भारत मौसम विज्ञान विभाग एवं स्काईमेट संस्था ने इस वर्ष अल नीनो के प्रभाव से मौसमी गतिविधियां प्रभाबित होने का पूर्वानुमान लगाया है
केंद्रीय कृषि मंत्री के मुख्य आतिथ्य में हुआ राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-खरीफ अभियान 2023
भविष्य की चुनौतियों से निपटने खेती में तकनीक का समर्थन जरूरी-श्री तोमर
कृषि क्षेत्र की गतिविधियों को सैटेलाइट के माध्यम से मॉनीटर करने के लिए कृषि मैपर एप लांच
सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा:-भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के द्वारा मात्रात्मक रूप से मानसून ऋतु जून से सितंबर में वर्षा के अनुमान में प्लस माइनस 5% मॉडल के साथ दीर्घावधि औसत LPA का 96% सामान्य होने की संभावना व्यक्त की है मौसम विभाग के अनुसार भूमध्य रेखीय प्रसार क्षेत्र में ला लीना की स्थिति तटस्थ स्थितियों में बदल गई है ला लीना की स्थिति बदलने के कारण अल नीनो की स्थिति मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है जिससे मानसून प्रभावित हो सकता है आईएमडी 2023 मई माह के अंतिम सप्ताह में मानसून के मौसम की वर्षा के लिए अद्यतन पूर्वानुमान जारी करेगा।
भारत की प्रमखु मौसम पूर्वानुमान और रिस्क सोल्यशनू के क्षेत्र की अग्रणी कंपनी स्काईमेट ने2023 के
लिए अपना मॉनसनू पूर्वानुमान जारी किया है। स्काइमेट के मॉनसनू पूर्वानुमान के अनुसार जनू से
सितंबर तक 4 महीने की औसत वर्षा868.6 मिमी की तुलना में816.5 मिमी यानी कि 94% की
संभावना है(मार्जिन+/-5 फीसदी)।
जतिन सिहं , प्रबंध निदेशक, स्काईमेट के अनुसार , “ट्रिपल-डिप-ला नीना के सौजन्य से, दक्षिण-पश्चिम
मानसनू ने पिछले4 लगातार मौसमों मेंसामान्य/सामान्य सेअधिक वर्षा दर्ज की। अब ला नीना
समाप्त हो गया है। प्रमखु महासागरीय और वायुमंडलीय न्यट्रूल ईएनएसओ के अनरूुप हैं। अल नीनो की
संभावना बढ़ रही हैऔर मानसनू के दौरान इसके एक प्रमखु श्रेणी बनने की संभावना बढ़ रही है। अल
नीनो की वापसी एक कमजोर मानसनू की भविष्यवाणी हो सकती है।सीजन का दूसरा भाग अधिक असामान्य होनेकी उम्मीद है।
भौगोलिक संभावनाओंके संदर्भ में, स्काईमेट को उम्मीद हैकि देश के उत्तरी और मध्य भागों में वर्षा की
कमी होनेका जोखिम होगा। गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जुलाई और अगस्त के मूख्य मानसनू
महीनों के दौरान अपर्याप्त बारिश होगी। उत्तर भारत के कृषि क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर
प्रदेश मेंसीजन के दूसरे भाग में सामान्य से कम बारिश होनेकी संभावना है।
मॉनसनू 2023 में किस महीने कितनी होगी बारिश:
जनू मेंLPA के मक़ाबले 99% बारिश हो सकती है(165.3 मिमी)
• 70% संभावना सामान्य बारिश की है।
• 10% संभावना सामान्य सेअधिक बारिश की है।
• 20% संभावना सामान्य सेकम बारिश की है।
जूलाई मेंLPA के मक़ाबले 95% बारिश हो सकती है(280.5 मिमी)
• 50% संभावना सामान्य बारिश की है।
• 20% संभावना सामान्य सेअधिक बारिश की है।
• 30% संभावना सामान्य सेकम बारिश की है।
अगस्त मेंLPA के मक़ाबले 92% बारिश हो सकती है(254.9 मिमी)
• 20% संभावना सामान्य बारिश की है
• 20% संभावना सामान्य सेअधिक बारिश की है
• 60% संभावना सामान्य सेकम बारिश की है
सितम्बर मेंLPA के मक़ाबले 90% बारिश हो सकती है(167.9 मिमी)
• 20% संभावना सामान्य बारिश की है
• 10% संभावना सामान्य सेअधिक बारिश की है
• 70% संभावना सामान्य सेकम बारिश की है

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भविष्य की जरूरतों व चुनौतियों को देखते हुए जरूरी है कि कृषि क्षेत्र में तकनीक को समर्थन मिले। जैसे-जैसे टेक्नालॉजी बढ़ेगी, खेती में काम करना आसान होगा, मेहनत कम होगी व ज्यादा मुनाफे की स्थिति बन सकेगी। इससे आने वाली पीढिय़ों का भी खेती के प्रति रूझान बढ़ेगा, इसके लिए भारत सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं व इनका सुचारू क्रियान्वयन किया जा रहा है। श्री तोमर ने यह बात खरीफ अभियान-2023 के लिए पूसा, नई दिल्ली में आज आयोजित राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि कही।इस मौके पर श्री तोमर ने कृषि मैपर एप लांच किया। इससे कृषि क्षेत्र की गतिविधियों को सैटेलाइट के जरिये मॉनीटर किया जा सकेगा, भूमि के किस हिस्से में, कौन-सी खेती की जा रही है, इसकी जानकारी मिलेगी। एकत्रित डाटा के माध्यम से किसानों को जरूरी सलाह दी जा सकेगी। कृषि मैपर प्रयासों के दोहराव कम करेगा, देश में नवप्रवर्तकों को विश्लेषण के लिए तैयार डाटा उत्पाद प्रदान करेगा। क्रेडिट तक पहुंच में आसानी एवं लगभग रीयल-टाइम मूल्यांकन और दावों के प्रसंस्करण की सुविधा भी प्रदान करेगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि पहले उर्वरक की उपलब्धता को लेकर विसंगतियों के कारण कई तरह की कठिनाइयां होती थी। मैं इस बात का साक्षी हूं कि जब यूरिया की जरूरत होती थी, तो अनेक राज्यों के सांसदों के साथ हम लोग पार्लियामेंट में गांधीजी की प्रतिमा के सामने बैठे रहते थे, इसके बावजूद यूरिया की उपलब्धता नहीं होती थी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ संकल्प के परिणामस्वरूप केंद्र सरकार ने इस दिशा में राज्य सरकारों के साथ मिलकर कई ठोस कदम उठाएं, यही कारण है कि पिछले सात-आठ वर्ष में इस तरह की विपरीत परिस्थितियां नहीं बनीं व व्यवस्थाएं ठीक प्रकार से चलती रही हैं। आज लगभग ढाई लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी फर्टिलाइजर में जा रही है, इस पर विचार करने की जरूरत है। अगर यह सब्सिडी बचेगी तो कृषि सहित अन्य क्षेत्रों के विकास में यह पैसा काम आएगा। इस दृष्टि से पीएम प्रणाम जैसी योजनाएं सरकार संचालित कर रही है, जिससे राज्य इस दिशा में प्रेरित हों। वर्तमान में नैनो यूरिया, नैनो डीएपी भी आ गया है। इसकी पर्याप्त उपलब्धता है व उपयोग भी हो रहा है। दूसरी ओर आर्गेनिक व नेचुरल फार्मिंग का रकबा भी बढ़ रहा है, ऐसे में खाद की कोई कमी नहीं रहेगी।
श्री तोमर ने कहा कि वर्तमान में अच्छे बीजों की उपलब्धता, सिंचाई के साधन, बिजली की उपलब्धता आदि की वजह से अच्छे उत्पादन को देखकर खुशी होती हैं, वहीं अब कृषि का डाटा तैयार करने की दिशा में भी कदम बढ़ाते हुए भारत सरकार डिजिटल एग्री मिशन पर काम कर रही हैं, एग्रीस्टेक बनाया जा रहा है, ताकि राज्य और केंद्र सरकार एग्रीस्टेक के माध्यम से हर खेत को अपनी नजर से देख सकें। कौन-से खेत में, कौन-सी फसल हो रही है, कहां ज्यादा है-कहां कम। कहां बर्बादी है, कहां फायदा है, इसका अवलोकन कर सकेंगे। इसके आधार पर किसानों को सलाह दी जा सकेगी कि इस बार किस हिस्से में खेती करना है, कहां नहीं। दूसरा फायदा यह होगा कि अगर किसानों का नुकसान होगा तो एग्रीस्टेक का इस्तेमाल करके प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से नुकसान का आंकलन कर क्लेम राशि शीघ्र उसके खाते में पहुंच जाएगी। उर्वरक व पानी का अपव्यय रोकने लिए भी तकनीक की आवश्यकता है। इसमें राज्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, तभी हम अपना लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। जिस तरह से हम उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, राज्यों के स्तर पर विद्यमान विषयों पर भी समय-समय पर विचार किया जाना चाहिए। अगर राज्यों की तरफ से केंद्र के लिए कोई सुझाव आएंगे, तो उनका केंद्र सरकार स्वागत करेगी। हम सबका एक ही लक्ष्य है और उसकी पूर्ति के लिए हम एक-दूसरे के सुझावों के साथ आगे बढ़ेंगे, तो देश का ज्यादा भला कर सकेंगे एवं किसानों की उन्नति कर सकेंगे।
सम्मेलन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि हमें इस तरह से काम करना चाहिए कि जब हमारी आजादी के 100 वर्ष पूर्ण हो, तो भारत विकसित राष्ट्र बनने के साथ ही कृषि क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बन सकें। नि:शुल्क बीज मिनीकिट वितरण में राज्यों को और कार्य करने की जरूरत है, ताकि अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके। सचिव (उर्वरक) श्री अरूण बरोका ने कहा कि खरीफ सीजन के लिए देश में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री मनोज अहूजा ने केंद्र की योजनाओं के सुचारू संचालन में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से सहयोग का आग्रह किया। डेयर के सचिव व आईसीएआर के महानिदेशक श्री हिमांशु पाठक ने जलवायु अनुकूल किस्मों का अधिकाधिक लाभ किसानों तक पहुंचाने का आग्रह किया।