स्टैंडर्ड डिडक्सन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया गया
वेतनभोगी कर्मचारियों को 17,500 रुपये तक की बचत होगी
आयकर विवादों पर लंबित अपीलों के निपटारे के लिए विवाद से विश्वास योजना 2024
सतपुड़ा एक्सप्रेस दिल्ली : केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘केन्द्रीय बजट 2024-25’ पेश करते हुए नई कर व्यवस्था का चयन करने वाले वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को कर राहत देने के लिए कई आकर्षक लाभों की घोषणा की।

वित्त मंत्री ने वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्सन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया। इसके अलावा, नई कर व्यवस्था के तहत पेंशनभोगियों के लिए पारिवारिक पेंशन में छूट की सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया। इससे लगभग 4 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को राहत मिलेगी।
श्रीमती सीतारमण ने नई कर व्यवस्था में टैक्स दर संरचना को निम्नानुसार संशोधित करने का प्रस्ताव दिया।
कुल आय | टैक्स दर |
0-3 लाख रुपए | शून्य |
3-7 लाख रुपए | 5 प्रतिशत |
7-10 लाख रुपए | 10 प्रतिशत |
10-12 लाख रुपए | 15 प्रतिशत |
12-15 लाख रुपए | 20 प्रतिशत |
15 लाख रुपए से अधिक | 30 प्रतिशत |
वित्तीय परिसंपत्तियों पर दीर्घ अवधि कैपिटल गेन की छूट की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर प्रति वर्ष 1.25 लाख रुपये की गई
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘केन्द्रीय बजट 2024-25’ पेश करते हुए कहा कि कैपिटल गेन टैक्स का सरलीकरण और युक्तिसंगत बनाया जाना केन्द्रीय बजट 2024-25 के प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक था।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि अब से कुछ वित्तीय परिसंपत्तियों पर लघु अवधि के लाभों पर 20 प्रतिशत की दर से कर लगेगा जबकि अन्य सभी वित्तीय परिसंपत्तियों और सभी गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर लागू कर दर जारी रहेगी।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सभी वित्तीय और गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर दीर्घ अवधि के लाभों पर 12.5 प्रतिशत का कर दर लगेगा। निम्न और मध्यम आय वाले वर्गों के लाभ के लिए उन्होंने कुछ परिसंपत्तियों पर कैपिटल गेन के छूट की सीमा को 1 लाख रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये प्रति वर्ष करने का प्रस्ताव रखा।

वित्त मंत्री ने कहा कि एक वर्ष से अधिक समय तक रखी गई सूचीबद्ध वित्तीय परिसंपत्तियों को दीर्घकालिक के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा जबकि गैर-सूचीबद्ध वित्तीय परिसंपत्तियों और सभी गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों को दीर्घकालिक के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए इन्हें कम से कम दो वर्षों के लिए होल्ड करना होगा।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि गैर-सूचीबद्ध बांड और डिबेंचर्स, डेब्ट म्युचुअल फंडों और मार्केट लिंक्ड डिबेंचरों पर, होल्डिंग पीरियड चाहे जो भी हो, कैपिटल गेन टैक्स लागू कर दर से देय होगा।
आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा अगले छह महीने में
जीएसटी, सीमा शुल्क और आयकर की सभी सेवाओं का अगले दो वर्षों के दौरान डिजिटलीकरण किया जाएगा और उन्हें पेपर-लेस बनाया जाएगा
आयकर विवादों पर लंबित अपीलों के निपटारे के लिए विवाद से विश्वास योजना 2024
इस बात पर जोर देते हुए कि सरकार करों को सरल बनाने, करदाता सेवाओं में सुधार करने, कर निश्चितता प्रदान करने और मुकदमेबाजी कम करने के अपने प्रयासों को जारी रख रही है, वित्त मंत्री ने कहा कि करदाताओं द्वारा इसकी सराहना की गई है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 58 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स सरलीकृत टैक्स व्यवस्था द्वारा जमा हुआ। इसी प्रकार पिछले राजकोषीय (वर्ष) के लिए अब तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार दो तिहाई से अधिक करदाताओं ने नई आयकर व्यवस्था का लाभ उठाया है।
कर व्यवस्था को सरल बनाने के एजेंडे के बारे में चर्चा करते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में अपने अनेक उपाय बताए। आयकर अधिनियम, 1961 की अगले छह महीने में अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट, पढ़ने और समझने में आसान बनाने के लिए व्यापक समीक्षा की घोषणा करते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘इससे विवादों और मुकदमेबाजी में कमी आएगी जिससे करदाताओं को कर में निश्चितता प्राप्त होगी।’’
कर संबंधी अनिश्चितता और विवादों को कम करने के लिए एक अन्य उपाय के तहत पुनः निर्धारण के प्रावधानों को पूरी तरह से सरल बनाने का प्रस्ताव किया गया है। प्रस्ताव की चर्चा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अब के बाद कोई निर्धारण,निर्धारण वर्ष के समाप्त होने के तीन वर्षों के बाद केवल तभी फिर से खोला जा सकेगा जब निर्धारण वर्ष के समाप्त होने से लेकर अधिकतम 5 वर्षों की अवधि तक कर से छूट प्राप्त आय `50 लाख या उससे अधिक हो। वित्त मंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि सर्च मामलों में भी, दस वर्षों की मौजूदा समय सीमा के स्थान पर सर्च के वर्ष से पहले छह वर्ष की समय सीमा करने का प्रस्ताव है।
वित्त विधेयक में धर्मार्थ संस्थाओं और टीडीएस के लिए कर सरलीकरण प्रक्रिया की पहल करते हुए, श्रीमती निर्मला सीतारमण ने प्रस्ताव किया कि कर में छूट की दो व्यवस्थाओं को मिलाकर एक किया जा रहा है। अनेक भुगतानों पर 5 प्रतिशत टीडीएस दर को घटाकर 2 प्रतिशत टीडीएस दर किया जा रहा है और म्युचुअल फंडों या यूटीआई द्वारा यूनिटों की पुनः खरीद से भुगतानों में 20 प्रतिशत टीडीएस दर को समाप्त किया जा रहा है। ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर टीडीएस दर को 1 प्रतिशत से कम करके 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। साथ ही, टीसीएस की राशि को वेतन पर कटौती किए जाने वाले टीडीएस की गणना में लाभ दिए जाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, वित्त मंत्री ने टीडीएस के भुगतान में विलम्ब को टीडीएस के लिए विवरणीफाइल करने की नियत तारीख तक डिक्रिमिनलाईज करने का प्रस्ताव किया।
जीएसटी के तहत सभी बड़ी करदाता सेवाओं और सीमा शुल्क तथा आयकर के अधीन ज्यादातर सेवाओं को डिजिटल रूप में लाए जाने के बारे में चर्चा करते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि सीमा शुल्क और आयकर की सभी शेष सेवाओं को अगले दो वर्षों के दौरान डिजिटलीकरण किया जाएगा और उन्हें पेपर-लेस बनाया जाएगा, जिनमें ऑर्डर गिविंग इफेक्ट व रैक्टिफिकेशन शामिल है।
अनेक अपीलीय मंचों पर अच्छे परिणाम नजर आने के बारे में बताते हुए, केन्द्रीय वित्त मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि सरकार मुकदमों और अपीलों की ओर निरंतर सबसे अधिक ध्यान रखेगी। बजट भाषण में अपील में लंबित कतिपय आयकर विवादों के समाधान के लिए विवाद से विश्वास योजना 2024 का प्रस्ताव किया गया। इसके अलावा, टैक्स अधिकरणों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में प्रत्यक्ष करों, उत्पाद शुल्क और सेवा कर से संबंधित अपीलों को दायर करने के लिए मौद्रिक सीमाओं को क्रमशः 60 लाख रुपये, 2 करोड़ रुपये और 5 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कराधान में मुकदमेबाजी कम करने और निश्चितता प्रदान करने के विचार से हम सेफ हार्बर नियमों के दायरे का विस्तार करेंगे और उन्हें अधिक आकर्षक बनाएंगे। हम ट्रांसफर प्राइसिंग निर्धारण प्रक्रिया को भी सरल और सुचारू बनाएंगे।
कर आधार का विस्तार करने के बारे में चर्चा करते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने दो उपायों की घोषणा की। पहला, फ्यूचर्स और ऑप्सन्स के विकल्पों पर सिक्यूरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स को बढ़ाकर क्रमशः 0.02 प्रतिशत और 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। वित्त् मंत्री ने कहा कि दूसरा उपाय इक्विटी हेतु शेयरों की बायबैक पर प्राप्त आय पर शेयरधारकों के स्तर पर करारोपण है।
इन प्रस्तावों के प्रभाव पर विस्तार से बताते हुए, श्रीमती सीतारमण ने अंत में कहा कि इसके परिणामस्वरूप लगभग 37,000 करोड़ रुपये जिसमें से 29,000 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष करों के तथा 8,000 करोड़ रुपये अप्रत्यक्ष करों के राजस्व को परित्यक्त किया जाएगा, जबकि लगभग 30,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व जुटाया जाएगा। इस प्रकार कुल वार्षिक परित्यक्त राजस्व लगभग 7,000 करोड़ रुपये होगा।