पीएम आवास योजना शहरी 2.0 के तहत 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश से शहरी गरीबों मध्यम वर्गीय आय वाले परिवारों के लिए एक करोड़ आवासों को पूरा करेगी।
औद्योगिक कामगारों के लिए पीपीपी मोड में डोरमेट्री जैसे आवास वाले किराए के मकानों की सुविधा प्रदान की जाएगी: श्रीमती निर्मला सीतारमण
सरकार राज्यों के सहयोग से शहरों को विकास केन्द्र के रूप में विकसित करेगी
100 बड़े शहरों के लिए जल आपूर्ति, सीवेज ट्रीटमेंट और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं एवं सेवाओं को बढ़ावा दिया जाएगा
सरकार ने अगले पांच साल में प्रत्येक वर्ष चुनिंदा शहरों में 100 साप्ताहिक ‘बाजार’ के विकास में सहायता के लिए एक योजना की परिकल्पना की
अधिक स्टाम्प शुल्क वसूल करने वाले राज्यों को सभी के लिए दरों में कमी लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा
सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा:केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘केन्द्रीय बजट 2024-25’ पेश करते हुए कहा कि देश की जनता ने भारत को सतत विकास के मार्ग पर ले जाने और चहुंमुखी समृद्धि के लिए हमारी सरकार को एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया है।
पीएम आवास योजना
प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में तीन करोड़ अतिरिक्त आवासों के निर्माण की घोषणा की गई है, जिसके लिए आवश्यक धनराशि का प्रबंध बजट में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 के अंतर्गत 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश से एक करोड़ शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों की घर संबंधी जरूरतों को पूरा किया जाएगा। इसमें अगले 5 वर्षों में 2.2 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता शामिल होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि किफायती दरों पर ऋण सुविधा के लिए ब्याज सब्सिडी के एक प्रावधान की परिकल्पना भी की गई है।
किराये के घर
किराये पर मिलने वाले आवासों के बारे में बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि औद्योगिक कामगारों के लिए वीजीएफ सहायता और एंकर उद्योगों की प्रतिबद्धता के साथ पीपीपी मोड में डोरमेट्री जैसे आवास वाले किराए के मकानों की सुविधा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अधिक उपलब्धता के साथ दक्ष और पारदर्शी किराए के आवास बाजारों के लिए समर्थकारी नीतियां तथा विनियम भी बनाए जाएंगे।
विकास केंद्रों के रूप में शहर
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि हमारी सरकार राज्यों के साथ मिलकर “विकास केंद्रों के रूप में शहरों” को विकसित करने की सुविधा पर काम करेगी। उन्होंने कहा कि आर्थिक और आवागमन संबंधी नीतियों तथा नगर आयोजना स्कीमों का उपयोग करके शहरों के आस-पास के क्षेत्रों को सुव्यवस्थित तरीके से विकसित किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि 30 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 14 बड़े शहरों के लिए कार्यान्वयन और वित्तपोषण रणनीति के साथ आवागमन उन्मुखी विकास योजनाएं तैयार की जाएंगी।
जल आपूर्ति और स्वच्छता
श्रीमती निर्मला सीतारमण ने जल आपूर्ति और स्वच्छता के बारे में बात करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों तथा बहुपक्षीय विकास बैंकों की साझेदारी में भरोसेमंद परियोजनाओं के माध्यम से 100 बड़े शहरों के लिए जल आपूर्ति, सीवेज उपचार, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा वित्तीय रूप से व्यवहार्य परियोजनाओं को बढ़ावा देगी। इन परियोजनाओं के माध्यम से मिलने वाले जल का इस्तेमाल सिंचाई तथा आस-पास के क्षेत्रों में तालाबों को भरने की भी परिकल्पना की जा रही है।
साप्ताहिक बाजार
वित्त मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने सडक पर रेहड़़ी-पटरी लगाने वाले दैनिक विक्रेताओं के जीवन में बदलाव लाने के उद्देश्य से पीएम स्वनिधि की सफलता के आधार पर, अगले पांच साल में प्रत्येक वर्ष चुनिंदा शहरों में 100 साप्ताहिक ‘बाजार’ या स्ट्रीट फूड हब के विकास में सहायता के लिए एक योजना की परिकल्पना की है।
स्टाम्प शुल्क
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि हमारी सरकार सभी के लिए स्टाम्प शुल्क की दरों को कम करने तथा महिलाओं द्वारा खरीदी गई संपत्तियों के लिए शुल्कों को और कम करने पर भी विचार करने हेतु उन राज्यों को प्रोत्साहित करेंगे, जिन्होंने अधिक स्टाम्प शुल्क लगाना जारी रखा है। उन्होंने कहा कि इस सुधार को शहरी विकास योजनाओं का अनिवार्य घटक बनाया जाएगा।
बजट 2024-25 में पूंजीगत व्यय के लिए `11,11,111 करोड़ का प्रावधान किया
राज्य सरकार द्वारा अवसंरचना निवेश को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष 1.5 लाख करोड़ के दीर्घावधि ब्याज रहित ऋण का प्रावधान
25,000 ग्रामीण बसावटों के लिए बारहमासी सड़क संपर्क उपलब्ध कराने हेतु पीएमजीएसवाई का चरण IV आरंभ किया जाएगा
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘केन्द्रीय बजट 2024-25’ पेश करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा विगत वर्षों में अवसंरचना का निर्माण करने तथा इसे बेहतर बनाने के लिए किए गए पर्याप्त निवेश का अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हम अन्य प्राथमिकताओं और राजकोषीय समेकन की आवश्यकताओं के अनुरूप, अगले 5 वर्षों में अवसंरचना के लिए सुदृढ़ राजकोषीय सहायता बनाए रखने का प्रयास करेंगे। इस वर्ष, मैंने पूंजीगत व्यय के लिए 11,11,111 करोड़ का प्रावधान किया है। यह हमारी जीडीपी का 3.4 प्रतिशत होगा।
इसी तरह बुनियादी ढांचे के लिए मदद प्रदान करने को लेकर राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा कि हम राज्यों को उनकी विकास प्राथमिकताओं के अध्यधीन, अवसंरचना के लिए उसी पैमाने की सहायता उपलब्ध कराने हेतु प्रोत्साहित करेंगे। राज्यों को उनके संसाधन आवंटन में सहायता करने के लिए इस वर्ष भी 1.5 लाख करोड़ के दीर्घावधि ब्याज रहित ऋण का प्रावधान किया गया है।
अवसंरचना में निजी निवेश को बढ़ावा देने के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि समर्थकारी नीतियों और विनियमनों के माध्यम से अवसंरचना में निजी क्षेत्र द्वारा निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए एक बाजार आधारित वित्तपोषण फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा।
जनसंख्या में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए पीएमजीएसवाई के लिए पात्र बने 25,000 ग्रामीण बसावटों के लिए बारहमासी सड़क संपर्क उपलब्ध कराने हेतु पीएमजीएसवाई का चरण IV आरंभ किया जाएगा।
श्रीमती सीतारमण ने अपने बजट भाषण में सिंचाई और बाढ़ से निपटने के लिए बुनियादी ढांचा खड़ा करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बिहार ने अक्सर बाढ़ को झेला है, उनमें से बहुतों की उत्पत्ति देश से बाहर होती है। नेपाल में बाढ़ नियंत्रण संरचनाओं के निर्माण की योजनाओं पर प्रगति होनी बाकी है। हमारी सरकार, त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम और अन्य स्रोतों के माध्यम से, `11,500 करोड़ की अनुमानित लागत से कोसी-मेची अंतर्राज्यीय लिंक और बैराजों, नदी प्रदूषण न्यूनीकरण और सिंचाई परियोजनाओं सहित 20 अन्य चालू और नई स्कीमों जैसी परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा, कोसी से संबंधित बाढ़ उपशमन और सिंचाई परियोजनाओं का सर्वेक्षण और अन्वेषण भी किया जाएगा।
सीतारमण ने असम में निरंतर आने वाली बाढ़ की समस्या का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि असम प्रतिवर्ष भारत के बाहर उद्गम होने वाली ब्रह्मपुत्र नदी और इसकी सहायक नदियों द्वारा बाढ़ की विभीषिका का सामना करता है। हम असम को बाढ़ प्रबंधन और उससे संबंधित परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान करेंगे।
वित्त मंत्री ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पिछले वर्ष बाढ़ के कारण हुई व्यापक हानि की चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बहुपक्षीय विकास सहायता के माध्यम से पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिए राज्य को सहायता उपलब्ध कराएगी। केंद्रीय वित्त मंत्री सिक्किम को भी बाढ़ से हुए नुकसान से निपटने के लिए आर्थिक मदद प्रदान करने की घोषणा की।
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की वास्तविक वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत और नॉमिनल वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत रही है
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘केन्द्रीय बजट 2024-25’ पेश करते हुए कहा कि मेक्रो इकनामिक फ्रेमवर्क स्टेटमेंट और मीडियम टर्म फिस्कल पॉलिसी कम फिस्कल पॉलिसी स्ट्रेटजी स्टेटमेंट भारतीय अर्थव्यवस्था के मुख्य वित्तीय सूचकों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। यह अनिश्चित वैश्विक अर्थव्यवस्था के संबंध में प्रमुख बिन्दुओं के रूप में देखा जा रहा है। सरकार राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2025-26 तक जीडीपी के 4.5 प्रतिशत तक लाने में सफलता प्राप्त करने के उद्देश्य से निरंतर कार्य करेगी। इसके अलावा सरकार सतत विकास के साथ ही लोगों के कल्याण और आर्थिक वृद्धि में ऋण तथा सकल घरेलू उत्पाद के बीच समन्वय बनाने का प्रयास करते हुए लक्ष्य प्राप्त करने में ध्यान केन्द्रित करेगी।
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की वास्तविक दर 8.2 प्रतिशत और नॉमिनल वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत रही। वित्त 2023-24 में प्राईवेट कंजम्प्शन एक्सपेंडीचर में 4.0 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। ऐसा शहरी और ग्रामीण मांग में परिवर्तित हुई विभिन्न लाभप्रद स्थितियों के कारण संभव हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वृद्धि दर के 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। इसके साथ ही सामान्य दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से कृषि क्षेत्र में सकारात्मक माहौल देखा गया है, जिसका आर्थिक असर नजर आ रहा है। बैंकों की बैलेंस शीट, कार्पोरेट क्षेत्र का सशक्तिकरण और सरकार द्वारा लगातार अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिये जाने से सतत विकास, उच्च क्षमता उपभोग तथा व्यवसायिक अवसर भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं।
औसत खुदरा मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2022-23 में 6.7 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में 5.4 प्रतिशत पर आ गई है। शीर्ष पर महंगाई जून 2024 में 5.1 प्रतिशत थी, जो कोर मुद्रास्फीति की दर से 3.1 प्रतिशत नीचे है। सर्वांगीण रूप से मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में देखी गई है।
वर्ष 2024-25 के लिए, उधारियों को छोड़कर कुल प्राप्तियां तथा कुल व्यय क्रमशः 32.07 लाख करोड़ रुपए और 48.21 लाख करोड़ रुपए अनुमानित हैं। सकल कर प्राप्तियां 25.83 लाख करोड़ रुपए अनुमानित हैं। राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पूंजीगत व्यय सकल घरेलू उत्पाद का 3.4 प्रतिशत यानि 11,11,111 करोड़ रुपए रहा। इसमें राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए 1,50,000 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता शामिल है। बजटीय पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2019-20 के पूंजीगत व्यय का 3.3 गुणा है और 2024-25 के बजटीय अनुमान में कुल परिव्यय का 23 प्रतिशत है।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “वर्ष 2021 में, मेरे द्वारा घोषित राजकोषीय समेकन उपाय से हमारी अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है और हमारा लक्ष्य अगले वर्ष घाटे को 4.5 प्रतिशत से नीचे लाना है।”उन्होंने कहा कि सरकार इस राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। श्रीमती सीतारमण ने कहा, “वर्ष 2026-27 से, हमारा प्रयास प्रति वर्ष राजकोषीय घाटे को इस प्रकार रखना है कि केंद्र सरकार का ऋण सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में लगातार कम होता रहे।”
लेखा महा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा प्रकाशित 3 अस्थाई वास्तविक (पीए) के अनुसार केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.6 प्रतिशत हो गया है। इसके अलावा वर्ष 2023-24 में राजस्व घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 2.6 प्रतिशत कम हुआ है।
सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 के बजटीय अनुमान (बीई) के अनुसार केंद्र सरकार के प्रमुख राजकोषीय सूचकांक नीचे सूची में दिए गए हैं:
राजकोषीय सूचकांक | बजटीय अनुमान 2024-25 (प्रतिशत में) |
राजकोषीय घाटा | 4.9 |
राजस्व घाटा | 1.8 |
प्राथमिक घाटा | 1.4 |
कर राजस्व (सकल) | 11.8 |
गैर कर राजस्व | 1.7 |
केंद्र सरकार के ऋण | 56.8 |
वर्ष 2024-25 के दौरान दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से सकल और निवल बाजार उधारियां क्रमशः 14.01 लाख करोड़ रुपए और 11.63 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। दोनों ही वर्ष 2023-24 की तुलना में कम होंगे।
मार्च 2024 के अंत तक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल गैर निष्पादित परिसंपत्तियों का औसत घटकर 2.8 प्रतिशत पर आ गया। वर्ष 2017-18 में यह 11.2 प्रतिशत के उच्चस्तर पर था। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने मार्च 2024 में अपनी पूंजी को पूंजीगत भंडार में उच्च लाभ और नई पूंजी जोड़ कर सीआरएआर को 16.8 प्रतिशत कर लिया।
2024-25 के बजटीय अनुमान में सकल कर राजस्व (जीटीआर) के 11.7 प्रतिशत से बढ़ने का अनुमान किया गया है। सकल कर राजस्व का 38.40 लाख करोड़ रुपए (जीडीपी का 11.8 प्रतिशत) होने का अनुमान है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों का सकल कल राजस्व का क्रमश: 57.5 प्रतिशत और 42.5 प्रतिशत का योगदान देने का अनुमान है। कर राजस्व के 5.46 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
वर्ष 2023-24 के राजस्व अनुमान में प्रमुख सब्सिडी के 1.4 प्रतिशत से 2024-25 के बजटीय अनुमान का 1.2 प्रतिशत होने की संभावना है। 2024-25 के बजट अनुमान में राजस्व व्यय 10.3 प्रतिशत यानि 3.81 लाख करोड़ रुपए की प्रमुख सब्सिडी रहेगी।
राजस्व प्राप्ति और राजस्व व्यय में संतुलन बनाने के लिए बजट अनुमान 2024-25 में केंद्र सरकार की राजस्व प्राप्ति और राजस्व व्यय के क्रमश: 31.29 लाख करोड़ रुपए और 37.09 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
बजट अनुमान 2024-25 में वस्तु और सेवाकर प्राप्ति के 10.62 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2023-24 में जीएसटी संग्रह ने प्रमुख उपलब्धि हासिल की और सकल जीएसटी संग्रह 20.18 लाख करोड़ रुपए रहा। वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में इसमें 11.7 प्रतिशत वृद्धि हुई।
सकल कर राजस्व में 13.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई और केंद्र का कुल कर 10.9 प्रतिशत एकत्र हुआ। केंद्र सरकार का वित्त वर्ष 2023-24 में सकल परिव्यय में 5.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।