भारत के चंद्रयान 03 मिशन की सफलता पूर्वक लैंडिंग
चंद्रमा के दक्षिणी भाग पर उतरने वाला विश्व में पहला देश बना भारत
आगे आदित्य मिशन की तैयारी चाँद से सूरज तक का सफर तय करेगा भारत
सतपुड़ा एक्सप्रेस श्रीहरिकोटा: पूरे देश में खुशी की लहर चंद्रयान की सफलता पर सभी देशवासी एक दूसरे को दे रहे हैं शुभकामनाएं एवं बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी देश को बधाई यह समस्त देशवासियों के लिए गौरव का पल है भारत ने रचा इतिहास विश्व के पटल पर दक्षिणी भाग में पहुंचने वाला पहला देश बना भारत व चंद्रमा पर सफलतम पहुंचने वाला चौथा देश हुआ भारत
मिशन चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है, क्योंकि पिछला मिशन सफलता पूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद अंतिम समय में मार्गदर्शन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास में विफल हो गया था, सॉफ्ट लैन्डिंग का पुनः सफल प्रयास करने हेतु इस नए चंद्र मिशन को प्रस्तावित किया गया था।
चंद्रयान-3 का लॉन्च सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार, श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई, 2023 शुक्रवार को भारतीय समय अनुसार दोपहर 2:35 बजे हुआ था। यह यान चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त 2023 को भारतीय समय अनुसार सायं 06:04 बजे के आसपास उतरा हैं।
चंद्रयान 3 मिशन में भारत को सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन, और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो गया।
इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के लिए तीन मुख्य उद्देश्य निर्धारित किए हैं, जिनमें शामिल हैं:
लैंडर की चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कराना।
चंद्रमा पर रोवर की विचरण क्षमताओं का अवलोकन और प्रदर्शन।
चंद्रमा की संरचना को बेहतर ढंग से समझने और उसके विज्ञान को अभ्यास में लाने के लिए चंद्रमा की सतह पर उपलब्ध रासायनिक और प्राकृतिक तत्वों, मिट्टी, पानी आदि पर वैज्ञानिक प्रयोग करना।
बनावट
चंद्रयान-3 के लैंडर में केवल चार थ्रॉटल-सक्षम इंजन थे इसके अतिरिक्त, चंद्रयान-3 लैंडर लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर (एलडीवी) से लैस था । [चंद्रयान-2 की तुलना में इम्पैक्ट लेग्स को मजबूत बनाया गया था और उपकरण की खराबी का सामना करने के लिए एक से अधिक उपाय किए गए थे । लैंडर पर तापीय चालकता और तापमान को मापने के लिए चंद्रा सरफेस थर्मोफिज़िकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE, चेस्ट), लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीयता को मापने के लिए इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सेसमिक ऐक्टिविटी (ILSA) व प्लाज्मा घनत्व और इसकी विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए लेंगमुइर प्रोब (RAMBHA-LP) नामक भारतीय पेलोड शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त नासा से एक निष्क्रिय लेजर रिट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे को चंद्र लेजर रेंजिंग अध्ययनों के लिए इसमें समायोजित किया गया है।प्रज्ञान 6 पहिये वाला लगभग 26 किलो वजनी एक रोवर है जो 500 मीटर की रेंज में कार्य करने की क्षमता रखता है। प्रज्ञान रोवर लैंडिंग साइट के आसपास तत्व संरचना का पता लगाने के लिए अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) औरलेज़र इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) नामक पेलोड से युक्त है
उपग्रह को LVM3 -M4 रॉकेट पर 14 जुलाई 2023 की दोपहर 2:35 बजे IST पर 170 कि॰मी॰ (106 मील) की ईपीओ पेरिजी और 36,500 कि॰मी॰ (22,680 मील) का अपोजी पर लॉन्च किया गया था। इसके बाद ऑन-बोर्ड एलएएम (लिक्विड अपोजी मोटर) और रासायनिक थ्रस्टर्स का उपयोग करके उपग्रह को ट्रांस-लूनर इंजेक्शन कक्षा में स्थापित करने के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं शृंखलाबद्ध तरीके से किया जाएगा।
दिसंबर 2019 में, यह बताया गया कि इसरो ने परियोजना की प्रारंभिक फंडिंग के लिए ₹75 करोड़ (US$10.95 मिलियन) का अनुरोध किया था, जिसमें से ₹60 करोड़ (US$8.76 मिलियन) मशीनरी, उपकरण और अन्य पूंजीगत व्यय की पूर्ति के लिए होगा, जबकि शेष ₹15 करोड़ (US$2.19 मिलियन) राजस्व व्यय मद में मांगा गया है।परियोजना के अस्तित्व की पुष्टि करते हुए, इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि लागत लगभग ₹615 करोड़ (US$89.79 मिलियन) होगी