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धार्मिक स्थलों में भगदड़ व अन्य दुर्घटनाओं को रोकने के संबंध में दिशा निर्देश जारी

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सतपुड़ा एक्सप्रेस छिन्दवाड़ा/  राज्य शासन के गृह विभाग के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा धार्मिक स्थलों में भगदड़ व अन्य दुर्घटनाओं को रोकने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किये गये हैं । इन निर्देशों के परिपालन में कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले द्वारा पुलिस अधीक्षक और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के साथ ही आयुक्त नगरपालिक निगम, सभी राजस्व अनुविभागीय अधिकारियों, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, अतिरिक्त परिवहन अधिकारी, कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण, जल संसाधन व लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, अधीक्षण यंत्री म.प्र.पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, परियोजना अधिकारी जिला शहरी विकास अभिकरण, सभी तहसीलदारों, निदेशक आकाशवाणी केन्द्र और अन्य अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही की जाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं ।

      कलेक्टर श्रीमती पटले ने बताया कि जिले में धार्मिक स्थलों में विशिष्ट धार्मिक आयोजनों के दौरान भगदड़ व अन्य दुर्घटनाओं की स्थिति निर्मित होने की संभावना होती है। धार्मिक स्थलों पर पूर्व में घटित दुर्घटनाओं के विश्लेषण से यह तथ्य परिलक्षित होता है कि ऐसी दुर्घटनाओं का मुख्य कारण मानवीय भूल, आपातकालीन आकस्मिक कार्ययोजना का अभाव, धार्मिक स्थल की विषम भौगोलिक स्थिति, धार्मिक स्थल की संरचना की कमजोरी, श्रध्दालुओं की भीड़ के अनुरूप आयोजन स्थल का अनुपयुक्त होना, समय सीमा में चेतावनी प्रसारण नहीं होना, सभी एजेंसियों में समन्वय की कमी आदि प्रमुख है । उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये है कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा धार्मिक स्थलों में भगदड़ व अन्य दुर्घटनाओं को रोकने के संबंध में जारी गाईडलाईन के अनुरूप जिले में आयोजित होने वाले धार्मिक आयोजनों व मास गैदरिंग वाले अन्य आयोजनों के दौरान आवश्यक पूर्व तैयारी की कार्यवाही करें और की गई कार्यवाही से जिला कार्यालय को 3 दिनों के भीतर अवगत करायें । उन्होंने निर्देश दिये हैं कि पूर्व तैयारी के अंतर्गत भगदड़ संभावित धार्मिक स्थलों की आपदा प्रबंधन योजना बनायें । स्थानीय खोज व बचाव दलों का गठन कर उन्हें प्रशिक्षण दें व उनकी क्षमता में वृध्दि करें । आयोजन के पूर्व मॉकड्रिल का आयोजन करें और आपदा प्रबंधन संसाधनों का अद्यतीकरण करें । जिला कमांड, कंट्रोल व को-आर्डिनेटर सेंटर बनाकर उसे 24 घंटे कार्यरत रखें । धार्मिक स्थल की संरचनाओं का निरीक्षण कर उसमें आवश्यक सुधार करें । विषम भौगोलिक स्थिति वाले धार्मिक स्थलों में सुरक्षात्मक उपाय करने के साथ ही अग्नि/विद्युत दुर्घटना संबंधी जोखिम को नियंत्रित करने के उपाय करें । साथ ही गैर संरचनात्मक कार्यों के संबंध में समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करें ।

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