कोई आकस्मिक योजना बी नहीं है, हमारे पास केवल एक ग्रह है
जैव ऊर्जा पर आधारित चौथा अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन में उपराष्ट्रपति जी का सारगर्भित उद्बोधन
सतपुड़ा एक्सप्रेस दिल्ली :उपराष्ट्रपति ने जैव ऊर्जा पर आयोजित चौथे अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुये कहा एक पेड़ मां के नाम” केवल एक भावनात्मक अपील नहीं है, यह एक क्रांतिकारी कदम है
जलवायु न्याय हमारा लक्ष्य होना चाहिए क्योंकि, जलवायु परिवर्तन सबसे अधिक हाशिए पर स्थित लोगों को प्रभावित करता है प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व भारत के सभ्यतागत लोकाचार का आंतरिक पहलू रहा है उपराष्ट्रपति ने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए) और टिकाऊ ऊर्जा में भारत के वैश्विक नेतृत्व की सराहना की ओर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सभी हितधारकों से सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज सचेत किया कि जलवायु परिवर्तन एक टाइम बम है और यह मानव जाति के लिए अस्तित्व का संकट है। उन्होंने ने चेतावनी दी कि “मानवता संकट में है।”
हमारा ग्रह, जो कभी एक हरा-भरा स्वर्ग था, अब अपने अतीत की छाया नहीं रहा। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन और वनों की कटाई के कारण, ग्रह विनाश के कगार पर पहुंच गया है।”
ऐसा कैसे हो सकता है कि जिस टहनी पर बैठे हैं, उसी को काट रहे हैं? ऐसा कैसे हो सकता है कि जो ऑक्सीजन आसानी से मिल रही है, उसको सिलेंडर में लेंगे? ऐसा कैसे हो सकता है कि दो पैसे के फायदे के लिए प्लेनेट को ही खत्म कर देंगे?
इससे ज्यादा धर्म का काम आज के दिन पृथ्वी पर कुछ नहीं हो सकता। आप किसी भी संप्रदाय के हो, किसी भी देश के हो, किसी भी संगठन के हो, किसी भी जाति के हो। आप यह काम करते हैं, तो आप स्वयं को ही नहीं, औरों को भी सुरक्षित करते हैं और भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को आप वह तो नहीं दे सकते जो आपको मिला था, पर कम से कम ऐसी व्यवस्था देंगे, जिससे वे आपसे ज्यादा सुधार कर सकें।
पर यदि आपने समय पर काम नहीं किया, विवेक से काम नहीं लिया, त्याग से काम नहीं लिया, भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों का अनुपालन नहीं किया, तो संपूर्ण विश्व बड़े संकट में आ जाएगा। और मैंने पहले भी कहा है, कोई कंटिजेंट प्लान नहीं है, कोई बनकर नहीं है, कोई दूसरा प्लेनेट नहीं है। यही प्लेनेट है, इसी को सुरक्षित रखना है, इसी को सृजन करना है, इसी का संरक्षण करना है।
भारत से उपयुक्त कोई स्थान नहीं है भारत दुनिया का पहला देश है जिसके लोगों ने कभी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं किया। हमने आक्रमण झेले हैं। भारत वह भूमि है जहां समय-समय पर हर कालखंड के अंदर कहते रहे हैं।और आज के दिन भारत जो कर रहा है, दुनिया में भारत की जो हैसियत है दुनिया में, भारत की प्रगति दुनिया को आश्चर्यचकित कर रही है। हमने जो कल्पना नहीं की थी, वह हमने हासिल किया है। आप में से बहुत से लोग होंगे जिन्होंने अंदाजा नहीं किया होगा कि आज से 34 साल पहले भारत की इकोनॉमी का साइज लंदन शहर की इकोनॉमी से छोटी थी, पेरिस शहर की इकोनॉमी से छोटी थी। उस समय में मैं केंद्र में मंत्री था और आज हम कहां से कहां आ गए, और हम कहां जा रहे हैं। 2047 विकसित भारत कोई सपना नहीं है।
श्री धनखड़ ने भारत की ओर से वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, हरित हाइड्रोजन मिशन और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे उठाए गए अग्रणी कदमों की प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने टिकाऊ ऊर्जा में भारत की निभाई गई नेतृत्वकारी भूमिका की सराहना की। उन्होंने जैव ऊर्जा के लाभों का उल्लेख किया। उपराष्ट्रपति ने कहा, “आधुनिक जैव ऊर्जा न केवल स्वच्छ ईंधन प्रदान करती है, बल्कि प्रदूषण को कम करने, किसानों की आय बढ़ाने, आयात बिलों को कम करने और स्थानीय नौकरियां उत्पन्न करने में भी सहायता करती है।”
उपराष्ट्रपति ने इस बात को रेखांकित किया कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सीमाओं के पार तक पहुंच रहा है। उन्होंने सरकारों, कॉरपोरेट नेताओं और लोगों सहित सभी हितधारकों से इस खतरे से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “जब हिसाब-किताब का दिन आएगा, तो कोई भी नहीं बचेगा, इसलिए हमें एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा, जितना हो सके, अपनी ऊर्जा को अधिकतम तक पहुंचाना होगा, अपनी क्षमता का उपयोग करना होगा, अपना सबकुछ देना होगा।”