सतपुड़ा एक्सप्रेस अमरवाड़ा (आलोक सूर्यवंशी)। शिक्षा विभाग अमरवाड़ा में प्रभार का खेल जारी है लगातार नियमों की अनदेखी कर एक ही शिक्षक को बार-बार विभिन्न पदों का प्रभार सौंपे जाने से विकासखंड के शिक्षकों में भारी आक्रोश है। स्थिति इतनी विस्फोटक हो चुकी है कि अमरवाड़ा के 23 हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में से 20 प्राचार्य एक साथ सामूहिक इस्तीफा देने की चेतावनी दे चुके हैं।
इन प्राचार्यों ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर मांग की है कि यदि विभाग हर नियम को दरकिनार कर अपने “चहेते शिक्षक” को ही हर बार सभी पदों पर नियुक्त करना चाहता है, तो पूरे विकासखंड के समस्त स्कूलों का प्रभार भी उसी एक व्यक्ति को दे दिया जाए।प्राचार्यों का आरोप है कि शिक्षा विभाग में “नियम नहीं, केवल संबंध और पसंद” के आधार पर कार्य किया जा रहा है, जिससे संपूर्ण विकासखंड की शिक्षा व्यवस्था दूषित हो चुकी है।
🔍 पिछले एक वर्ष में नियमों की उड़ाई गई धज्जियों के उदाहरण:
1️⃣ संकुल प्राचार्य पौनार का मामला:पूर्व में इस पद पर कार्यरत हाईस्कूल प्राचार्य श्री जंधेला को बिना कारण हटा दिया गया और एक कनिष्ठ शिक्षक को नियमों के विरुद्ध संकुल प्रभार सौंपा गया। जबकि उसी संस्था में वरिष्ठ शिक्षक की नियुक्ति हो चुकी थी, फिर भी उन्हें दबाव में आकर प्रभार लेने से रोका गया।
2️⃣ बी.ई.ओ. अमरवाड़ा में मनमानी:सबसे वरिष्ठ और निष्ठावान प्राचार्य श्री नारायण परतेती को हटाकर एक बार फिर डी.ओ. के प्रिय शिक्षक को प्रभार दे दिया गया, जो पूर्णतः नियमविरुद्ध था।
3️⃣ बी.आर.सी. प्रभारी नियुक्ति में गड़बड़ी:मेरिट के आधार पर चयनित श्री अजय शर्मा ने बी.आर.सी. में नई व्यवस्था लागू करने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें भी विवादों में उलझाकर मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा। उनकी जगह फिर से गृह विकासखंड के निवासी और चेहते शिक्षक को नियुक्त किया गया, जबकि नियम यह स्पष्ट रूप से रोकता है।
4️⃣ पीएम श्री कन्या विद्यालय का विवाद:वरिष्ठ शिक्षक श्री अनिल नेमा को हटाकर विकासखंड के सबसे कनिष्ठ और डी.ओ. के करीबी शिक्षक को नियमों की अनदेखी करते हुए प्रभार सौंपा गया। जबकि संस्था में कई योग्य और वरिष्ठ शिक्षक उपलब्ध थे, जिन्हें नजरअंदाज किया गया।

📣 प्राचार्यों की मांग: एक व्यक्ति को ही सौंप दीजिए पूरा विकासखंड!प्राचार्यों का कहना है कि जब नियमों का कोई मूल्य नहीं रह गया है, और हर पद पर केवल एक ही व्यक्ति को मनमर्जी से नियुक्त किया जा रहा है, तो पूरे विकासखंड का प्रभार भी उसी को दे दिया जाए।
📌 निष्कर्ष: शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान शिक्षा विभाग में इस प्रकार की मनमानी न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता को प्रभावित कर रही है, बल्कि योग्य शिक्षकों का मनोबल भी गिरा रही है। यदि स्थिति पर शीघ्र नियंत्रण नहीं किया गया तो इससे छात्रों की शिक्षा और पूरे विकासखंड की शैक्षणिक गुणवत्ता पर भी गंभीर असर पड़ेगा।
Chhindwara “प्रभार का खेल” एक शिक्षक को चार-चार जगहों का प्रभार, वरिष्ठता आदेश की अनदेखी !