छिंदवाड़ा की पावन भूमि पर 21मार्च को जन्म लिया था श्रीमाताजी निर्मला देवी ने
माता-पिता सहित स्वयं ने भी स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और गांधीजी के साथ रही आश्रम में
सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा। सहजयोग प्रणेता श्रीमाताजी निर्मला देवी का जन्म 21 मार्च,1923 को छिंदवाड़ा की पावन भूमि पर हुआ। श्रीमाताजी शालिवाहन वंशज से थीं। जन्म के समय श्रीमाताजी के निष्कलंक रूप को देखते हुए माता-पिता ने उन्हे निर्मला नाम दिया। श्रीमाताजी के माता-पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। आपने भी स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी की तथा साबरमती आश्रम में गांधीजी के साथ भी रहीं। गांधीजी आपको नेपाली गुडिय़ा कहकर बुलाते थे। माताजी से गांधीजी आध्यात्मिक सहाल भी लिया करते थे।
श्रीमाताजी को जन्म से ही मनुष्य की सम्पूर्ण नाड़ी तंत्र का ज्ञान था। आप सभी ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) से परिचित थीं। इस सम्पूर्ण ज्ञान को वैज्ञानिक आधार देने तथा वैज्ञानिक शब्दावली के अध्ययन हेतु श्रीमाताजी ने आर्युविज्ञान एवं मनोविज्ञान का अध्ययन किया। वर्ष-1947 में आपका विवाह तत्कालिन आयएएस श्री चंद्रिकाप्रसाद श्रीवास्तव से हुआ। श्री श्रीवास्तव बाद में भारत के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के संयुक्त सचिव रहे। आपको भारत सरकार ने पद्मश्री एवं पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया।
05 मई,1970 को श्रीमाताजी ने गुजरात के नारगोल में समुद्र किनारे सहस्त्रार खोला और विश्व को सहजयोग प्रदान किया। ऋषि-मुनियों द्वारा जो तपस्या वर्षो/सदियों तक की जाती थी और जो आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करके कुण्डलिनी का जागरण किया जाता था,जो सहस्त्रार पर पहुंचकर आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाती थी, वह श्रीमाताजी ने आमजन को सुलभ करवाया। इसकी अनुभूमि हाथों की हथेलियों पर ठण्डी धारा के रूप में करवाई,जिसे आदि शंकराचार्य ने सलिलम-सलिलम कहा था। सहजयोग के द्वारा मनुष्य अपने शरीर पर परमात्मा के प्रेम की शक्ति का अनुभव कर सकता है। अपने जीवनकाल में श्रीमाताजी ने 80 से अधिक देशों की यात्रा की और सहजयोग का प्रचार तथा वहां के लोगों को आत्मसाक्षात्कार देकर सहजयोग से जोड़ा। पूरे विश्व के लोगों को शांति एवं प्रेम की शक्ति से जोडऩे का काम किया। यही कारण रहा कि विश्व शांति के लिए प्रतिष्ठित नोबल पुरस्कार के लिए दो बार श्रीमाताजी का नाम नामांकित किया गया।
श्रीमाताजी कहती हैं-सहजयोग किसी भी जाति,किसी भी धर्म के लोग बिना भेदभाव के कर सकते हैं। विश्व शांति की स्थापना तभी हो सकती है जब हर व्यक्ति दूसरे से प्रेम करे।
मुझे श्रीमाताजी का आर्शीवाद हमेशा मिलता रहा, मैं उनसे मार्गदर्शन लेने आता था: कमलनाथ
सहजयोग प्रणेता परमपूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी के 100वें जन्मोत्सव के एक दिन पूर्व सोमवार दोपहर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने पुत्र सांसद नकुलनाथ के साथ लिंगा स्थित शिव पर्वत पर सहजयोग आश्रम में आए। आपने माताजी की छबि के समक्ष पूष्प अर्पित किए।
सहजयोग राज्य मीडिया प्रभारी ललित ज्वेल ने बताया कि चर्चा में श्री कमलनाथ ने कहाकि- मैं पूर्व से ही कई बार माताजी से मिलने आता रहा हूं। माताजी का आशीर्वाद मुझ पर रहा है। मैरे गुरू माताजी के भाई एनकेपी साल्वे थे। अत: मैरा यहां पारिवारिक सम्पर्क रहा। आपने कहाकि माताजी ने पूरे विश्व में धर्म,आध्यात्म और भारतीय संस्कृति का जो प्रसार सहजयोग के माध्यम से किया है,वह अनुकरणीय है। भारत की संस्कृति प्रेम,विश्वास और शांति की रही है। हम उसी पर चल रहे हैं। मैं सभी सहजयोगी भाई-बहनों सहित देश के नागरिकों से अपील करता हूं कि श्रीमाताजी निर्मला देवी के बताए मार्ग पर चलें और विश्व में भारत देश का नाम ऊं चा करें।
श्री कमलनाथ का स्वागत परमपूज्य श्रीमाताजी निर्मलादेवी सहजयोग नेशनल ट्रस्ट के वायस चेयरमेन रमेश मंताना, जन्मशताब्दी महोत्सव के संयोजक श्रीचंद जैन,नेशनल ट्रस्टी एवं मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ प्रभारी सोनाली भट्टाचार्य ,ललित ज्वेल,नीरज लवाले, प्रसन्न बाकलीवाल,नरेश थटेरे ने किया।

माताजी निर्मला देवी ने विश्व को शांति और प्रेम का संदेश दिया: वी.डी.शर्मा
सहजयोग प्रणेता श्रीमाताजी निर्मला देवी ने विश्व को शांति और प्रेम का संदेश दिया। माताजी ने विश्व के 140 देशों में सहजयोग के माध्यम से भारतीय संस्कृति और हमारे देवी-देवताओं की महिमा फैलाई,जो निश्चित भारत को विश्व गुरू बनाने में सहायक होगी।
यह बात भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने यहां कही। वे श्रीमाताजी निर्मला देवी के 100वें जन्मोत्सव पर जन्म स्थली पर पूष्प अर्पण हेतु आए थे। इस मौके पर उन छिंदवाड़ा के प्रभारी मंत्री कमल पटेल,भाजयुमो के प्रदेशाध्यक्ष वैभव पंवार,जिला भाजपाध्यक्ष विवेक बंटी साहू भी उपस्थित थे। सभी को आत्मसाक्षात्कार करवाया गया तथा आत्मअनुभूति करवाई गई। श्री शर्मा एवं श्री पटेल का सहजयोग परिवार द्वारा सम्मान किया गया। इस अवसर पर कृष्णा हरजानिया,नीलेश नाइक,अजीत गौतम उपस्थित थे।
