, सुनील जायसवाल व जिला कांग्रेस अध्यक्ष विश्वनाथ ओक्टे ने सम्बोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष गंगाप्रसाद तिवारी, गोविंद राय, पप्पू यादव व नितिन उपाध्याय उपस्थित रहे।