सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा: जनजातिय कार्य विभाग द्वारा 8 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले टेंडर में मनमानी शर्तें जोड़ने पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए संबंधित अधिकारियों को याचिका कर्ता की आपत्ति सुनने के आदेश दिए है।
कोर्ट ने निविदा की शर्तों में याचिका कर्ता की आपत्ति में नियमानुसार प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है।यह मामला छिंदवाड़ा जिले के जनजाति कार्य विभाग द्वारा 4 फरवरी को जारी की गई ऑनलाइन निविदा से जुड़ा है, जो विभाग द्वारा संचालित आश्रम छात्रावासों के रखरखाव कार्य के लिए थी। एक ठेकेदार ने आरोप लगाया कि टेंडर में अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने मनचाही शर्तें जोड़कर पारदर्शिता का उल्लंघन किया गया और इस बाबत सहायक आयुक्त को शिकायत की गई थी।हालांकि विभाग की ओर से कोई ठोस कार्यवाही न होने पर ठेकेदार ने जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है और कुछ शर्तें विशेष पक्ष को लाभ पहुंचाने के इरादे से जोड़ी गई थीं।कोर्ट ने जनजातिय कार्य विभाग को याचिका कर्ता की आपत्तियों को सुनकर टेंडर प्रक्रिया का निराकरण हेतु आदेश दिया है जानकारों का कहा कि इस प्रकार की साठगांठ करोड़ों के सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की ओर इशारा करती है। हाईकोर्ट ने टेंडर की सभी शर्तों की पुनः समीक्षा कर आवश्यक सुधार करते हुए प्रक्रिया दोबारा निष्पादित करने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट के उक्त आदेश से सफल निविदा कारों मे हड़कम मच गया है उक्त टेंडर में फर्जी विद्युत ठेकेदार का सर्टफिकेट लगने के आरोप भी सफल निविदा कारों पर लग रहे हैं हालाकि कार्य आदेश जारी नहीं किए गए हैं।
इस संबंध में सहायक आयुक्त सत्येंद्र सिंह मरकाम का कहना है कि कोर्ट के आदेानुसार याचिका कर्ता की आपत्तियों को सुनकर टेंडर प्रक्रिया का निराकरण किया जाएगा।