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केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीति से किसान परेशान

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सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा:सरकार द्वारा ई नीलामी प्रक्रिया द्वारा 1 फरवरी से सरकारी स्टॉक में से गेहूं की बिक्री शुरू कर दी है 30 लाख टन गेहूं को खुले बाजार में बेचने का जो निर्णय लिया गया है इस निर्णय के कारण गेहूं के मूल्यों में कमी देखने को मिल रही है यदि सरकार को गेहूं के दामों में आ रही तेजी को नियंत्रित करना था तो 2-3 माह पूर्व ही सरकार ने खुले बाजार में गेहूं बेचने का निर्णय क्यों नहीं लिया,सरकार के इस निर्णय का सीधा नुकसान आगामी किसानों की गेहूं की फसल के दामों पर पढ़ना हैI

आज वर्तमान में जब किसान की फसल पकने की स्थिति में है और मंडियों में नई फसल की आवक शुरू हो रही है।इस अवस्था में सरकार के द्वारा सरकारी स्टॉक में से इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं को खुले बाजार में बेचने के फैसले से बाजार में आने वाली मंदी का सीधा नुकसान नई गेंहू की फसल में किसानों को होगा पिछले दिनों में मंडियों में गेहूं 2800 से 3200₹ प्रति कुंटल के हिसाब से बिक रहा था सरकार के इस फैसले से गेहूं के रेट में 400-500 ₹ की कमी देखने को हर मंडियों में मिलेगी और स्थिति यही रही तो गेहूं के बाजार और अधिक घट सकते हैं Iकेंद्र सरकार के द्वारा 80 करोड़ से अधिक गरीब और अत्यंत निर्धन लोगों को लाभान्वित करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की जा चुकी है जिसके अनुसार लाभार्थियों को निशुल्क खाद्यान्न प्रदान करने के लिए नई एकीकृत खाद सुरक्षा योजना को मंजूरी दी गई है,जब इतनी बड़ी आबादी को सरकार सीधे खाद्यान्न का निशुल्क सपोर्ट दे रही है तो किसान की गेहूं की फसल को आते देख बाजार के मूल्य को कम करने हेतु इतनी बड़ी मात्रा में सरकारी स्टॉक में से खाद्यान्न की नीलामी करना कैसे सही हो सकता है इसका सीधा नुकसान किसानों को ही होगा मांग- पूर्ति के सिद्धांत के चलते बाजार में गेहूं के दाम गिरेंगे जिससे किसानों को कम दाम प्राप्त होंगे

सरकार जहां एक और किसान हितेषी होने का वादा करती है वहीं दूसरी ओर किसानों को खुले बाजारों में उपज में मिल रहे अच्छे दामों के रोकने के लिए भी षड्यंत्रकारी नीति लेकर आती है वर्तमान में समर्थन मूल्य पर 2125₹ के मूल्य पर गेहूं की खरीदी होना है जबकि खुले बाजार में गेहूं के दामों में भारी तेजी देखने को मिली है और गेहूं 2800से 3200₹ प्रति कुंटल तक मंडियों में बिक रहा थाIयदि सरकार के द्वारा 30लाख टन गेहूं खुले बाजार में नहीं लाया जाता तो स्वाभाविक है कि किसानों को नई फसल का ₹2800 से3200₹ मूल्य खुले बाजार में मिलता जो समर्थन मूल्य से बहुत ज्यादा अधिक है जिससे किसानों को अपनी उपज का अच्छा मूल्य प्राप्त होता जिससे किसानों की आय बढ़ती। किंतु सरकार के द्वारा इस फैसले से किसानों को बहुत बड़ी मात्रा में नुकसान होना लाजमी है
किसान हितेषी होने का दावा करने वाले किसान संगठनों का वर्तमान में कम मूल्य पर खुले बाजार में गेहूं की बिक्री पर अपना विरोध दर्ज ना करवाना उनकी कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह अंकित करता है
किसानों को अपनी उपज पैदा करने में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है मौसम की मार महंगे उर्वरक और महंगी मजदूरी होने के कारण किसानों की उत्पादन लागत बढ़ गई है सरकार द्वारा अपनी नीति निर्धारण में व्यवहारिक निर्णय लिए जाना बहुत जरूरी है जिससे किसानों का हित हो सकेI

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