सतपुड़ा एक्सप्रेस छिन्दवाड़ा:-भारतीय कानून ऐसे व्यक्तियों को जो अपना भरण पोषण करने मैं समर्थ नहीं है उन्हें भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत पर्याप्त साधनों वाले व्यक्ति से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त होता है
पत्नी संतान और माता पिता के भरण-पोषण के लिए आदेश
यदि पर्याप्त साधनों वाला कोई व्यक्ति अपनी पत्नी का जो भरण पोषण करने में असमर्थ है या अपनी धर्मज या अधर्मज अवयस्क संतान का चाहे वह विवाहित हो या ना हो जो अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है या अपनी धर्मज या अधर्मज संतान का जिसने वयस्कता प्राप्त कर ली है किंतु ऐसी संतान शारीरिक या मानसिक असामान्यता या क्षति के कारण अपने भरण-पोषण करने में असमर्थ है या अपने पिता या माता का जो भरण पोषण करने में असमर्थ है भरण पोषण करने में उपेक्षा करता है या भरण पोषण करने से इनकार करता है तो प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ऐसी अपेक्षा या इंकार के साबित हो जाने पर ऐसे व्यक्ति को यह निर्देश दे सकता है कि वह अपनी पत्नी ऐसी संतान , पिता या माता के भरण-पोषण के लिए ऐसी मासिक दर पर जिसे मजिस्ट्रेट ठीक समझे मासिक भत्ता दे और उस भत्ते का संदाये ऐसे व्यक्ति को करें जिसको संदाय करने का मजिस्ट्रेट आदेश देता हैI एक शब्द “असमर्थ” बार बार प्रयोग में लाया गया है । इस शब्द का अर्थ यह है कि कोई भी व्यक्ति जो अपना भरण–पोषण करने में असमर्थ है, केवल वही आश्रित, उस व्यक्ति से जिस पर वह आश्रित है, भरण पोषण मांग सकता है।
।पत्नी निम्न स्थिति में भरण पोषण की उत्तराधिकारी नहीं होतीI
यदि पत्नी जारता की दशा में निवास कर रही है या उसने अपने पति से तलाक ले पुनर्विवाह कर लिया है
यदि वह बिना किसी उचित कारण के अपने पति के साथ रहने से इंकार कर दे।स्पष्टीकरण-यदि पति ने अन्य स्त्री से विवाह कर लिया है या बह रखेल रखता है तो यह उसकी पत्नी द्वारा उसके साथ रहने से इनकार का न्यायसंगत आधार माना जाएगा।
यदि पति पत्नी दोनों ही आपसी सहमति से अलग रह रहे है।
विवाहिता पुत्री की दशा में मजिस्ट्रेट द्वारा भरण पोषण का आदेश केवल उस अवधि के लिए दिया जा सकेगा जब तक पुत्री वयस्कता प्राप्त नहीं कर लेती है या उसके पति के पास भरण पोषण के लिए समुचित साधन उपलब्ध नहीं है…