तहसीलदार का कारनामा,बिना आवेदन 3 दिन में किया था नामांतरण ?
सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा। हॉल ही में प्रकाश में आए संपत्ति विवाद के एक मामले में हाई कोर्ट द्वारा कुसुम गुप्ता की अपील को स्वीकार करते हुए पूर्व में दिए गए कमिश्नर के आदेश को निरस्त करते हुए खजरी स्थित भूमि पर पूर्व के नाम को दर्ज करने का आदेश दिया है उक्त मामला उस समय प्रकाश में आया जब छिंदवाड़ा तहसीलदार धर्मेंद्र चौकसे ने बिना सभी पक्षकारों को सुने एक पक्षी आदेश करते हुए 3 दिन में जमीन का नामांतरण कर दिया जबकि उक्त विवादित भूमि का मामला लगभग 13 14 वर्षों से विभिन्न न्यायालय में विचाराधीन है
तहसीलदार द्वारा बुलाए गए पटवारी प्रतिवेदन जिसमे कुसुम गुप्ता द्वारा उक्त भूमि पर फसल बटाई पर लगवाने का हवाला है को भी अमान्य करते हुए बिना नया प्रतिवेदन बुलाए बिना पक्षकारों को सुने तीन दिन में कमिश्नर जबलपुर के आदेश का हवाला देते हुए नामांतरण कर दिया जबकि जानकारों का कहना है कि कमिश्नर का आदेश अंतिम आदेश नहीं है इस विषय पर मीडिया द्वारा पूछताछ करने पर राजस्व मामला का हवाला देते हुए कुछ भी कहने से इनकार कर दिया वही मामला सामने आते ही अपने ही आदेश को पलटते हुए उक्त भूमि पर हाई कोर्ट का हवाला देते हुए पर दो लोगो पर निषेधआझा लागू कर दी गई ।
उक्त भूमि संबंधी मामला छिंदवाड़ा शहर से लगी खाजरी ग्राम का है। जहा बिबादित भूमि किरण खंडेलवाल के नाम तहसीलदार द्वारा दर्ज कर दी गई है वही भूमि स्वामी कुसुम गुप्ता ने बताया कि उक्त भूमि मेरे पति की है मेरे द्वारा उसकी बिक्री नहीं किया गया है तहसीलदार साहब ने मेरी एक नहीं सुनी और आनन फानन में मेरी जगह से नाम काटते हुए खंडेलवाल के नाम कर दी गई है
कुसुम गुप्ता ने बताया कि मैं रोज की तरह अपने खेत पर थी खंडेलवाल के साथ आए बहुत सारे लोगों के द्वारा मुझे वहां से भागया जा रहा था इस पूरे मामले में पुलिस ने दोनों पक्षों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी की थी।
तहसीलदार द्वारा रसूखदारों को लाभपहुंचने की कोशिश पर जिला प्रशासन क्या संज्ञान लेता है यह आने वाले दिनों की बात है बहरहाल हाई कोर्ट ने विभिन्न न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के अंतिम निराकरण मान्य होने की बात कही है