Home CITY NEWS छिंदवाड़ा जिले में अवैध प्लाटिंग और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम तेज

छिंदवाड़ा जिले में अवैध प्लाटिंग और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम तेज

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गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने खोला मोर्चा

सतपुड़ा एक्सप्रेस अमरवाड़ा :जिले में कृषि भूमि पर हो रही अवैध प्लाटिंग और प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने मोर्चा खोल दिया है। प्रशासन द्वारा पहले अवैध कॉलोनियों में सुविधाएं देने और अब उन्हें अवैध घोषित कर नोटिस जारी करने से जनता में आक्रोश बढ़ रहा है।

अवैध प्लाटिंग का खेल

जिले में सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि को बिना अनुमति के छोटे-छोटे प्लॉट्स में बांटकर बेचा जा रहा है बिना वैधानिक अनुमति के रजिस्ट्री, नामांतरण, और प्रमाण पत्र जारी किए गए।
बिना रेरा पंजीकरण के प्लॉट बेचे जाने के बावजूद प्रशासन द्वारा समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की जाती।


गरीबों को नोटिस, भू-माफियाओं को संरक्षण:

प्रशासन द्वारा पुश्तैनी जमीनों पर रहने वाले गरीबों को अवैध प्लाटिंग के नाम पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
वहीं, अवैध कॉलोनाइजरों को खुली छूट दी गई, जिन्होंने प्रशासनिक मिलीभगत से जमीनों की प्लॉटिंग कर मोटा मुनाफा कमाया गया है।

अमरवाड़ा नगरपालिका द्वारा जारी नोटिसों में स्पष्टता नहीं है की नगरपालिका के अंतर्गत किस खसरा मे कितने रकबा मे अवैध प्लाटिंग की गई है जो संबन्धित अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठता है बड़ी संख्या मे लगभग 100 लोगों को एसे नोटिस जारी हुये है


सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग:

कई अवैध कॉलोनियों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकानों की मंजूरी दी गई।
नगर पालिका द्वारा इन क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पानी, नाली जैसी सुविधाएं दी गईं, जिससे इन कॉलोनियों की वैधता पर सवाल उठ रहे हैं।


प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार:

प्रशासन ने पहले टैक्स और अन्य शुल्क वसूले, अब उन्हीं कॉलोनियों को अवैध बताकर नागरिकों को नोटिस थमाए जा रहे हैं।
भू-माफियाओं और अधिकारियों की सांठगांठ के कारण अवैध प्लॉटिंग का यह खेल वर्षों से जारी है।

अवैध प्लाटिंग पर रोक:जिले में कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग और रजिस्ट्रियों को तत्काल रोका जाए।
बिना रेरा पंजीकरण के हो रही भूमि बिक्री पर सख्त कार्रवाई की जाए।


निष्पक्ष जांच:
पूरे जिले में हुई अवैध प्लाटिंग और नगर पालिका की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
दोषी अधिकारियों और भू-माफियाओं पर कानूनी कार्रवाई हो।


प्रशासन की जवाबदेही:जिन अधिकारियों ने अवैध प्लाटिंग को बढ़ावा दिया, उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाए।
भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं।


भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई:भू-माफियाओं और अधिकारियों के बीच की सांठगांठ को उजागर कर दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
नोटिसों के जरिए की जा रही अवैध वसूली की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिये।

अवैध कॉलोनियों के संबंध में रेरा कानून और नगर पालिका की कार्यवाही

रेरा (RERA – Real Estate Regulatory Authority) कानून का उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। अवैध कॉलोनियों के मामले में नगरपालिका द्वारा निम्नलिखित कार्यवाही की जाती है:

  1. अवैध कॉलोनी की पहचान
    नगर पालिका क्षेत्र में बिना स्वीकृति के विकसित की गई कॉलोनियों को अवैध माना जाता है।
    किसी भी निर्माण को वैध बनाने के लिए नगर पालिका और विकास प्राधिकरण से स्वीकृति आवश्यक होती है।
  2. निर्माण कार्य पर रोक
    यदि किसी कॉलोनी को बिना स्वीकृति के विकसित किया जा रहा है, तो नगर पालिका वहां निर्माण कार्य को रोक सकती है।
    अवैध निर्माण सामग्री जब्त की जा सकती है।
  3. जुर्माना और विधिक कार्यवाही
    अवैध कॉलोनी विकसित करने वालों (डिवेलपर/कॉलोनाइजर) पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
    संबंधित प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जैसे कि नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम, मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, या अन्य राज्य कानून।
  4. अवैध प्लॉटों की बिक्री पर रोक
    रेरा अधिनियम के तहत बिना रजिस्ट्रेशन के प्लॉटों की बिक्री प्रतिबंधित होती है।
    अवैध रूप से बेचे गए प्लॉटों को अमान्य घोषित किया जा सकता है।
  5. वैधता के लिए नियमितीकरण (Regularization)
    कुछ राज्यों में अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के लिए सरकार समय-समय पर नीतियां बनाती है।
    यदि सरकार द्वारा ऐसी कोई योजना चलाई जाती है, तो नगर पालिका उसमें सहयोग कर सकती है।
  6. मूलभूत सुविधाओं की अस्वीकृति
    अवैध कॉलोनियों में बिजली, पानी, सड़क जैसी सुविधाएं प्रदान नहीं की जातीं।
    नगर पालिका द्वारा इन सुविधाओं को रोक दिया जाता है ताकि लोग अवैध प्लॉट खरीदने से बचें।
  7. नागरिकों के लिए चेतावनी और जागरूकता अभियान
    नगर पालिका विज्ञापन और नोटिस के माध्यम से नागरिकों को अवैध कॉलोनियों में निवेश करने से रोकने के लिए जागरूक करती है।


रेरा (RERA – Real Estate Regulatory Authority) अधिनियम, 2016 को भारत सरकार ने रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा के लिए लागू किया है। इस अधिनियम को लागू करने की मुख्य शर्तें निम्नलिखित हैं:

  1. परियोजनाओं का पंजीकरण
    यदि कोई रियल एस्टेट प्रोजेक्ट 500 वर्ग मीटर या उससे अधिक के क्षेत्रफल में फैला हो या 8 से अधिक इकाइयाँ (फ्लैट/प्लॉट) हों, तो उसे RERA के तहत पंजीकृत करना अनिवार्य है।
    बिना पंजीकरण के किसी भी परियोजना की बिक्री, बुकिंग, या विज्ञापन नहीं किया जा सकता।
  2. प्रमोटर (बिल्डर) की जिम्मेदारियाँ
    परियोजना के लिए सभी अनुमतियाँ और स्वीकृतियाँ पहले से प्राप्त होनी चाहिए।
    खरीदारों से लिया गया धन केवल निर्माण कार्य में ही उपयोग किया जाना चाहिए (कम से कम 70% राशि एक अलग बैंक खाते में जमा होनी चाहिए)।
    परियोजना की समय सीमा का पालन करना अनिवार्य है, अन्यथा खरीदार को मुआवजा देना होगा।
  3. रियल एस्टेट एजेंटों का पंजीकरण
    जो भी व्यक्ति या एजेंसी रियल एस्टेट के कारोबार में शामिल हैं, उन्हें RERA में पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
  4. खरीदारों के अधिकार और सुरक्षा
    खरीदारों को संपत्ति के स्वामित्व से जुड़ी सभी जानकारी पारदर्शी रूप से मिलनी चाहिए।
    यदि खरीदार को तय समय पर फ्लैट/प्रॉपर्टी नहीं मिलती, तो उसे ब्याज सहित पैसा वापस लेने का अधिकार होता है

रिपोर्ट :आलोक सूर्यवंशी 9300882600

अवैध कॉलोनियों में राजस्व विभाग की भूमिका अगले लेख मे क्रमशा:

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