Home CITY NEWS Chhindwara : गोदाम में धूल खा रहा आंगनबाड़ियों का पोषण आहार ….

Chhindwara : गोदाम में धूल खा रहा आंगनबाड़ियों का पोषण आहार ….

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तामिया विकासखंड की आंगनबाड़ियों में पोषण आहार की आपूर्ति बाधित, बच्चों का स्वास्थ्य संकट में,जनपद पंचायत अध्यक्ष तुलसा परतेती ने किया महिला बाल विकास विभाग का निरीक्षण

सतपुड़ा एक्सप्रेस तामिया। क्षेत्र की आंगनबाड़ियों में बीते दो-तीन महीनों से पोषण आहार के पैकेट नहीं पहुंच पाए हैं, जिससे कुपोषित बच्चों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कई आंगनबाड़ी केंद्रों पर भोजन वितरण भी प्रभावित हुआ है, जिससे केंद्रों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। सरकार द्वारा कुपोषण मिटाने के लिए किए जा रहे प्रयास इन परिस्थितियों में विफल होते नजर आ रहे हैं। सरकार द्वारा हर आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों को पोषण आहार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई थी, जिसमें स्व-सहायता समूहों के माध्यम से भोजन वितरित किया जाता था। साथ ही, छोटे बच्चों को विशेष पोषण आहार पैकेट भी दिए जाते थे, जिनमें खिचड़ी और सत्तू जैसे पोषक तत्व शामिल होते हैं। सामान्यतः हर पखवाड़े पोषण आहार की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन बीते तीन महीनों से यह प्रक्रिया ठप पड़ी है। इस समस्या को लेकर स्थानीय नागरिकों में नाराजगी है।

धुंसावानी निवासी पंचम इरपाची ने बताया कि उन्होंने पिछले आठ महीनों में पोषण आहार की सप्लाई की थी, लेकिन अब तक महिला बाल विकास विभाग तामिया से भुगतान नहीं मिला है। इस संबंध में उन्होंने जनपद अध्यक्ष तुलसा परतेती से शिकायत दर्ज कराई है।

**निरीक्षण में खुली लापरवाही की पोल** इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जनपद पंचायत अध्यक्ष तुलसा परतेती ने महिला बाल विकास विभाग तामिया का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान गोदाम में लगभग 2,000 बोरियां पोषण आहार की रखी हुई मिलीं, लेकिन ये आंगनबाड़ी केंद्रों तक नहीं पहुंचाई जा रही थीं।

स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि तामिया विकासखंड के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में बीते दो-तीन महीनों से पोषण आहार के पैकेट नहीं पहुंचे हैं। गर्मी के इस मौसम में बच्चों को पोषण आहार की विशेष आवश्यकता होती है, लेकिन आपूर्ति में हो रही देरी के कारण उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्र भी इस समस्या से अछूते नहीं हैं। जब इस मामले में महिला बाल विकास अधिकारी शिंदे सर से फोन पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने केवल इतना कहा कि वे इस समय क्षेत्र से बाहर हैं। उनकी इस प्रतिक्रिया ने प्रशासनिक उदासीनता पर और भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि जिम्मेदार अधिकारी कब तक इस समस्या का समाधान निकालते हैं और बच्चों को उनका हक दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाते हैं।

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