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“वोकल फॉर लोकल के मंत्र के साथ स्थानीय उत्पादों कों वैश्विक पटल पर लाने की अभिनव पहल”

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रेलवे ने ‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’ स्कीम शुरू की जिसमे छिंदवाड़ा स्टेशन भी शामिल हैं
“स्थानीय उत्पादों के साथ ही साथ स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहित करने का सार्थक एवं अभिनव प्रयास”
“46 स्टेशनों में स्थापित हुआ वन स्टेशन वन प्रॉडक्ट के आउटलेट”

सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा:वोकल फॉर लोकल विजन को बढ़ावा देने, स्थानीय/स्वदेशी प्रोडक्ट के लिए एक मार्केट प्रदान करने और स्थानीय उत्पादको के लिए अतिरिक्त आय के अवसर जुटाने के उद्देश्य से रेलवे ने ‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’ स्कीम शुरू की है ।

रेलवे की व्यापक पहुंच और महत्व को ध्यान में रखते हुये दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के विभिन्न स्टेशनों पर
स्थानीय कपड़ों, हस्तशिल्प,मिटटी से निर्मित वस्तुएं, हथकरघा, बांस के उत्पाद, वनोपज आदि को बढ़ावा देने की
योजना बनायीं गई है । स्थानीय उत्पादों को बेहतर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नाम मात्र शुल्क के साथ
स्थानीय उत्पादों को 15-15 दिनों के लिए यह व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है, जबकि छोटे स्टेशनों पर यह अवधि
बढ़ाकर 3 माह भी किया जा सकता है ।
इसी कड़ी में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में वन स्टेशन वन प्रोडक्ट योजना के 46 स्टेशनों में लगभग 50 स्टाल
लगाए गए है,जिसमें स्थानीय स्तर पर निर्मित एवं प्रसिद्ध वस्तुओं की बिक्री प्रारंभ की गई है । इन स्टेशनों में
बिलासपुर रेल मण्डल के अंतर्गत 15, रायपुर रेल मण्डल के अंतर्गत 15 स्टेशन तथा नागपुर रेल मण्डल के अंतर्गत 16
स्टेशन – इतवारी, गोंदिया, नैनपुर, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, तुमसर रोड, भंडारा रोड, बालाघाट, घंसौर, ग्वारीघाट,
नागभीड़, सौसर, तिरोरा, वारासिवनी, वडसा एवं छिंदवाड़ा स्टेशन शामिल हैं ।
इन स्टालों में उपलब्ध कलाकृतियों एवं सामानों के माध्यम से स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए इन
विलक्षण कलाकारी से यात्री परिचित हो रहे हैं साथ ही आवश्यकतानुसार इसकी खरीददारी भी कर रहे हैं तथा इनकी
कारीगरी की तारीफ भी कर रहे हैं । नागपुर मंडल के तहत विशेषकर डोंगरगढ़ में होम मेड मशाला, राजनन्दगाँव में
मिलेट्स, गोंदिया में बम्बू आर्ट आदि स्थानीय उत्पादों के आउटलेट्स लगाए गए हैं ।
इस योजना के तहत रेलवे छोटे किसानों और उद्यमों के लिए कुशल लॉजिस्टिक्स विकसित करेगा। प्रत्येक
रेलवे स्टेशन को एक स्थानीय उत्पाद के लिए प्रचार केंद्र की तरह देखा जा सकता है। यह किसानों और कृषि एवं उसके
सहयोगी उद्यमों के लिए अधिक कुशल विकसित करने में मदद करेगा और स्टेशनों से गुजरने वाले व्यापक दर्शकों,
यानी रेलवे यात्रियों के लिए अद्वितीय क्षेत्रीय उत्पाद पेश करेगा । इसका उद्देश्य रेलवे का उपयोग करके स्थानीय
उत्पाद की आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर बनाना है ।
इसके लिए रेलवे निजी खर्च पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन अहमदाबाद द्वारा निर्मित कियोस्क स्टेशन
पर लगाकर देगा । उत्पादकर्ता को पंद्रह दिनों के लिए कियोस्क दिया जाएगा । रेलवे के इतिहास में पहली बार होगा
कि कियोस्क लगाने के लिए लोगों द्वारा आवेदन किए जा रहे हैं । कियोस्क का ढांचा रेलवे देगा, जबकि जिसे यह अलाट
होंगे, वे सामान रखकर बेच सकेंगे । इसकी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस योजना मेंप्रत्यक्ष रूप से प्राथमिक
उत्पादकों के लिए है । एक स्टेशन-एक उत्पाद के तहत स्थानीय कलाकार को स्टेशन पर सिर्फ 15 दिन में ही अपने
उत्पाद प्रदर्शित करने दिया जाएगा । इसके बाद दूसरे कलाकारों को मौका मिलेगा । एक माह में दो उत्पाद और एक
साल में 24 उत्पाद एक स्टेशन के लिए रेलवे को चाहिए हैं। ऐसे में एक स्टेशन पर एक या दो नहीं बल्कि कई स्थानीय
उत्पादों को यह स्टॉल उपलब्ध कराया जा रहा है । वर्तमान में छोटे स्टेशनों में उत्पादकों को और प्रोत्साहित करने के
लिए इन नियमों को और लचीला किया गया है । छोटे स्टेशन में यह स्टॉल तीन महीने तक के लिए लिया जा सकता है
। साथ ही स्वयं सहायता समूह को भी इससे जोड़ने के लिए निर्देशित किया गया है ।

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