सतपुड़ा एक्सप्रेस रामाकोना, पांढुर्णा |बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और स्कूल चले हम जैसी योजनाओं की जमीनी हकीकत को उजागर करता हुआ रामाकोना की शासकीय कन्या शाला एवं प्राथमिक शाला एक बार फिर जलभराव की चपेट में आ गई है। बीते 11 दिनों में दो बार यह मुद्दा अखबारों की सुर्खियों में आ चुका है, फिर भी ना तो ग्राम पंचायत और ना ही शिक्षा विभाग की नींद खुली है।

बारिश में डूबा स्कूल, एक कमरे में सिमटी पढ़ाई 7 और 8 जुलाई की बारिश के बाद स्कूल के कई कमरे पानी से भर गए हैं। हालत यह है कि पहली से आठवीं तक के सभी छात्र-छात्राएं एक ही कमरे में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। प्रधानपाठक किरण कुरोठे ने बताया कि बारिश शुरू होने से पहले ही ग्राम पंचायत को जलभराव की संभावना से अवगत कराया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

स्कूल भवन में रह रहे सफाई कर्मचारी, फिर भी व्यवस्था बदहाल स्कूल परिसर के दो कमरों में ग्राम के सफाई कर्मचारी के परिवार निवास कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि बीते दो महीने से सिर्फ एक कर्मचारी ही कार्यरत है, बावजूद इसके, गैर-कार्यरत कर्मचारी का परिवार भी शाला भवन में रह रहा है, और उसे बिजली व अन्य सुविधाएं ग्राम पंचायत द्वारा मुहैया कराई जा रही हैं। यह स्थिति कई सवाल खड़े करती है।
कमरों की कमी, समाधान नहीं प्रधानपाठक का कहना है कि उन्होंने कई बार सफाई कर्मचारी को दूसरी जगह स्थानांतरित करने और उक्त कमरे शाला को सौंपने का निवेदन किया, लेकिन ग्राम पंचायत की ओर से हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला है।बच्चों को घुटनों तक पानी में करना पड़ता है संघर्षशाला जाने वाले बच्चों को रोज घुटनों तक पानी में चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता है। कई बच्चे कीचड़ में गिरकर गंदे हो रहे हैं, जिससे पालकों में नाराजगी है। शासन की करोड़ों की शिक्षा योजनाएं इस गांव में मात्र दिखावा बनकर रह गई हैं।
जनप्रतिनिधियों और पंचायत की चुप्पी सवालों के घेरे में
जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों और ग्राम पंचायत की इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी और निष्क्रियता ग्रामवासियों में आक्रोश उत्पन्न कर रही है। शाला की स्थिति सुधारने के लिए कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया।