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28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भूमि अभिलेखों के लिए राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली को अपनाया

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भू-आधार को 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अंगीकृत किया गया तथा 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इसको प्रायोगिक परीक्षण के तौर पर लागू किया गया


सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा:-भूमि संसाधन विभाग, भारत सरकार की देखरेख में विकसित, NGDRS प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन तंत्र तथा ई-गवर्नेंस के डिजिटलीकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
फेसलेस NGDRS लोगों को घर से ही वसीयत और पावर ऑफ अटॉर्नी जैसे दस्तावेजों को ऑनलाइन अपलोड करने में मदद करेगा। इससे वो प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूरा करने हेतु अपॉइंटमेंट बुक करने और लंबी लंबी कतारों में प्रतीक्षा करने की परेशानी से बच जाएंगे। सबसे अच्छी बात यह है कि वे ऑनलाइन NGDRS पोर्टल का इस्तेमाल करके आवश्यक शुल्क का भुगतान भी कर सकते हैं और इसके लिए उप पंजीयक कार्यालय में जाने की आवश्यकता नहीं है।28 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने भूमि अभिलेखों के सुरक्षित विवरण रखने के लिए राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) को कार्यान्वित कर लिया है। भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) का कहना है कि इन राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में ई-पंजीकरण को प्रमुखता दी जा रही है या फिर राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने उपयोगकर्ता इंटरफेस/एपीआई के माध्यम से एनजीडीआरएस के राष्ट्रीय पोर्टल पर अपना डाटा साझा करना शुरू कर दिया है।

NGDRS क्या है?
NGDRS या राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज़ रजिस्ट्रेशन प्रणाली – नेशनल जेनरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में राज्यों की सहायता के लिए एक इनहाउस तथा अलग-अलग राज्यों का सॉफ्टवेयर है। NGDRS राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं और प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन नियमों के अनुसार बनाया गया है। NGDRS नागरिकों द्वारा ऑनलाइन दस्तावेज़ एंट्री, ऑनलाइन प्रॉपर्टी मूल्यांकन और स्टांप शुल्क की गणना जैसी सेवाएं प्रदान करता है।

NGDRS के प्रमुख उद्देश्य
वन नेशन वन सॉफ्टवेयर

देश भर में प्रॉपर्टीज़ तथा दस्तावेज़ों के रजिस्ट्रेशन का एक सामान्य प्लेटफॉर्म

प्रॉपर्टी मूल्यांकन और ऑनलाइन दस्तावेज़ जमा करने की सुविधा द्वारा नागरिक सशक्तिकरण

रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में शामिल सभी पक्षों के लिए एक समर्पित और सिंगल प्लेटफॉर्म

भूमि संसाधन विभाग के भू सम्पति प्रभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, विशिष्ट भूमि खण्ड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) या भू-आधार को 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अंगीकृत किया गया तथा 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इसको प्रायोगिक परीक्षण के तौर पर लागू किया गया है कुछ राज्य स्वामित्व पोर्टल में यूएलपीआईएन (गांवों की आबादी का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण) का भी उपयोग कर रहे हैं।

दिनांक 18.04.2023 तक 6,57,403 गांवों में से 6,22,030 (94.62%) गांवों के भूमि अधिकारों के रिकॉर्ड (आरओआर) का कम्प्यूटरीकरण पूरा हो चुका है। 1,70,22,935 भूसंपत्‍ति मानचित्रों/एफएमबी में से (75.62%) 1,28,72,020 मानचित्रों/एफएमबी का डिजिटलीकरण किया गया है, जबकि 6,57,403 गांवों में से 4,22,091 गांवों (64.21%) के भूसंपत्‍ति मानचित्रों को आरओआर से जोड़ा गया है। कुल 5303 उप पंजीयक कार्यालयों में से 4922 (92.82%) उप पंजीयक कार्यालयों (एसआरओ) को कम्प्यूटरीकृत किया जा चुका है और ऐसे 4031 (76.01%) कार्यालयों को राजस्व कार्यालयों के साथ एकीकृत कर दिया गया है। स्वीकृत 3846 आधुनिक अभिलेख कक्षों (कुल एमआरआर-6866) में से कुल 3297 (85.73%) आधुनिक अभिलेख कक्ष (एमआरआर) स्थापित किए जा चुके हैं।

भू संसाधन विभाग भारत सरकार द्वारा शत प्रतिशत वित्त पोषण के साथ केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना के रूप में 01.04.2016 से ही डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) को सुचारू चला रहा है।

इस विभाग ने वर्ष 2022-23 के लिए  डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के संबंध में निर्धारित 239.25 करोड़ रुपये के बजट अनुमान का शत-प्रतिशत व्यय लक्ष्य प्राप्त कर लिया है

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