सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा – छिंदवाड़ा के देव होटल में आयोजित भव्य अवसर पर वरद विशाल अलोणी का उपनयन संस्कार संपन्न हुआ। हिंदू संस्कृति के सोलह जीवन संस्कारों में से उपनयन संस्कार का विशेष महत्व है, क्योंकि यह संस्कार व्यक्ति के शैक्षिक और आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
**संस्कार का महत्व:** उपनयन संस्कार वह पवित्र रीत है जिसके माध्यम से बालक को वैदिक शिक्षाओं के मार्ग पर अग्रसर किया जाता है। इसे पारंपरिक रूप से बाल्यावस्था से युवावस्था में संक्रमण का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर बालक के माथे पर श्रुति-मंत्रों का उच्चारण, गुरु द्वारा शिक्षा के पहले चरण की शुरुआत, और जीवन भर के लिए एक पवित्र धागे का बंधन किया जाता है, जो उसके धार्मिक और सामाजिक कर्तव्यों की याद दिलाता है।
**समारोह में उपस्थित मुख्य हस्तियाँ:** मुख्य अतिथि महामण्डेश्वर डॉ. वैभव अलोणी की प्रमुख उपस्थिति में यह संस्कार संपन्न हुआ। गणेश मंदिर, बिछुआ के महंत विशाल अलोणी के सुपुत्र वरद अलोणी के उपनयन संस्कार पर चौराई विधायक सुजीत सिंह चौधरी, नगर निगम अध्यक्ष सोनू मांगो, गंगा प्रसाद तिवारी, विश्वनाथ ओक्टे, संदीप चौहान, इन्द्रपाल सिंह पटेल, संजय चिंचोले, राम जोशी, नेमीसिंह पटेल, प्रीतम माहोरे, उमेश साहू समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी शुभकामनाएं प्रकट कीं।
**संस्कार की विधि-विधान:** मुलताई के पुरोहित सर्वेश जोशी ने परंपरागत विधि-विधान का पालन करते हुए उपनयन संस्कार का संपादन किया। समारोह में वैदिक मंत्रों का उच्चारण, पवित्र यज्ञ और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से वरद के जीवन में ज्ञान और संस्कारों का प्रवेश सुनिश्चित किया गया। इस संस्कार के पश्चात् वरद को अब दैवीय शिक्षाओं का अनुशीलन करते हुए सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की प्रेरणा मिली।
**उपनयन संस्कार का आधुनिक संदर्भ:** हालांकि उपनयन संस्कार प्राचीन परंपरा से सम्बद्ध है, परन्तु आज के आधुनिक युग में भी इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है। यह संस्कार न केवल धार्मिक शिक्षा की ओर प्रेरित करता है, बल्कि व्यक्ति को नैतिक मूल्यों, अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारियों की समझ भी प्रदान करता है। इस प्रकार, उपनयन संस्कार व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का भी प्रतीक है।
**समापन:** छिंदवाड़ा में संपन्न यह भव्य उपनयन संस्कार पारंपरिक मान्यताओं और आधुनिक दृष्टिकोण का संगम था, जिसने वरद के जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत की। उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों और समाज के सदस्य इस अवसर से प्रेरणा लेकर आगे की चुनौतियों का सामना करने के लिए उत्साहित दिखाई दिए। उपनयन संस्कार के महत्व, परंपरागत विधि-विधान, और आधुनिक संदर्भ को उजागर करता है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी एक आदर्श घटना के रूप में देखी जाती है।