सतपुड़ा एक्सप्रेस छिन्दवाड़ा/ जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र चंदनगांव छिंदवाड़ा के सह संचालक अनुसंधान एवं अधिष्ठाता डॉ.आर.सी.शर्मा ने खरीफ फसलों के प्रबंधन के लिये कृषकों को उपयोगी सलाह दी है।
सोयाबीन कृषकों के लिये उपयोगी सलाह- कृषकों को सलाह दी गई है कि जलभराव से होने वाले नुकसान से सोयाबीन फसल को बचाने के लिये अतिरिक्त जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित
करें। सोयाबीन की पत्तियां अगर पीली, खुरदुरी अथवा रालवटे दिखाई दे रही हैं तो किसान मोजेक रोग से सुरक्षा के लिये रोगवाहक कीट सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं। यदि फसल में सफेद मक्खी का प्रकोप है, तो इसके नियंत्रण के लिये थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125 मि.ली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मि.ली./हे.) या एसिटेमीप्रिड 25% + बायफेंथिन 25% WG (250 ग्रा./हे.) का छिड़काव करें। मौसम गर्म एवं नम लगातार बारिश होने की स्थिति में अगर किसानों को सोयाबीन के तनों एवं फल्लियों पर असामान्य छोटे तथा काले धब्बे दिखाई दे, पत्तियां मुरझाने लगे एवं उनकी शिरायें भूरी होने लगे तब किसानों को यह सलाह दी गई है कि वे सोयाबीन के एन्ब्रेकनोज (श्याम वर्ण) के नियंत्रण के लिये शीघातिशीघ्र टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मि.ली./हे.) या टेबूकोनाजोल 38.39 एस.सी. (625 मि.ली./हे.) या टेबूकोनाझोल 10% + सल्फर 65% WG (1.25 कि.ग्रा./हे.) या कार्बेन्डाजिम 12% + मैन्कोजेब 63% डब्ल्यूपी. (1.25 कि.ग्रा./हे.) से फसल पर छिड़काव करें। रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट रोग में अधिक वर्षा होने की स्थिति में पत्तियों में भूरे से लाल रंग के धब्बे दिखाई देते है जिसके नियंत्रण के लिये अनुशंसित फफूंदनाशक पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20% WG (375-500 ग्रा./हे.) फफूंदनाशकों को अपने फसल पर छिड़काव करें।
मक्का कृषकों के लिये उपयोगी सलाह- मक्के की फसल अधिक नमी की स्थिति के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती है, इसलिए जिले में हो रही अधिक बारिश के कारण खेतों में रुके हुए अतिरिक्त पानी को निकाल दें। इसके बाद मक्के की फसल की उचित वृध्दि को बनाए रखने के लिए 25 किलोग्राम यूरिया तथा 15 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति एकड़ खड़ी फसल में
दें। प्रचलित उच्च आर्द्रता और बरसाती मौसम की स्थितियों में मक्के में फॉल आर्मीवर्म के संक्रमण के लिये अनुकूल हैं। कीट की निगरानी करें, यदि दिखाई दे तो क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% एस. सी. की 0.4 मिली (या) इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी. की 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। अधिक वर्षा की स्थिति के कारण कई किसानों के मक्के की फसल के खेतों में जिंक की कमी पाई गई है। लक्षण पाए जाने पर जिंक सल्फेट 2 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल तैयार कर एक सप्ताह के अन्तर पर दो बार छिड़काव करें।
अन्य फसल हेतु समसामायिक सलाह- जिन किसानों को कोदो एवं कुटकी की बुवाई करना है, वह मौसम साफ होने की स्थिति में शीघ्र ही उन्नत किस्मों जैसे कोदो जवाहर कोदो-439, जवाहर कोदो 137 तथा कुटकी की उन्नत किस्में जवाहर कुटकी 4 एवं जवाहर कुटकी 6 की शीघ्र बुवाई करें। धान की रोपाई पेडी प्लान्टर मशीन से करे जिससे समय, श्रम एवं लागत में बचत की जा सकती है। जिन कृषकों ने जगनी की बुवाई के लिये खेत खाली छोड़ रखा है। वह कृषक मौसम साफ होने की दशा में शीघ्र ही उन्नत किस्मों जैसे जे.एन.एस.-28 एवं जे.एन.एस.-30 की बुवाई प्रारंभ करें।
सब्जियों के लिये समसामायिक सलाह- खेतों, बगीचे एवं नर्सरी में जल भराव की स्थिति न
बनने दें एवं जल निकास की समूचित व्यवस्था फसलों के लिये बनायें। सब्जियों में आवश्यक रूप से नींदा नियंत्रण करें। सब्जियों में फल छेदक कीट के नियंत्रण के लिये नीम तेल (10000पी.पी.एम.) 3-5 मिली./ली. अथवा इमामेक्टिन बेनजोएट 5% एस.जी. @ 0.5 ग्राम/ली. अथवा स्पाइनोसेड 48 ई.सी. का 1 मिली./4ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। जल भराव की स्थिति में जड़ सड़न के लिये सब्जियों में मेटेलएक्सेल 8%+ मेन्कोजेब 64% की 1.5-2 मिली/ली. जल में घोल बनाकर ड्रन्चिग करें। सब्जियों में इस समय रस चूसक कीट के नियंत्रण के लिये पीले चिपचिपे प्रपंच 10 प्रति एकड़ की दर से तथा वर्टिसीलीयम लेकानी @ 5 ग्राम/ली. अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. @ 0.5 मिली/ली. पानी की दर से छिड़काव करें। फलदार वृक्षों के लिये रोपण का सही समय है कृषक बगीचों की स्थापना कर सकते है। खेतों में सतत निगरानी रखें ताकि किसी भी कीट अथवा रोग का प्रारंभिक अवस्था में निदान हो सकें।