Home AGRICULTURE अमरवाड़ा:गेहूं में नरवाई प्रबंधन पर कृषि विभाग ने किसानों को दिया प्रशिक्षण

अमरवाड़ा:गेहूं में नरवाई प्रबंधन पर कृषि विभाग ने किसानों को दिया प्रशिक्षण

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जानबूझकर नरवाई जलाने वाले किसानों पर लगेगा जुर्माना

सतपुड़ा एक्सप्रेस अमरवाड़ा (रिपोर्ट:आलोक सूर्यवंशी):कृषि विभाग अमरवाड़ा के द्वारा ग्राम गढ़ा दरयाव में किसान राजेश पिता सुखमन राय के यहां गेहूं की फसल काटने के बाद बिना नरवाई जलाए सुपर सीडर के माध्यम से मूंग की बोनी का प्रदर्शन कराया गया जिसमें बड़ी संख्या में क्षेत्रीय किसान, अनुविभागी अधिकारी हेमकरण धुर्वे,तहसीलदार राजेश मरावी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्रीमती अनीता डेहरिया सहित राजस्व एवं कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे

कृषि विभाग द्वारा प्रदर्शन के माध्यम से किसानों को जागरूक किया कि गेहूं की फसल काटने के बाद नरवाई को जलाए बगैर उन्नत कृषि यंत्रों के माध्यम से बिना किसी अतिरिक्त श्रम के आगामी फसल की बोनी की जा सकती है और यदि किसान सिर्फ जुताई करना चाहता है तो रोटावेटर और प्लाउ के माध्यम से खड़ी नरवाई को खेतों में मिलाकर जमीन को तैयार कर सकता है नरवाई को खेतों में मिलने से खेतों में जैविक कार्बन बढ़ता है जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है किसानों को जागरूक किया गया की नरवाई जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति को क्षति तो पहुंचती ही है साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है कार्यक्रम के माध्यम से किसानों सेअपील की गई कि वह नरवाई को जलाए बिना ही खेतों की तैयारी करें और अच्छा उत्पादन प्राप्त करें

खेतों में फसल कटाई के पश्चात फसलों के अवशेष नरवाई जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण हेतु धारा 163 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया है एवं स्पष्ट किया गया है कि उक्त आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के तहत दंडनीय होगा।जिले में फसल कटाई के पश्चात अगली फसल के लिए खेत तैयार करने हेतु कृषकों द्वारा अपनी सुविधा के लिए खेत में आग लगाकर फसल काटने के उपरांत भूमि जड डूढ (नरवाई) को नष्ट कर खेत साफ किया जाता है, जिसके दुष्परिणामों आ रहे हैं जिले में नरवाई जलाने की घटनाएँ संज्ञान में आ रही है, जो कि शासन के निर्देशों एवं जनहित के विपरीत हैं।अवगत हो कि पर्यावरण विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन क्रमांक एफ-12-37 2017/18-5 दिनांक 15.05.2017 से नरवाई में आग लगाने की घटनाओं को प्रतिबंधित कर पर्यावरण सुरक्षा हेतु नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश क्रम में Air Prevention & Control of Pollution Act 1981 के अंतर्गत प्रदेश में फसलों विशेषतः धान एवं गेहूं की फसल कटाई उपरांत फसल अवशेषों को खेतों में जलाये जाने हेतु प्रतिबंधित किया गया है, जिसे तत्काल प्रभाव से सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में लागू किये जाने के निर्देश हैं। निर्देशों का उल्लंघन किये जाने पर व्यक्ति/निकाय को नोटिफिकेशन के प्रावधान अनुसार पर्यावरण क्षति पूर्ति राशि देय होगी।

1. कृषक जिनके पास 02 एकड़ से कम जमीन है, उन्हें 2500/- रु. प्रति घटना पर्यावरण क्षति पूर्ति अर्थदण्ड देय होगा।2. कृषक जिनके पास 02 एकड़ से अधिक एवं 05 एकड़ से कम जमीन है, उन्हें 5000/- रू. प्रति घटना पर्यावरण क्षति पूर्ति अर्थदण्ड देय होगा।

3. कृषक जिनके पास 05 एकड़ से अधिक जमीन है उन्हें 15000/- रु. प्रति घटना पर्यावरण क्षति पूर्ति अर्थदण्ड देय होगा स्तर पर फसल अवशेष नरवाई न जलाने के संबंध में प्रचार प्रसार करते हुए किसान चौपाल के माध्यम से उक्त संबंध में किसानों को जागरूक किया जा रहा है। इसके पश्चात भी यदि नरवाई जलाने की घटनाएँ पाई जाती है, तो नियमानुसार संयुक्त रूप से तत्काल आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित कर तत्काल निर्देशों का अक्षरशः एवं कडाई से पालन किया जायेगा

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