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देश में होगा डिजिटल फसल सर्वेक्षण

कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को ओपन सोर्स, ओपन स्टैंडर्ड और इंटरऑपरेबल पब्लिक गुड के रूप में बनाया गया है: डॉ. प्रमोद कुमार मेहरदा


इस परियोजना का उद्देश्य किसानों और उनकी बोई गई फसलों के सही आंकड़ों का एक सत्यापित स्रोत तैयार करना है

राज्यों के साथ डिजिटल फसल सर्वेक्षण पर कार्यशाला आयोजित की गई

सतपुड़ा एक्सप्रेस नई दिल्ली:- कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (एमओएएफडब्ल्यू), भारत सरकार, द्वारा राज्यों के साथ डिजिटल फसल सर्वेक्षण पर एक कार्यशाला आयोजित की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. प्रमोद कुमार मेहरदा, अपर सचिव, भारत सरकार, के स्वागत भाषण से हुई, जिसमे उन्होंने सम्मेलन का संदर्भ तैयार किया। उन्होंने कहा कि कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, एक ओपन सोर्स, ओपन स्टैंडर्ड और इंटरऑपरेबल पब्लिक गुड, के रूप में बनाया गया है। यह फसल योजना और स्वास्थ्य के लिए खेतों की सूचना, ऋण और बीमा तक बेहतर पहुँच, फसल अनुमान के लिए मदद, बाजार की जानकारी और कृषि तकनीक उद्योग और स्टार्टअप के विकास के लिए समर्थन, जैसी प्रासंगिक सूचना सेवाओं के माध्यम से समावेशी किसान केंद्रित समाधान प्रस्तुत करेंगे।

आगे उन्होंने विस्तार से बताया कि डिजिटल फसल सर्वेक्षण विभिन्न कृषि मौसमों के दौरान देश में बोई जाने वाली फसलों की एक स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करेगा। इस परियोजना का उद्देश्य किसान और उसकी बोई गयी फसल के आंकड़ों के बारे में एक सत्यापित स्रोत तैयार करना है। एक मजबूत, प्रभावी, समयबद्ध, पारदर्शी डिजिटल रूप से संचालित फसल सर्वेक्षण प्रणाली जो दृश्य और उन्नत ऐनालिटिक्स जीआईएस-जीपीएस प्रौद्योगिकी और एआई/एमएल जैसी अद्यतन  तकनीकी प्रगति का उपयोग करती है और उपरोक्त सूचीबद्ध समस्याओं को प्रभावी ढंग से संबोधित करने की गहन आवश्यकता है।

इसी क्रम में डिजिटल फसल सर्वेक्षण के संदर्भ में श्री अजय तिर्की सचिव, भूमि संसाधन विभाग, (डीओएलआर) भारत सरकार, ने ‘एग्री स्टैक’ के वृहत संघीय संस्करण को पूरा करने के लिए भू-संदर्भित भूखंडों की प्रासंगिकता और उन्हें कैसे लागू किया जाएगा पर एक व्यावहारिक व्याख्यान दिया।

इसके बाद श्री मनोज आहूजा, सचिव, कृषि और किसान कल्याण (डीएएंडएफडब्ल्यू) भारत सरकार ने अवलोकन प्रदान किया कि कैसे डिजिटल पब्लिक अवसंरचना यानी ‘एग्री स्टैक’ और ‘कृषि डीएसएस’ कृषि क्षेत्र में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान करेंगे। कार्यशाला में राज्यों की अपेक्षाएं और परिणामों पर ज़ोर दिया गया, केंद्र डिजिटल फसल सर्वेक्षण के प्रभावी और सफल कार्यान्वयन के लिए राज्यों को सहायता प्रदान करेगा।

इसके बाद वेब पोर्टल के लिए उपयोगकर्ता पुस्तिका और डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए मोबाइल एप्लीकेशन का अनावरण किया गया उसके बाद मूलभूत सत्र आयोजित किए गए।

श्रीमती रुचिका गुप्ता, सलाहकार, एमओएएफडब्ल्यू भारत सरकार, ने विभिन्न हितधारकों के लिए डीसीएस, के लाभों, डिजिटल फसल सर्वेक्षण  कार्यान्वयन योजना  के फायदे और केंद्र सरकार की जिम्मेदारियों आदि पर विचार विमर्श किया। आगे बढ़ते हुए श्री राजीव चावला, मुख्य ज्ञान अधिकारी, (सीकेओ) और सलाहकार, डीएफएंडडब्ल्यू, भारत सरकार ने डिजिटल फसल सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएं प्रस्तुत की। उन्होनें संयुक्त स्वामित्व भूखंडों और मृत किसानों जैसे मुद्दों को संभालने में राज्यों की किसान रजिस्ट्री, डेटा मानक राज्य रजिस्ट्री स्कीम, केंद्रीय डेटाबेस स्कीम और फसल रजिस्ट्री, डिजिटल फसल सर्वेक्षण की न्यूनतम व्यावहारिक सुविधाओं के बारे में जानकारी दी।

श्री हुकुम सिंह मीणा, अपर सचिव, डीओएलआर, भारत सरकार, ने “ड्रोन सर्वेक्षण के लिए भू-संदर्भ उपकरण का उपयोग” पर एक प्रस्तुति दी। इसमें उन्होंने ड्रोन सर्वे के लिए जियो-रेफरेंसिंग-टूल के उपयोग की विधि और उससे होने वाले फायदों के बारे में बताया।

नोडल अधिकारियों और राज्यों की तकनीकी टीम की समझ के लिये एनआईसी के अधिकारियों द्वारा डिजिटल फसल सर्वेक्षण के वेब-एप्लीकेशन और मोबाइल एप का एक डेमो भी आयोजित किया गया। यह डेमो राज्यों द्वारा डिजिटल फसल सर्वेक्षण ऐप्लिकेशन के विन्यास और अनुकूलन की समझ के साथ आगे बढ़ा।

राज्यों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण की शुरुआत के लिए आगे बढ़ने के लिए असम, गुजरात, मध्य-प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश की राज्य सरकारों और भारत सरकार के बीच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।