Home CITY NEWS महाराष्ट्र सीमा पर पकड़ी आईशर में अवैध अंग्रेजी शराब किसकी ?

महाराष्ट्र सीमा पर पकड़ी आईशर में अवैध अंग्रेजी शराब किसकी ?

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मुखबिर की सूचना पर वाहन सहित अंग्रेजी शराब मिलने के बावजूद क्यों नहीं हुई कार्यवाही

सतपुड़ा एक्सप्रेस छिंदवाड़ा।पांढुर्णा। गरीब और आदिवासियों पर ही अवैध शराब के छोटे छोटे मामले बनाकर आबकारी विभाग अपनी पीठ थपथपाने का कार्य कर रहा है, लेकिन अपने शराब ठेकेदारों पर शायद हो विभाग का कोई नियंत्रण है। इसी कारण अब खुलेआम पिकअप की जगह आइशर में सैकड़ो पेटियां अवैध और बिना परमिट की शराब लेकर घूम रहे है। वही आबकारी और कभी कभी पुलिस विभाग गरीब कच्ची महुआ शराब बनाने और बेचने वालो को ढूंढने जंगल, नदी, नाले और बस्तियों में पूरा जोर कार्यवाही के नाम पर लगा देते है। और इन गरीबों पर कड़ी कार्रवाही कर फोटो खिंचवाने में आबकारी व पुलिस विभाग पीछे नहीं रहता, वहीं अंग्रेजी शराब के अवैध कारोबार के मामलों में यही विभाग शिथिल क्यों नजर आते हैं। यह सवाल एक बार फिर क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है।

गुरुवार रात लगभग 10 बजे महाराष्ट्र सीमा से सटे क्षेत्र में अंग्रेजी शराब के बड़े जखीरे से भरे एक आईशर ट्रक वाहन को पकड़े जाने की चर्चा जोरों पर है। बताया जा रहा है कि यह वाहन कलमगांव व लवाना के बीच एक स्टोन क्रेशर के पास चौपाइयां मार्ग पर पकड़ा गया।इस मार्ग का उपयोग तस्कर वर्धा जिले में शराब ले जाने के लिए करते हैं वर्धा में शराब प्रतिबंध है हैरानी की बात यह है कि वाहन सहित अवैध अंग्रेजी शराब मिलने के बावजूद आबकारी एवं पुलिस विभाग द्वारा अब तक किसी भी प्रकार की आधिकारिक कार्रवाई की सूचना न तो मीडिया को दी गई और न ही सार्वजनिक की गई।

अंग्रेजी शराब पर क्यों दिखती है उदारता?अवैध कच्ची महुआ शराब, देशी शराब की भट्टियों और लाहन के साथ फिल्मी अंदाज में फोटो खिंचवाने वाला आबकारी विभाग, अंग्रेजी शराब के मामलों में आखिर इतनी उदारता क्यों दिखाता है? क्या विभाग को केवल कच्ची शराब पर ही कार्रवाई करने के निर्देश मिले हैं?क्षेत्र में लंबे समय से होटल-ढाबों, कूचियों और अन्य ठिकानों पर अवैध रूप से अंग्रेजी शराब बिकने की शिकायतें मिलती रही हैं, लेकिन न तो नियमित कार्रवाई होती है और न ही ठोस परिणाम सामने आते हैं। जहाँ कार्रवाई होती भी है, वहाँ आरोपी बदल जाना, माल गायब हो जाना और कई दिनों तक जानकारी उपलब्ध न कराई जाना आम बात बनती जा रही है।

किसके इशारे पर छूटी शराब? सूत्रों के अनुसार, गुप्त सूचना के आधार पर आबकारी विभाग की जिला स्तरीय टीम और पुलिस के 112 वाहन ने संदिग्ध आईशर को रोका था। बताया जा रहा है कि वाहन में लगभग 500 /1500पेटी अवैध अंग्रेजी शराब भरी हुई थी। यदि इस मामले में विधिवत कार्रवाई होती, तो अवैध शराब नेटवर्क से जुड़ा बड़ा खुलासा संभव था।हालांकि, दो दिनों तक पूछताछ के बाद भी आबकारी और पुलिस—दोनों ही विभागों ने ऐसी किसी कार्रवाई से इनकार किया है। जबकि प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय स्तर पर घटना के सही होने की पुष्टि की जा रही है। दिलचस्प पहलू यह भी रहा कि जिन्होंने पुलिस को शराब से भरे वाहन की सूचना दी, वे कार्रवाई की जानकारी के लिए लगातार स्थानीय पत्रकारों से संपर्क करते रहे, लेकिन विभागीय स्तर पर कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। आबकारी विभाग में पांढुर्णा क्षेत्र सम्हाल रहे नरेन्द्र नागेश ने बताया कि कोई कार्यवाही जिला स्तरीय टीम द्वारा की गई थी क्या हुआ मेरी जानकारी में नहीं है आप जिला स्तर पर बात करें।

गरीबों पर सख्ती, बड़े कारोबारियों पर नरमी? स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागों की आदत केवल गरीब और आदिवासियों की कच्ची महुआ शराब पकड़ने तक सीमित रह गई है। अंग्रेजी शराब के मामलों में या तो शराब गायब हो जाती है, या उसकी संख्या कम हो जाती है। कई बार खुलेआम कार्रवाई के बाद आरोपी और घटनास्थल तक बदल दिए जाने के आरोप भी लगते रहे हैं। अब सवाल यह है कि आईशर में भरी अवैध अंग्रेजी शराब किसकी थी, वैध थी या अवैध इसकी सूचना सार्वजनिक की जानी थी और किसके दबाव या इशारे पर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया—इन सवालों का जवाब प्रशासन को देना ही होगा।इस मामले में जानकारी के लिए जिला आबकारी अधिकारी से संपर्क करने पर उन्होंने न फोन रिसीव नहीं किया।

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