कृषि सिंचाई योजना से कम लागत में संतरे की खेती हुई आसान नवीन तकनीकी को अपनाकर सुभाष काकडे बने उन्नतशील किसान
सतपुड़ा एक्सप्रेस छिन्दवाड़ा/ नवीन तकनीकों के समावेश ने खेती को लाभ का व्यवसाय बना दिया है। शासकीय योजनाऐं कृषकों को रियायती दर में सब्सिडी के साथ तकनीकी के विभिन्न नवीन साधन उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इससे छोटे एवं सीमांत किसान भी लाभान्वित होकर खेती को लाभ का व्यवसाय बनाकर उन्नतशील किसान बनते जा रहे हैं। पांढुर्णा जिले के ग्राम खेड़ीकला के कृषक श्री सुभाष काकडे भी कृषि सिंचाई योजना का लाभ लेकर अब कम लागत में आसानी से संतरे की खेती कर उन्नतशील कृषक बन गए हैं। उनकी आय में लाखों की बढ़ोत्तरी हुई है।
पूर्व की स्थिति – कृषक सुभाष काकडे के पास कुल 2.40 हेक्टेयर जमीन है, जिसमें पहले वे 1.0 हेक्टर में संतरा की ड्रिप रहित फसल किया करते थे। बिना ड्रिप के मेहनत, मजदूरी भी ज्यादा लगती थी और अपेक्षित उत्पादन भी प्राप्त नहीं होता था। लेकिन उद्यानिकी विभाग के संपर्क में आकर उन्हें प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाय) के बारे में पता चला और विभाग के सहयोग से उन्हें आसानी से इसका लाभ प्राप्त हुआ। इस योजना से उन्हें ड्रिप सिंचाई सिस्टम लगाने के लिए सहायता मिली।
योजना का लाभ लेने के बाद आया क्रांतिकारी बदलाव – ड्रिप सिंचाई सिस्टम लगाने के बाद कृषक श्री सुभाष की खेती में क्रांतिकारी बदलाव आया। पहले जहां उन्हें फसलों को पानी देने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी, वहीं अब ड्रिप सिंचाई सिस्टम ने इस काम को काफी आसान बना दिया। पानी की बर्बादी भी बहुत कम हुई और फसलों को पर्याप्त पानी मिलने लगा। न सिर्फ पानी की बचत हुई, बल्कि खाद और कीटनाशकों का उपयोग भी कम हुआ। इससे सुभाष की खेती की लागत में काफी कमी आई। पहले जहां उन्हें मजदूरों को ज्यादा पैसे देने पड़ते थे, वहीं अब मजदूरी का खर्च भी कम हो गया। संतरे की खेती से श्री सुभाष की आय में भी काफी बढ़ोतरी हुई। योजना से लाभान्वित होने के पूर्व उन्हें 200 क्विंटल संतरे का उत्पादन प्राप्त होता था, जो बढ़कर प्रथम वर्ष में ही 270 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हो गया। पहले उनकी सालाना आय लगभग 3,60,000 रुपये थी, जो अब बढ़कर 5,48,000 रुपये हो गई है। इस अतिरिक्त आय का उपयोग कृषक सुभाष अपनी खेती, बगीचे के विस्तार और कृषि आधुनिकीकरण के लिए कर रहे हैं।
कृषक सुभाष इस सफलता के लिए उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। उनका कहना है कि विभाग की ओर से मिली सहायता और मार्गदर्शन के बिना यह सब संभव नहीं होता। कृषक सुभाष अब अन्य किसानों को भी ड्रिप सिंचाई सिस्टम और खेती के नवीन यंत्रों का उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
