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पशुपालन विभाग में मनमानी रोकने सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संघ ने सौपा ज्ञापन

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सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा।म0प्र0 सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संघ भोपाल के आह्वान पर सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संघ जिला छिंदवाडा द्वारा पशुपालन विभाग के प्रशासनीक अधिकारीयो की मनमानी रोकने हेतु संघ ने मुख्यमंत्री महोदय के नाम पर कलेक्टर महोदय को ज्ञापन दिया । संघ के जिला अध्यक्ष महेश कुमार सुलखिया ने बताया की विभाग के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अनुचित दबाव बना कर मनवाछिंत लक्ष्य प्राप्त कर केवल कागजी आकंडे तैयार किये जा रहे है। जो की पूर्णतः भ्रामक एवं पशुपालको के लिए अलाभकारी होगे। चुकि विभाग का कृत्रिम गर्भाधान सुविधा देने का एक मात्र उदेश्य उन्नत नस्ल के पशु उत्पादन कर दुग्ध उत्पादन में वृध्दि करना हैं कृत्रिम गर्भाधान जैसा कार्य पूर्णतः प्राकृतिक है। आर्दश परिस्थित में कृत्रिम गर्भाधान करने से मूल उदेश्य की पूर्ति कुछ हद तक संभव है। प्रशासनिक दबाव बना कर कृत्रिम गर्भाधान के आकंडे तैयार करने से किसी का भी हित संर्वधन नही होगा।

महोदय कृत्रिम गर्भाधान के लिए तीन आवश्यक कारक पूर्ण होने चाहिये। (अ) मादा पशु का (ऋतुकाल) में आना।(ब) पशु चिकित्सक तक पशु को उपलब्ध होना (संस्था अथवा पशु पालक के निवास पर)(स) पशुपालक द्वारा पशु चिकित्सक को उचित समय पर (6से18 घण्टे के मध्य) सूचना देना।

उपरोक्त तीनो कारक पशुचिकित्सक के नियंत्रण में नही है। उसके बावजूद विभाग द्वारा पशुगणना के आकंडो के आधार पर (डंजीमउंजपबंससल) डाटा बना कर प्रतिदिन के अनुसार लक्ष्य निर्धारण कर एक दिवस में 20-20 कृत्रिम गर्भाधान करने का फरमान जारी किया और आदेश पालन न होने की दशा में दंडनीय अपराध घोषित कर वेतन रोकना, वेतन काटना, वार्षिक वेतनवृध्दि रोकना, निलम्बित करना आदि से दंडित किया जा रहा है। महोदय आप प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ इस विषय से सहमत होगे की प्राकृतिक कार्यो मे मामाफिक उपलब्धी चाहना पूर्णतः अप्राकृतिक सोच है।कर्मचारी अपने निर्धारित दायित्वो के लिए पशुपालक को सुलभ होने के लिए ही बाध्य है।विभाग के ऐसा कोई कार्य नही है जिसे विभागीय कर्मचारी अपनी क्षमता या स्वेच्छा से सम्पादित कर सके।

महोदय यदि यह मान भी लिय जावें की किसी संस्था क्षेत्र में जिसकी सीमाए 10 से 20 किलोमीटर तक विस्तारित है, इसमें 20 मादा पशु ऋतुकाल पर हो, कृत्रिम गर्भाधान कार्य हेतु एक पशु में औसत समय 1 घण्टे खर्च होना है। फिर एक मानव के लिए यह कैसे संभव है कि 20 पशुओ में प्रति दिन कृत्रिम गर्भाधान कर सके।महोदय विभाग द्वारा आदेश में (सार्थक) के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कर अपने संस्था पर प्रातः 9.00 बजे से सायं 4.00 बजे तक उपस्थित रहकर विभाग द्वारा निर्धारित दायित्व जैसे उपचार, औषधी वितरण, बधियाकरण, टीकाकरण सहित हितग्राही मूलक योंजनाओ का क्रियान्वयन करना।महोदय यहा यह भी अवगत होना चाहेगे की प्रदेश की भोगोलिक स्थिति अनुसार अधिकांश पशु जिनमें वर्षभर में कम से कम 4 माह तक विभिन्न प्रकार के टीकाकरण कार्य किये जाते है। यह सेवा प्रातः 7 बजे से पशुपालक के घर जाकर की जाती है। इस गंभीर विषय पर भी विभाग प्रमुखो द्वारा संज्ञान नही लिया गया।

मांग की कि मानवीय पहुॅच से पृथक कार्यो के लिए प्रशासनिक दबाव बनाकर आर्थिक एवं मानसिक पीडा से राहत प्रदान करेगे। आप हमारे प्रदेश के मुखिया होते हुये एवं विध्दान उच्च शिक्षित पशुपालक भी है। आप स्वंय जानते है कि कृत्रिम गर्भाधान किन परिस्थितिओ में संभव है। जबकि विभाग के प्रशासनिक अधिकारी अपनी हटधर्मिता और आंकडो की बाजीगरी दिखाते हुये एक-एक कार्यकर्ता को 20-20 कृत्रिम गर्भाधान प्रतिदिन करने हेतु बाध्य किया जा रहा है। जो कि एक मानाव के लिए किसी भी परिस्थिति में संभव नही है। ऐसे अमानवीय आदेशो पर संज्ञान लेकर उचित कार्यवाही करने की कृपा करेगे। उपरोक्त विषय में सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा कर समाधान का आग्रह किया गया परन्तु पशुपालन की प्राकृत्रिक एवं तकनिकी वैज्ञानिक विधा में दक्ष न होने के कारण इस प्रकार के मानमाने आदेश प्रसारित करके प्रशासनिक कसावट का प्रयास कर रहे है। जो की अनुचित है। महोदय संज्ञान लेने की कृपा करे । इस ज्ञापन मे जिला शाखा छिंदवाडा के संरक्षक विजय पवार सचिव फूलसिंह इवनाती कोषाध्यक्ष महेंद्र कुमार उईके महिला मोर्चा प्रमुख रजनी सलामे विकासखंड के समस्त अध्यक्ष महोदय एवं समस्त सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्राधिकारी साथी उपस्थित रहे।

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