मृदा स्वास्थ्य कार्ड की मदद से कृषक श्री गुरुप्रसाद को कम लागत में हुआ अधिक मुनाफा
सतपुड़ा एक्सप्रेस छिन्दवाड़ा/ उर्वरकों के उपयोग से मृदा में उपस्थित पोषक तत्त्वों में होने वाली कमी दूर करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 में शुरू की गई ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना’ के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। इस योजना से छिंदवाड़ा जिले के कृषक भी लाभान्वित हो रहे हैं और अपने खेत की मृदा का स्वास्थ्य परीक्षण करवाकर स्वाइल हेल्थ कार्ड की अनुशंसा के आधार पर उचित मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग से न केवल उनकी लागत कम हुई है बल्कि मृदा के स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ है। छिंदवाड़ा जिले के विकासखंड चौरई के ग्राम बरेलीपार के कृषक श्री गुरू प्रसाद जावरे भी स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना का लाभ लेकर कृषि से लाभ प्राप्त कर रहे हैं। इस बार उन्होंने मक्के की फसल से 3 लाख रुपए की आय प्राप्त की है।
कृषक गुरू प्रसाद बताते हैं कि मेरे द्वारा खरीफ के मौसम में मक्का, सोयाबीन, धान, अरहर एवं रबी के मौसम में गेंहू, चना, मटर की फसल ली जाती है। पहले मुझे अधिक मात्रा में रासायनिक खाद, उर्वरकों का प्रयोग करके आर्थिक नुकसान हो रहा था, साथ ही मेरे खेत की मृदा भी खराब होती जा रही थी। मृदा की उर्वरा शक्ति कम होने से उत्पादन भी कम प्राप्त हो रहा था। मेरे नुकसान को देखते हुए मुझे कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के बारे में जानकारी दी गई और खेत की मृदा का परीक्षण करवाने की समझाइश दी गई। उनकी सलाह मानने पर कृषि अधिकारियों द्वारा मेरे खेत की मिट्टी का नमूना लेकर छिंदवाड़ा लैब में परीक्षण के लिए भिजवाया गया। परीक्षण के बाद कृषि विभाग के द्वारा मुझे मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदाय किया गया। इसके बाद मैंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दी गई अनुशंसा के अनुसार संतुलित मात्रा में ही उर्वरकों का प्रयोग किया जिससे मेरी लागत भी कम हुई और संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने से मृदा में भी सुधार हुआ है। मेरे द्वारा 3 एकड़ का मृदा स्वास्थ्य परीक्षण करवाने के बाद जो रसायनिक उर्वरक की अधिक लागत आती थी, वह कम हो गई है और इस बार मैंने मक्का की फसल से 2 लाख रुपए की आय प्राप्त की है जिससे मैं और मेरा परिवार बहुत खुश हैं। सभी किसान भाइयों को स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना का लाभ उठाकर अपनी मृदा का परीक्षण जरूर कराना चाहिए।
उप संचालक कृषि ने जानकारी दी है कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उनकी मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करता है, साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य और इसकी उत्पादकता में सुधार के लिए लागू किए जाने वाले पोषक तत्वों की उचित खुराक पर सिफारिशें भी प्रदान करता है जिससे उर्वरकों के अनावश्यक प्रयोग से बचाव होने से मृदा का स्वास्थ्य खराब होने से बचने लगता है, साथ ही उर्वरकों पर खर्च होने वाली लागत भी बचती है। कृषि वैज्ञानिक हर तीन साल में मृदा का स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य रूप से कराने की सलाह देते हैं। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर मानसरोवर बस स्टैंड के पीछे एक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित है, जहां पर सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी पदस्थ हैं। जिले के कोई भी किसान यहां आकर अपने खेत की मिट्टी का नमूना परीक्षण के लिए दे सकते हैं। स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना के अंतर्गत मिट्टी का परीक्षण पूरी तरह निःशुल्क है। किसान अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से भी संपर्क कर उन्हें मिट्टी का नमूना दे सकते हैं, जिनके माध्यम से वह जिला स्तरीय लैब में पहुंचा दिया जाएगा। साथ ही अन्य आवश्यक मार्गदर्शन भी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से प्राप्त कर सकते हैं।