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“अजब है पर गजब है”- विभाग या स्कूल ..? बड़ा कौन कलेक्टर या डीईओ या उच्च माध्यमिक शिक्षक..?

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सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा।मामला उत्कृष्ट विद्यालय मोहखेड़ का है जो सत्र 2022-2023 की स्थानीय परीक्षा नवमी और ग्यारवीं के मूल्यनकन का ब्लॉक स्तरीय केंद्र था ।
11 वीं के विज्ञान विषय मे सब से कठिन विषय फिजिक्स का है । उत्कृष्ट विद्यालय में ही भौतिकी विषय के शिक्षक ने अपना रिजल्ट 100 प्रतिशत लाने की लालच में फिजिक्स के सभी बच्चों को पास कराया । एक तरफ से फिजिक्स के सभी रोलनबर पास तो हैं ही सभी के नम्बर भी एक ही हैं । सूत्रों की माने तो जिसकी कॉपी में 19अंक हैं उसको भी 23अंक , जिसके 16 आये उसको भी 23 अंक किए गए है और ऐसे 11 से 12 छात्र हैं ।

चोरी कितनी भी सफाई से हो कुछ न कुछ सुबूत छूटते ही हैं ।
इन शिक्षकों ने मूल्यांकित कॉपियों में मार्क्स को नही बदला बल्कि पर्ण प्रतिपर्ण ही बदल डाले ।

मूल्यनकन कर्ता का साफ कहना है कि कॉपी चेक करने में मेरी राइटिंग है किन्तु मेरी राइटिंग के पर्ण प्रतिपर्ण गायब हैं और मौजूदा राइटिंग किसी अन्य की है ।
अगर ऐसे कमजोर बच्चे 12 वीं कक्षा में प्रवेशित होते हैं तो उन बच्चों की मानसिकता , मानसिक हालत और परीक्षा परिणाम के लिए दोषी पर कार्यवाही अब तक नही हुई है ।
जांच जारी है किंतु अब तक कूट रचना कर के बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले मुक्त हैं

विज्ञान की कक्षा 11 वीं के बाकी बच्चे जो सपलमेंट्री आये हैं या जो फेल हुए हैं उनकी गलती क्या ..?
विभागीय जांच भी दस दिन चले अढ़ाई कोस के ढर्रे पर है ।
अगर जांच में फेल को पास किये जाने का मामला सच साबित होता है तो रिजल्ट क्या माना जायेगा ।

अगर बच्चो का रिजल्ट प्रभावित हुआ तो उनके लिए क्या प्रावधान किया जाएगा । मुख्यालय से अर्जेंट रूप से 11वी की पूरक परीक्षा की जानकारी मागॅ जा रही है ऐसे में
ये बच्चे किस श्रेणी में माने जाऐगै।

निर्दोष को दंड न मिले यह उचित है लेकिन दोषी को बचाने में किसका किसका हांथ है यह भी जांच का अहम बिंदु है ।
इस प्रकरण में यह तथ्य भी गौरतलब है कि जिस शिक्षक पर आरोप इशारा कर रहे हैं यह वही शिक्षक है जो प्रभारी प्राचार्य की शीट पर काबिज रहने के लिए छिन्दवाड़ा भोपाल एक किये हुए है । एजुकेशन विभाग में टीचर, प्रिंसिपल, बाबू सब एक से बढ़कर एक हैं और मनमर्जी की दुकान खुली है । नेतागिरी के वायरस ने विभाग और स्कूलों की व्यवस्थाओं को चूरा कर रखा है । नेता का खास हो तो स्कूल के स्टूल और घण्टी का दर्जा भी अफसर से कम नही ।

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